पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३९०

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बामनीवंश १३६५-६६ ईमें इन्होंने विजयनगरके गजाके विरुद्ध युद्ध | राजधानी उठा लाने पर, १४३७ ईमें विजयनगरके देव. कर हद दर्जेकी निष्ठुरताका परिचय दिया। इस युद्ध में राजने लगातार कई बार बाहनीराज्य पर आक्रमण किये। विजयी होने पर भी दोनों पक्षों मे शान्ति स्थापित न हो आखिर दोनों पक्षोंमें संधि हो गई। १४५७में श्य अला. पायी थी । १३७५ ई० में इनकी मृत्यु होने पर इनके पुत्र उद्दीनको मृत्यु होने पर उनके निष्ठुर मुख हुमायू'ने ४ मजाहिदने राजासन पर बैठ कर लगातार कई मरतबा वर्ष राज्य किया। राजकर्मचारियोंके षड्यन्त्रसे १४६१ विजयनगर पर चढ़ाई की थी । इन युद्धोंमें उनके अत्या- ई०में हुमायूके मारे जाने पर उनके ज्येष्ठपुल निजामको चागेकी सीमा न था । अन्तिम आक्रमणमें विफल-मनोरथ राज्य मिला । निजाम ८ वर्ष के बालक होने पर भी उनकी हो कर लौट रहे थे, कि गस्ते में उनके चाचा दाऊदने (१३७८ बुद्धिमती माता और महामन्त्री महमूद गवान्ने अच्छी ई०में ) इन्हें मार डाला। दाऊद भी राजसिंहासन पर तरह राज-कार्य चलाया था। उस समय उडिष्या. बैठनेके बाद मजाहिदकी बहनके पड़यन्त्रसे मारे गये। उस तेलिङ्ग और मालवाकी सेनाने आ कर वाह्मनीराज्य पर के बाद अलाउद्दोनके कनिष्ट पुत्र महमूद गजा हुए। करीब आक्रयण किया था, परन्तु मभी उल्टे पांव लौट गये। १६ वर्ष तक निष्कंटक गजा करके १३६७ ई०में वे परलोक इनकी मृत्युके बाद १४६३ ई० में २य महम्मद ८० वर्षकी मिधारे। उनकी मृत्युके बाद उनके दोनों पुत्र गयास- उम्र में सिंहासन पर बैठे । १४६८ ई०में ये महमूद गवानको उद्दीन और समसुद्दीनने क्रमशः कुछ दिनों तक राज्य । प्रधान मंत्री नियुक्त कर राज्यकी सीमा वृद्धि करनेके किया। बादमें एक क्रोतदासने गयासउद्दीनके आंखे लिये अप्रसर हुए। १४६६ ई०में ये कोङ्कण अधिकार उपाट कर उन्हें कैद किया था और समसुद्दीनको दाऊदके करने, उडिष्या राजको सहायता देने और तैलङ्ग आक्रमण पुत्र फिरोजने राज्यच्युत किया था। तथा कोण्डपल्ली एवं राजमहेन्द्र विजय करने आदिमें व्यस्त फिरोजने २५ वर्ष तक राज्य किया था। उन्होंने थे। १४७७ ई०में ये पुनःमछलोपत्तन लौटे थे। वहांसे १३७८, १४०१ और १४१७ ई०में लगातार तीन वार फिर समुद्रोपकूल हो कर काञ्चनपुर तकके स्थान पर विजयनगर पर आक्रमण किया था। प्रथम दो युद्धा में आक्रमण किया और लूट-मार को । १४८१में इन्होंने अपने विजयनगरके राजा पराजित हुए, परन्तु तृतीय युद्ध में दुर्भाग्यवश ही निजाम उलमुल्क भैरीको सलाहसे मह. फिरोजको परास्त और विशेष क्षतिग्रस्त हो कर अपने मूद गवानको पदच्युत किया और मार डाला। महमूद राजामें लौट आना पड़ा । द्वितीय युद्धको विजयमें उपलब्ध गवानको ज्ञानगर्भ सुप्रणाली और राज्य-परिचालनकी धनस्वरूप फिरोजने विजयनगरकी राजकन्याका पाणिग्रहण सुव्यवस्था खो कर इन्होंने सचमुच हो अपने पैरों में किया था १४१२ ई०में उनकी मृत्यु होनेके बाद उनके कुल्हाड़ी मार ली थी। इस घटनाके बादसे हो ब्राह्मनी. भाई अहमद शाहने निरोह भतीजोंको भगा कर स्वयं राज्यके अधःपतनका सूत्रपात हो गयो । महमूद गवानकी राजा पर अधिकार जमा लिया। राजयाधिकारके बाद मृत्युके बाद राज्यके प्रधान प्रधान सामन्तगण राज्यको ही इन्होंने विजयनगरके राजाको युद्ध में परास्त कर लेना उपेक्षाष्टिसे देखने लगे और राज-दरवारमें कम जाने लगे। प्रारंभ कर दिया। पश्चात् बरङ्गल-पतिके इनके साथ वे प्रायः अपने दलबल के साथ अपने अपने राज्यमें घूमा युद्धमें मारे जानेके कारण उक्त राजा नष्ट हो गया। ये करते थे । १४९२ ई०में महमूद गवानके दत्तकपुन युसुफ भी बिदरनगर स्थापन कर १४३५ ईमे संसारसे चल आदिल खांको गोआ नगरकी रक्षार्थ भेजनेके बाद मह- बसे। उनके पुत्र २य अलाउद्दोनके राजसिंहासन पर म्मदको मृत्यु हो गई। उनके पुत्र श्य महमूदने राजा आरोहण करने पर कनिष्ठ महम्मद विजयनगर-नरेशके होनेके साथ ही निजाम उलमुल्क भैरीको अपना मंसी साथ मिल कर भाईके विरोधी बन गये और एक विप्लव नियुक्त किया। युसुफ आदिलके राजधानीमें लौटने खड़ा कर दिया। पर महम्मद परास्त हो कर सहज ही पर उनकी हत्याके लिए षड़यन्त्र होने लगा। युसुफको में भाईके वशीभूत हो गये। अलाउद्दीनके विजयनगर। खबर लगते ही वे अपने राज्य पाजापुरको माग गये।