पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४१६

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४१० बीजापुर राजाने सरदारका ऋण चुकानेके लिये जाट-राज्यको के चौबीस जिलोंके मध्य यह जिला सोलहवां पड़ता है। अपने हाथ कर लिया। १८४१ ई०में वह फिर सैकड़े पीछे चार मनुष्य शिक्षित हैं। अभी २ हाई- लौटा दिया गया। १८४६ ई०में जाट और दफलापुर स्कूल, ३०६ प्राइमरी स्कूल, १०० मिडिल तथा बालिका सतारा जागीरके जैसा वृटिश सरकारका करदराज्य हो स्कूल हैं। स्कूल के अलावा बीजापुर शहर में दो अस्प- गया। जाट-सरदार उच्च कुलोद्भव महाराष्ट्रोय हैं। गोद | ताल हैं जिनमेसे एकमें स्त्रियों को चिकित्सा होती है। लेनेका इन्हें अधिकार है। जनमख्या ७० हजारके करीब २ बीजापुर जिलेका एक तालुक। यह अक्षा० १६ है। इसमें जाट और दफलापुर नामके २ शहर और ११७, २५से १७५ उ० तथा देशा० ७५ २६ से ७६.२ पू० ग्राम लगते हैं। राजस्व साढ़े तीन लाख रुपये हैं जिन के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ८६६ वर्ग मील और मेंसे ६४०० रु० वृटिश सरकारको करमें देने पड़ते हैं। जनसंख्या लाखसे ऊपर है। इसमें बीजापुर नामके १ बोजापुर वम्बईके दक्षिणी विभागका एक जिला । यह ! शहर और ८४ ग्राम लगते हैं। धोऊ उपत्यकाको छोड़ अक्षा० १५४६ से १७२६ उ० तथा देशा० ७५ १६से कर और प्रायः सभी स्थान अनुर्वर हैं। इस पार्वतीय ७६३२ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ५६- विभागमें वृक्षादि नहीं रहने पर भी स्थानीय जलवायु ६१ वर्गमोल है। इसके उत्तरमें भीम नदी जो इसको स्वास्थाकर है। शोलापुर और अकल कोटसे पृथक करती है । पूर्व और ३ उक्त जिलेका एक प्रसिद्ध शहर । यह अक्षा० १६ दक्षिण-पूर्व में निजाम-राज्य : दक्षिणमें मलप्रभा नदी जो ४६ उ० तथा देशा० ७५४३ पू०के मध्य विस्तृत है। जिलेको धारवाड़ और गमराज्यसे अलग करती है। पश्चिम- जनसंख्या २५ हजारके लगभग है जिनमेंसे हिन्दूको में मुधोल, यमखगडी और जाटगज्य है । पहिले इम संख्या सबसे ज्यादा है। नगरके प्राचीन इतिहासके जिलेका नाम कलाद्गी था, १८८५ ई०में बीजापुर रखा सम्बन्धमें फिरिस्ताने इस प्रकार लिखा है,---श्य मुरादके गया है। उसी समय सदर कलादगीसे उठा कर बीजा पुत्र ख्यातनामा ओसमानली सुलतानने बीजापुरमें पुरमें लाया गया। यहांकी प्रधान नदी ये सब हैं---भीमा, पहले पहल मुसलमानी राज्य स्थापन किया । उनके दोन, कृष्णा, घाटप्रभा और मालप्रभा । दोन नदीका जल | वंशधर २य महम्मद जब तख्त पर बैठे, तब उन्होंने बिलकुल खारा है। अपने सव भाइयोंका काम तमाम करनेका हुकुम दे दिया। पूर्व समयमें यह स्थान चालुक्य-वंशके अधिकारमें | इस समय उनकी माताने बड़े कौशलसे युसुफ था। १२६४ ई०में जलाल-उद्दीन खिलजीके भतीजे नामक अपने एक पुत्रकी जान बचाई। नाना स्थानोंमें अलाउद्दीनने दलबलके साथ आ कर इस स्थानको कंपा भटकते हुए युसुफने अहमदावाद बिदारराजके अधीन डाला और राजारामचन्द्रको दिल्ली सम्राटकी अधीनता नौकरी की। राजाकी मृत्युके बाद वे अहमदा- स्तीकार करनेको बाध्य किया । १५वीं शताब्दीमें युसुफ शद राज्यका परित्याग कर बीजापुर आये और आदिलशाहने एक स्वतन्त्र मुसलमान-राज्य बसाया। : जनसाधारणको सलाहसे उन्होंने अपनेको राजा बीजापुरमें उसकी राजधानी कायम हुई। इस समयसे , बतला कर तिमाम घोषित कर दिया। युसुफने अपने जिलेका इतिहास बीजापुर शहर के साथ मिला हुआ है। बाहु-बलसे समुद्रतोर पर्यन्त राज्यसीमा बढ़ा ली। उन्होंने १७वीं शताब्दीमें चीनपरिव्राजक युएनचुवग वादामी पुत्तंगोजों से गोआ नगर भी छीन लिया। बहुत धन देखने आये थे। उस समय वहां चालुक्यवंशका शासन खर्च करके बीजापुरमें एक विस्तृत दुर्गवाटिका बनाई गई। । १५१० ई० में उनकी मृत्यु होने पर उनके लड़के इस्माइल इस जिलेमें ८ शहर और १११३ ग्राम लगते हैं। खाँने दोर्दण्ड प्रतापसे १५३४ ई० तक राज्य किया। पीछे जनसंख्या साढ़े सात लाखके करीब है।जनमें से हिन्दूकी मुलु आदिलशाह छः मास राज्य करनेके बाद राजतत्तसे संख्या सैकड़े पोछे ८८ है। विद्याशिक्षा में प्रेसीडेन्सी- उतार दिये गये। बाद उनके छोटे भाई नाहिम राज- था।