पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३९१

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बाल-बाहादि ३८५ ममन्तर महमूदके तेलिङ्गना आक्रमणके लिए चले जाने | बाह्यतस (सं० अव्य० ) वहिर्भागमें, बाहरमें। पर निजाम उलमुल्क मार डाले गये। इसी मौके पर बाह्यता (स स्त्री०) पहिर्विषयता। मालिक अहमद जुनारमें स्वाधीन हो गये। बेरारके वाह्यदति ( स० पु०) पारेका एक संस्कार । शासनकर्ता ईद उलमुल्क विद्रोही हो कर राज्यके वाह्यपटो ( स० स्त्री० ) जवनिका, नाटकका परदा । विरुद्ध खड़े हुण । मन्त्री कासिम बारिदकी मृत्यु के बाद बाहाभ्यन्तर ( स० पु. ) प्राणायामका एक भेद। इसमें १५०४ ई० में ब्राह्मनीराज एक तरहसे अमीर बरिदके अधीन आते और जाते हुए श्वासको कुछ कुछ रोकते रहते हैं। हो गया। १५१२ ई० में तैलङ्गके शासनकर्ता कुतब उल- बाह्यभ्यन्तराक्षेपी (सं० पु०) प्राणायामका एक भेद । जब मुल्कने गोलकुण्डाके राजा बन कर बालना-शासनको प्राण भीतरसे बाहर निकलने लगे, तब उसे निकलने न अवज्ञा की थी। इसके सिवा बाह्मनी राज-सेनाके साथ दे कर उलटे लौटाना, और जब भीतर जाने लगे तब बीजापुर और बेरार-सेनाका कई बार युद्ध होनेसे बाह्मनी उसको बाहर रोकना। राजशक्ति क्रमशः क्षीण हो चली। १५१८ ई०में मह-वाहाविद्रधि ( स० पु० ) एक प्रकारका रोग। इसमें मूदकी मृत्युके बाद उनके पुत्र श्य अहमद राजा तो हुए, शरीरके किसी स्थानमें सूजन और फोड़े की-सी पोड़ा परन्तु राज्यको समस्त क्षमता अमीर बग्दिके हाथ रही। होती है। इस रोगमें रोगीके मुह अथवा गुदासे मवाद १५२० ई०में उनकी मृत्यु हुई और कनिष्ठ भ्राता अला- निकलता है। यदि मवाद गुदासे निकले तब तो रोगी उहीन राजा हुए। इन्होंने राज-मंत्रियोंके कवलसे छुट- साध्य माना जाता है, पर यदि मवाद मुंहसे निकले तो कारा पानेकी कोशिश की, जिससे वे १५२२ ईमें राजगही- वह असाध्य समझा जाता है। से उतारे और मार डाले गये। पश्चात् उनके छोटे बाह्यविषय (संपु० ) प्राणको बाहर अधिक रोकना। भाई वाली दो वर्ष के लिए राजा रहे ; १५२४ ई०में विष बाह्यवृत्ति ( स० स्त्री० ) प्राणायामका एक भेद। इसमें दे कर उनका भी काम तमाम किया गया और अमीर | भोतरसे निकलते हुए श्वासको धीरे धीरे रोकते हैं। बारिदने उनकी विधवा स्त्रोसे अपना सम्बन्ध किया। बाह्याचरण ( स० पु०) आडम्बर, ढकोसला । उसके बाद कलाम उल्लाको सिंहासन पर बिठाया | बाह्यायाम ( स० पु० ) वायु सम्बन्धी एक रोग। इसमें गया, पर वे १५२७ ई० में प्राणोंके डरसे अहमदनगर भाग रोगीको पीठकी नसें खिचने लगती हैं और उसका शरीर गये और इधर अमीर परिदने भी बहाना छोड़ कर पीछेकी ओरको झुकने लगता है।, नगरमें नवीन राजवंशकी प्रतिष्ठा की । बरिदशाही देखा। । बाह्यालय । स० पु०) बहिर्वाटी, बाहरका घर । बाह्य ( स० क्लो०) वाह्यते चाल्यते इति बाहि-ण्यत् । १ 'बाहक-वाहीक देग्यो। यान, सवारी। २ भार ढोनेवाला पशु, जैसे बैल, गधा, बाहीक ( स० पु० ) काम्बोजके उत्तरप्रदेशका प्राचीन ऊंट आदि। ३ बहिस, बाहर । (नि.) ४ वहिर्भव, ' नाम जहां आज कल बलख है। यह स्थान काबुलके बाहरमें होनेवाला । ५ बहनीय, ढोनेवाला। ६ बाहरी, उत्तरकी ओर पड़ता है। इसका प्राचीन पारसी नाम बाहरका । । बक्तर है। इसी बक्तर शब्दसे यूनानी शब्द पैक्ट्रिया बाह्यकरण (सक्लो०) बाह्यक्रिया। बना है। बाह्यकर्ण ( स० पु० ) महाभारतके अनुसार एक नागका बाहङ्ग ( स०क्लो०) बाहु । बाहादि (सं० पु०) बाहु आदि करके इजा प्रत्यानिमित्त बाह्यकुण्ड ( स० पु० ) नागभेद, एक नागका नाम । शब्दगण । गण यथा- बाहु, उपबाहु, उपचाकु, निवाकु, बाहातपश्चर्या (स. स्त्री० ) जैनियों के अनुसार तपस्या- | शिवाकु, बटाकु, उपविन्दु, वृषली, धकला, चूड़ा, बलाका का एक भेद । यह छः प्रकारको होती है-अनशन, औनो- मूषिका, कुशला, छगला, ध्र वका, धूवका, सुमित्रा, बणे, वृतिस लेप, रसत्याग, कायक्लश और लीनता। दुर्मिला, पुष्करसद, अनुहरत्, देवशर्मन, अग्निशर्मन, भद्र- Vol. xv_97