विस्तर-बीड़ी
दुधमें डालनेसे फूल जाती है। बिस्कुट नमकीन और ' बिहारना ( हिं० कि० ) बिहार करना, केलि या क्रीडा
मीठा दोनों प्रकारका होना है। इसे यूरोप और बंगालके करना।
लोग बहुत बात है।
बिहारीमल्ल - विहारीमल्ल देख्यो ।
बिस्तर । हि पु० ) १ बिछौना, विछावन । २ विस्तार, विहारी लाल -बिहारी लाल दग्वा ।
बिहाल ( फा० वि० ) व्याकुल, बेचैन ।
बिस्तरना (हि० कि०) फैलाना, अधिक करना । २ बढ़ा विहिश्त ( फा० स्त्री० ) म्वर्ग, धैकुण्ठ ।
बढ़ा कर वर्णन करना, विस्तारसे कहना।
विही (फा० स्त्री०) १ पेशावर और काबुलकी ओर मिलने-
विस्तरा । हि० पु० । बिस्तर देखा।
वाला एक पेड़। इसके फल अमरूदसे मिलते जुलते
विस्तारना । Eि क्रि०) विस्तृत करना, फैलाना। हैं। २ उक्त पेड़का फल जिमकी गिनती मेवों में आई
बिस्तुझ्या ( हि श्री. ) गृहगांधा, छिपकली। है। ३ अमरूद।
विस्या : हि पु० ) एक बीघेका योमयां भाग। बिहीदाना (फा० पु०) विही नामक फलका बीज जो दवाके
बिस्बदार ( हि यु० ) । पट्टीदार, हिम्मेवार । २ किसी काममें आता है। इन बीजोंको भिगो देनेसे लुआव निक-
बडे राजा या तभन्लुकेधारक अधान जमींदार । लता है जो शर्बतकी तरह पिया जाता है।
विस्थास ( हि पु० ) विश्वास द ग्वा ।
बिहीन ( हिं० वि० ) रहित, विना।
विहंग ( हिंपु० ) विहंग द ग्थे।।
बिहन ( हिं० वि० ) रहित, बिना।
विहडना (हिं० कि०), एड खण्ड कर डालना, बिहोरना (हि.क्रि. ) बिछुड़ना ।
तोड़ना। २ नष्ट कर देना। ३ काटना।
वीड़ ( हि पु. ) बीड़ा देंग्वा ।
विह सना (हि० कि० ) मुस्करामा, मंदमंद हसना। वोड़ा ( हि पु० ) १ मंडरेके आकारका लम्बा नाल जो
बिहसाना ( हिं० कि०) १ बिहंसना दंखे।। २ प्रफुग्लिन पेड़की पतली टहनियोंसे बुन कर बनाया जाता है। यह
होना, खिलना।
कच्चे कुएं या नोंडमें इसलिये दिया जाता है, कि उस-
बिहतर (फा०वि० ) बहुत अच्छा।
का भगाड़ न गिरे। २ विंडो. पिंड । ३ जलानेकी लड़की
विहतरी ( फा० स्त्री० ) कुशल, भलाई ।
या बांस आदिका बांध कर बनाया हुआ बोझ । ४ धानक
बिहबल ( हि०वि० ) व्याकुल्ल देखा।
पयालका बनाया हुआ एक प्रकारका गोल आसन । इस
विहरना हि क्रि० ) घूमना, फिरना, सैर करना । पर गाँवके लोग आगके किनारे बैठ कर तापते हैं। ५ घास
बिहरी (हिं स्त्री०) चंदा, बरार ।
आदिको लपेट कर बनाई हुई गेडुरी जिस पर घड़े रखे
विहाग ( हि पु० ) एक राग जो आधी रातके बाद लग जाते हैं। ६ वह गेडुरी जिसे सिर पर रख कर घड़े,
भग २ बजेके गाया जाता है। यह राग हिडोलराजका : टोकरे आदिका भार उठाते हैं। ७ बड़ी बाड़ी, लुडी।
पुत्र माना जाता है।
बोडिया ( हिं• पु० ) वह बैल जो तोन बैलोंकी गाड़ी में
बिहागड़ा ( हि पु० । सम्पूर्ण जातिका एक राग। इस- सबसे आगे रहता है और जिसके गलेके नीचे बोडी
में मब शुद्ध स्वर लगते हैं। इसके गानेका समय रातको रहती है।
१६ दण्डसे २० दण्ड तक है। कोई इसे हिरोल रागकी बीडी (हिं स्त्री रम्सी या सूतकी वह पिंडी जो
गगिनी और कोई मरम्वतो. केदारा और मारवाके योगसे लकड़ी या किसी और चीजके ऊपर लपेट कर बनाई
उत्पन्न मानते हैं।
जाय। २ वह मोरी और कपड़े आदिमें लपेटी
बिहान ( हि पु०) १ प्रातःकाल, सबेरा । (कि० वि०), हुई रस्सी जो उस बैलके आगे गलेके सामने
२कलह, कल।
छाती पर रहती है जो तीन बैलोंको गाडीमें सबसे
बिहार--पटना जिलेका उपविभाग। अन्तस्थ 'ब'में देखो। , आगे रहता है। केसुला। ४ वह लकड़ी जिस पर
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४१०
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