पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३९५

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बिजनौर-विजली ३६६ विरुद्ध उसकाया। रोहिला-सरदारके सम्राटकी अधी- लगती है। विद्याशिक्षामें यह जिला भी युक्तप्रदेशके नता स्वीकार करने पर १६४८ ई० में उन्हें अपना राज्य | अन्यान्य जिलोंके जैसा बहुत पीछा पड़ा हुआ है। सैकड़े वापस मिला। उनकी मृत्युके बाद रोहिलाधीर हाफिज पीछे २ मनुष्य पढ़े लिखे मिलते हैं। अभी कुल मिला रहमत् खाने राजकार्यका भार अपने हाथ लिया। कर २२५ स्कूल हैं जिनमें से ३ गवर्मेण्टसे और शेष १७७१ ई०में महाराष्ट्रीयदलने सम्राट शाहआलम जिला तथा म्युनिसिपल बोर्डसे परिचालित होते हैं। को दिल्लीके सिंहासन पर बिठा कर रोहिलखण्ड स्कूलके अलावा १० अस्पताल और चिकित्सालय हैं। पर आक्रमण कर दिया। रोहिलोने इस असमयमें अयो- कुल मिल कर इस जिलेकी आबहया अच्छी है। ध्याके वजोरसे सहायता मांगी। वजीर सहायता तो २ उक्त जिलेको एक तहसील। यह अक्षा० २६ क्या देंगे, उल्टे १७७२ ईमें उन्हें बुरी तरह परास्त | १से २६३८ उ० तथा देशा० ७८० से ७६२५ पूर्णके किया। युद्ध में हार खा कर रोहिलाने सारा रोहिलखएड. मध्य अयस्थित है। भू-परिमाण ४८३ वर्गमील और राज्य बजारको समर्पण किया। केवल १७७४ ई०की जनसंख्या दो लाखसे ऊपर है। इसमें ५७२ प्राम और सब्धिके अनुसार अलीके पुत्र फैजउल्ला खांके लिये ६ शहर लगते हैं। बिजनौर शहर ही सबसे बड़ा है। रामपुर राज्य रख छोड़ा। तहसीलके पश्चिम गङ्गा नदी बह गई है। रोहिला-पठानोंके समय यह पार्वत्यप्रदेश नाना | ३ उक्त तहसीलका एक प्रधान शहर। यह भक्षा नगरादिसे सुशोभित था। १८०१ ई०में यह स्थान २६. २२ उ० तथा देशा० ७८८ पू०के मध्य अवस्थित अगरेजों के दखल में भाया । १८५७६०के गदर के अलावा | है। जनसंख्या प्रायः १७५८३ है। कहते हैं, कि १८३३१०में अफजल गढ़के निकट टोङ्कपति अमीर खांका | राजा वेणने इस नगरको बसाया था। सम्राट अकबरके पराभव यहांको उल्लेखयोग्य घटना है। १८१७ ई० | पहलेका इस नगरका के ई इतिहास नहीं मिलता। यहां तक यह स्थान मुरादाबाद जिलेके अन्तर्भुक्त रहा। सूती कपड़े, छुरो और जनेऊ तैयार होते हैं। शहरमें एक बादमें वह स्वतन्त्र जिलाभुक्त हो गया। पहले लगीना मिडिल-स्कूल और एक बालिका स्कूल है। मगरमें और पीछे १८२४ ई०को बिजनौर नगरमें विचार- बिजयखार (हिं० पु० ) विजयसार देखो। सदर स्थापित हुआ। विजयघंट (हिं० पु० ) मन्दिरोंमें लटकाये जानेका बड़ा मीरट मगरका विद्रोहस्रोत बिजनौर नगर भी पहुँचा घंटा । था। इस समय रुरकीके सेनादलने बिजनौरका साथ विजयसार (हि पु०) एक प्रकारका बहुत बड़ा जंगली दिया। नजीबाबाद के नवाब अपनी पठान-सेना ले कर पेड़। इसके पसे पीपलके पत्तोंसे कुछ छोटे होते हैं। कार्यक्षेत्र में उतरे। कुछ समय उक्त नवाब यहांके इसमें आंवलेके समान एक प्रकारके पीले फल भी लगते राजा रहे। पीछे जब हिन्दू-मुसलमानमें विवाद छिड़ा, हैं। इसके फूल कड़वे, पर पाचक और बादी उत्पन्न तर हिन्दी मुसलमानोंको भगा कर अपमा आधिपत्य करनेवाले होते हैं। इसकी लकड़ी कुछ कालापन लिये फैलाया। सिपाहीविद्रोहके बाद १८५८ ई०के अप्रिल- लाल रंगकी और बहुत मजबूत होती है। यह ढोल, मासमें यह स्थान फिरसे अंगरेजोंके शासनाधीन तवले आदि बनानेके काममें आती है। इससे अनेक हुमा। प्रकारको स्याहियां और रंग भी बनते हैं। इसका गुण . इस जिलेमें १६ शहर और २१३२ ग्राम लगते हैं। कुष्ट, विसर्प, प्रमेह, गुदाके रोग, कृमि, कफ, रक्त और जनसंख्या साढ़े सात लाखसे ऊपर है। हिन्दूकी संख्या पित्तका नाशक माना गया है। सैकापीछे ६४ और ३५ मुसलमान तथा शेषमें आर्य- बिजली (हि स्रो०) १ एक प्रसिद्ध शक्ति जिसके कारण लोग हैं। यहाकी प्रधान उपज गेहूं, जै, बाजरा. चना बस्तुओंमें आकर्षण होता है और जिससे कभी कभी और ईचहै। कई और तेलहनकी फसल भी अच्छी ताप और प्रकाश भी उत्पन्न होता है। विद्य त देखो। २ Vol xv: 98