पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३९२

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विंदा-बिगड़ना वर्मन , सुशर्मन् कुनामन, सुनामन्, पञ्चन, सप्तन, अष्टन, बिकसाना (हिं क्रि०) १ विकसना देखो। २ विकसित अमितौजस, सुधावत्, उदञ्चु, शिरस, माष, शराविन्, करना, खिलाना। ३ प्रफुलित करना, प्रसन्न करना। मरीची, शेमवृद्धिन, शृङ्खलतोदिन, खरनादिन, नगरमर्दिन बिकाऊ (हिं० वि०) जो बिकनेके लिये हो, बिकनेवाला। प्रकारमदिन, लोमन्, अजीगर्स, कृष्ण, युधिष्ठिर, अर्जुन, बिकाना (हिं० कि० ) बिकना देखो। साम्ब, गद, प्रद्य म्न, राम, उदङ्क, उदक । (पाणिनि ) | बिकार - विकार देखो। विदा (हिं० स्त्री० ) १ एक गोपीका नाम। २ माथे परका बिकारी (हिं० वि० ) १ विकृत रूपवाला। २ अहितकर, गोल और बड़ा टीका। ३ इस आकारका कोई चिह्न । हानिकारक। (स्त्रिी०) १ एक प्रकारकी टेढ़ी पाई जो बिंदी ( हिं० स्त्री० ) १ शून्य, सुन्ना । २ माथे पर लगानेका अंकों आदिके आगे संख्या या मान आदि सूचित करने. गोल छोटा टीका। ३इस आकारका कोई चिह्न। के लिये लगाई जाती है। विदुका ( हिं० पु.) १ विदी, गोल टीका । २ इस बिक्रो (हिं॰ स्त्री०) १ किसी पदार्थके बेचे जानेको क्रिया आकारका कोई चिह्न। या भाव। २ वह धन जो बेचनेसे प्राप्त हो, बेचनेसे विदुरी (हिं० स्त्री०) १ माथे परका गोल टीका, टिकुली। मिलनेवाला धन। २ इस प्रकारका कोई चिह्न । विक्र (हिं० वि० ) बेचने लायक, बिकाऊ । विदुली ( हि स्त्री० ) बिंदी, टिकुली। बिख (हिपु०) विष, जहर । बिद्रावन (हिं० पु० ) वृन्दावन देखो। बिस्वम (हिं० वि० ) गरल, विष । विध ( हि पु० ) विन्ध्याचल देखो। बिखरना (हिं० क्रि०) खंडो या कणों आदिका इधर बिंधाना ( हि क्रि० ) १ बोधनाफा अकम करूप, छेदा। उधर गिरना या फैल जाना, छितराना। जाना । २ फंसना, उलझना । विखराना ( हि क्रि०) खडों या कणों को इधर उधर बिंधिया ( हिं० पु० ) वह जो माती बोधनका काम करता फैलाना, छितराना। हो, मोतीमें छेद करनेवाला। बिखोद (हि.पु०) विषाद देखो। विव ( स०पु० ) बिम्ब देखो। बिखेरना (हिं कि०) खंडों वा कणोंको इधर उधर विआना ( हि क्रि० ) वच्चा देना, जनना। फैलाना, तितर बितर करना। विआपी (हिं० वि०) व्यापो देखो। विखोडा (हि० पु०) एक प्रकारकी बड़ी घास जो सारे बिओग ( हिं० पु० ) वियोग देखो । भारतवर्ष में पाई जाती है। यह ज्वार जातिकी होती है विओगो ( हि वि. ) वियोगी देखो । और बारहों महीने हरी रहती है। अब यह अच्छी तरह विकट (सत्रि०) विकट देखो। बढ़ जाती है, तब चारेके बहुत उपयोगी होती है, पर बिकना ( हि० क्रि० ) किसी पदाथका द्रव्य ले कर दिया आरम्भिक अवस्थामें इसका प्रभाव खानेवाले पशुओं जाना, मूल्य ले कर दिया जाना, बिक्री होना। पर बहुत बुरा और प्रायः विषके समान होता है। इस- विकराल ( स० त्रि०) विकराल देखो। मेंसे एक प्रकारके दाने भी निकलते हैं जिन्हें गरीब लोग बिकल ( स० वि० ) विकल देखो । यों ही, पोस कर अथवा बाजरे आदिके आटेके साथ विकलाई ( हि स्त्री० ) व्याकुलता, बेचैनी। मिला कर खाते हैं। इसको कहीं खेती नहीं होतो, यह बिकलाना (हिं० कि. ) घबराना, व्याकुल होना। खेतोंको मेड़ों पर अथवा जलाशयोंके आस पास आपसे बिकवाना (हिं० कि० ) बेचनेका काम दूसरेसे कराना, आप उगतो है। किसीसे विक्री कराना। | बिगड़ना (हिं० कि०) १ किसी पदार्थके गुण या रूप विकसना (हिं० कि०) १ प्रस्फुटित होना, खिलना, आदिमें ऐसा विकार होना जिससे उसकी उपयोगिता फूलना । २ प्रफुल्लित होना, बहुत प्रसन्न होना। छट जाय या मध हो जाय, असली रूप या गुणका नष्ट