पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बीजपर-बीजापुर बीजवर ( स० पु. ) कलायभेद, एक प्रकारका उडद। बोजाकृत ( सं० वि०) बोजेन सहकृतं कृषमिति ( कृमो बोजवाप ( स० पु० ) वीजस्य बापः। वीजवपन, बोज द्वितीय तृतीयशम्बनी जात् कृषी । पा॥४५८ ) इति डाच । बोना। वीजवपनपूर्वक कृपक्षेत्र, वह ग्वत जो बीज बोनेके बाद बोजवापिन् ( स० पु.) बोजवपनकारी, वह जो बीज जोता गया हो। बोता हो। बीजाक्षर ( म० की.) किमी वीजमन्त्र का पहला अक्षर। बोजवाहन ( स० पु०) महादेव, शिव । बीजाख्य ( स० पु० ) १ जैपालवृक्ष, जमालगोरा । (क्ली०) वीजवृक्ष ( स० पु० ) वीजादेव वृक्षो यस्य, बोज प्रधानो २ अपालका बीज, जमालगोटेका बीया । वृक्ष वा। असन वृक्ष, असनाका पेड़। बीजागढ़ - प्राचीन निमार प्रदेशको राजधानी। 'प्रभी बोजसञ्चय (स. पु०) बोजानां मञ्चयः। बीजमंग्रह यह स्थान श्रीहीन हो गया है। मनपरा पर्वतके ऊपर बोनेके लिये धान आदिका संग्रह । माध वा फाल्गुन भग्नावशेष वीजागढ़ दुर्ग अवस्थित है। दक्षिण निमार मासमें बीज संग्रह करे। का अधिकांश स्थान ले कर उक्त दुर्गके नाम पर होल. "माघे वा फाल्गुने वापि सर्ववीजानि संगृहेत् । कर राज्यका बीजागढ़ सरकार और जिला गठित है। शोषयेत् तापयेद्रौद्र रात्रौ चोपनिधापयेत् ॥" बोजाङ्क र (स' पु०) १ बीजोद्गत प्रथम अंकुर, भैखुआ। (ज्योतिस्तत्त्व ) २ बीज और अङ्कर । बीजको धूपमें अच्छी तरह सुखा कर रखना होता है। बीजाङ्कर न्याय ( स० पु० ) एक प्रकारका न्याय। इस- हस्ता, चित्रा, अदिति, स्वाति, रेवती और श्रवणाद्वय इन का व्यवहार दो संवद्ध वस्तुओंके नित्य प्रवाहका दृष्टान्त सब नक्षत्रों में, स्थिर लग्नमें वृहस्पति, शुक और वुद्धवार देनेके लिये होता है। बीजसे अंकुर और अकुरसे को बीजसञ्चय करे। बीजसञ्चयके बाद किसी पत्रमें बोज होता है। इन दोनोंका प्रवाह अनादिकालमे चला मन्त्र लिख कर उसमें रख दे। ऐसा करनेमे चूहे आदि आता है। दो वस्तुओंमें इसी प्रकारका प्रवाह या सम्बन्ध का भय नहीं रहता। मन्त्र--- दिखलानेके लिये इसका उपयोग होता है। "धनदाय सर्वलोकहिताय देहि मे धान्यं स्वाहा । बोजाढ्य ( म० क्ली० ) १ वीजयुक्त, वीजवाला । ( पु० ) नमः ईहायै ईहा देवी सर्वलोकविवर्द्धिनी काम- २ वीजपूर, विजौरा नेवू ।। रूपिणि धान्यं देहि स्वाहा ॥” (ज्योतिस्तत्त्व) बीजाध्यक्ष (.स० पु० ) शिव । बीजसू (सं० स्त्री०) बीजानि सूते इति सू-क्किए । पृथ्वी। बीजापुर-बम्बईके दक्षिणी महाराष्ट्र देशकी एक एजेन्सी। बीजस्थापन ( स० क्लो०) वीजानां स्थापनं । धान्यादि- यह वीजापुर जिलेके कलकरकी देखरेख में है। यह अक्षा० स्थापन। . १६५० से १७ १८ उ० नथा देशा० ७५१ से ७ बोजहरा (सस्त्री०) एक डाकिनीका नाम । ३१ पृ०के मध्य विस्तृत है। भूपरिमाण ६८० वर्गमील बीजहारिणी ( स० स्त्री०) बीजहरा देखो। है। जलवायु बीजापुर जिलेके जैसा है। जाटकी बीजा (हि० वि०) दूसरा। सतारा-जागीर और दफलापुर राज्य ले कर यह बीजा--सिमला पर्वतके निकटवत्तीं एक सामन्तराज्य। संगठित है। यहांके सरदार अपनेको दफलापुर प्रामके यह अक्षा० ३०५३ से ३० ५५ उ० तथा देशा० ७६ प्रधान लखमाजीके वंशधर बतलाते हैं। १६८०६०में ५६ से ७७१०पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण उनके लड़के सतवाजी गव जाट, करजगी, परदोल और ४ वर्गमील और जनसंख्या ११३१ है। यहांके सरदार बनद उपविभागके देशमुख नियुक्त हुए। बीजापुर पतन पूरनचाँद राजपूतवंशीय हैं। ठाकुर इनको उपाधि है। के बाद उन्होंने सम्राट औरङ्गजेवको आत्मसमपण किया। राजस्व ५००) रु. है जिनमेंसे १२४ रुपये करमें देने : १८२० ई०में वृटिश सरकारने जाटके वर्तमान सरदारक पड़ते हैं। वंशधरोंकी कार्रवाई में हाथ बटाया । १८२७ मे सताराके Vol. xv. 103