विश्वपना-बिन्दुमत
बोधे आदिके हिसाबसे कोई कर नियत नहीं होता, बल्कि जो पहले घानमैसे निकाल कर गणेशके मिमिस अलग
कुल जमीनके लिये यों ही अन्दाजले कुछ रकम दे दी रख देते हैं। यह भाग पकवान बनानेवालेको मिलता है।
जाती है।
बिनौरिया (हि.स्त्री०) खरीफके खेतों में होनेवाली एक
विधवपन (हिं० पु०) वैधव्य, रडापा।
प्रकारकी घास । इसमें छोटे पीले फूल निकलते हैं। यह
विधवा-विधवा देखो।
घास प्रायःचारके काम में आती है।
विधवाना (हिं० क्रि०) बिँधवाना देखा।
बिनौला : हिं० पु० ) कपासका बोज । यह पशुओंके लिये
बिधाई (हिं० पु०) विधायक, वह जो विधान करता हो। पुटिकारक होता है। इससे एक प्रकारका तेल भी
विधाना (हिं० कि०) विधाना देखो।
निकाला जाता है, बनौर।
बिधिना (हिं. स्त्री०) विधना देखी। .
बिन्दवी ( स० पु० ) विदि अवयये वाहु अवि । विन्दु,
बिधुली (हिं० पु. ) हिमालयको तराईमें होनेवाला एक अंश ।
प्रकारका बांस। इसे नल-बांस और देव-बांस भी कहते बिन्दवीय ( स० त्रि.) विन्दवि गर्दादित्वात् छ ।
हैं। दवबास देखो।
(पा ४।२।१८८)। विन्दुसम्बन्धोय, अंशसम्बन्धीय ।
बिनता (हिं पु०) पिंडकी नामकी चिड़िया।
बिन्दु ( संपु०) विन्दु दंखो।
बिनती (हिं० स्त्रो०) प्रार्थना, निवेदन ।
बिन्दुक (सं० पु० ) चिह्न, गोल टोका।
विनन (हि स्त्री०) १ बिनने या चुननेको क्रिया या भाव । बिन्दुकित ( स०नि०) विन्दु द्वारा आवृत।
२ बुननेको क्रिया या भाव, बुनावट। ३ वह कूड़ा विन्दुघृत (स क्लो०) घृतोषधविशेष ।
कर्कट आदि जो किसी चीजमेंसे चुन कर निकाला जाय, बिन्दुचित ( स० पु० ) रोहिष मृगविशेष ।
चुनन।
बिन्दुचित्रक ( स० पु० ) विन्दुरूपं चित्रमस्य कप् । मृग-
बिनना (हि क्रि०) १ छोटी छोटी वस्तुओंको एक एक भेद ।
करके उठाना, चुनना । २ इच्छानुसार संग्रह करना, विन्दुजाल ( स० क्ली० ) विन्दुनां जालं । १ विन्दुममूह ।
छांट छांट कर अलग करना । ३ डंकवाले जीवका डंक २ हस्तिशुण्डो परिस्थित विन्दुसमूह, वह विन्दु जो
मारना, काटना।
हाथीकी सूड़ पर होते हैं। ३ हाथियोंका पाक नामक
बिनरी (हिं० स्त्री० ) अरनी देखो।
रोग ।
बिनसाना (हिं० क्रि०) १ विनाश करना, नष्ट कर डालना। बिन्दुतन्त्र ( स० पु०) १ शारीफलक, चौपड़ आदिकी
२विनष्ट होना।
विसात। २ तुरङ्गक ।
बिना (हिं अध्य०) छोड़ कर, बगैर।
'बिन्दुतीर्थ ( स० क्ली० ) काशीके प्रसिद्ध पञ्चनद तीर्थका
बिनाई ( हि स्त्री० ) १ बोनने या चुननेकी क्रिया भाव। नामान्तर जहां बिन्दुमाधवका मन्दिर है।
२ बीनने या चुननेकी मजदूरो। ३ बुननेको क्रिया या बिन्दुदेव ( स० पु०) वौद्धदेवता भेद ।
भाब, बुनावट। ४ बुननेकी मजदूरी।
बिन्दुनाथ (सं० पु०) हटयोगविद्या प्रवर्तक आचार्यभेद ।
बिनाती (हिं स्त्री० ) बिनती देखो।
बिन्दुपत्र (स० पु०) विन्दुः पत्ने यस्य । भूज वृक्ष, भोज-
बिनाना (हिं० कि०) बुनवाना देखो।
पत्र।
बिनानी (हिं० वि० १ अज्ञानी, अनजाम । (स्त्री० ) २ बिन्दुफल (सं० क्ली०) मुक्ताविशेष ।
विशेष विचार, गौर।
बिन्दुमत् (सं० त्रि०) १ विन्दुयुक्त । २ बिन्दुकी तरह
बिनावट (हिं० स्त्री०) बुनावट देखो।
जिसका आकार हो। (स्त्रो०) ३ शार्ङ्गधर पद्धति-लिखित
बिनासना (हिं कि०) विनष्ट करना, संहार करना। कुछ चरण। ४ मरीचिपत्नी बिन्दुमतको माता ।५ राज
बिनैका (हिं. पु.) पकवान बनाते समयका यह पकवान शशिकी कन्या, मान्धाताकी ली।
Tol, xy. 99
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३९९
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