पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४१७

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बीजापुर-बीजावर ४११ सिंहासन पर बैठे। उन्होंने १५५७ ई० तक राज्य किया। रही। दिल्लीके मुगल राजवंशके अधःपतनसे बीजापुरका उनके मरने पर उनके लड़के अली आदिलशाह राज्याधिकार विस्तृत ध्वंसावशेष महाराष्ट्रप्रासमें पतित हुआ। १८१८ हुए। उन्होंने अपने शासनकालमें बीजापुर नगरको चारों । ई०में अन्तिम पेशवाको पदच्युतिके बाद बीजापुर और ओर दीवारसे घेर लिया और जुम्मा मसजिद तथा बहुत सताराराज्य वृटिशसरकार के अधिकारमुक्त हुआ । सतारा सी जलप्रणालियां बनाई जो आज मी विद्यमान हैं। राजका बीजापुरको मुसलमानकीर्तिकी रक्षाकी आर इन्होंने अहमदनगर और गोलकुण्डाराजके साथ मिल कर विशेष ध्यान था। १८४८ ई०में सताराराज इस धराधाम विजयनगराधिप राजा रामके विरुद्ध अस्त्रधारण किया।' को छोड़ सुरधाम मिधारे। उनके एक भी सन्तान न उस समय दिल्लीको छोड़ और कोई भी राजा भारतमें थी इस कारण वृटिश सरकारने शासनभार अपने हाथ उनके समान शक्तिशाली न थे। कालिकटके युद्ध में ले लिया। यहांकी जुम्मा मसजिद, इब्राहिमका रोजा, मह- १५६४ ई०को रामराजा मुसलमानोंके हाथसे परास्त और मूदका समाधिमन्दिर, अपुर मुबारकप्रासाद, मेहतुरी बन्दी हुए। बीजयनगर लूटनेके बाद यवनराजके आदेशसे महल और वक्त तागार नामक अट्टालिकाका शिल्पचातुर्य वे मार डाले गये। १५७९ ई०में उनका देहान्त हुआ। और गठनप्रणाली देखने लायक है। पीछे उनके भतीजे श्य इब्राहिम आदिल कच्ची उमरमें वीजाम्ल ( स० क्ली० ) बीजे अम्लोऽम्लरमा यस्य । राजतख्त पर बैठे और राजकार्यका कुल भार मृतराजको वृक्षाम्ल । पत्नी विख्यात चांद बीबीने अपने हाथ लिया। अभीसे बीजाणवतन्त्र ( स० क्ली० ) बोजमन्त्रनिदेशक एक ले कर मृत्यु पर्यन्त इब्राहिमने बड़ी दक्षतासे राजकार्य तन्त्र । चलाया । १६२६ ई०में उनको मृत्युके बाद महम्मद अली. वीजावर- मध्यभारतके बुन्देलखण्डके अन्तर्गत एक शाह राजा हुए। इन्हीं के शासनकालमें महाराष्ट्र केशरी मामन्तराज्य। यह अक्षा० २४.२ से २४५७ उ० शिवाजीका आविर्भाव हुआ था। शिवाजीके पिता तथा देशा० ७६० से ८० ३६ पू०के मध्य अवस्थित है। शाहजी बीजापुर-राजके अधीन नौकरी करते थे। इसी भूपरिमाण ६३ वर्गमील है। पहले यह स्थान सुअवसरमें शिवाजीने उक्त राजभण्डारके व्ययसै तथा गढ़ मण्डला गोंडके अधिकारमें था। पोछे १८वीं वहांके सेनादलकी सहायतासे १६४६-९८ ई०के मध्य : सदीमें पन्नाके स्थापयिता छत्रसालने इस पर राजाधिकृत अनेक दुर्ग अधिकार कर लिये। इधर दखल जमाया। उनकी मृत्युके बाद मारा राज्य शिवाजीके अत्याचारसे, उधर औरङ्गजेब परिचालित उनके पुत्रोंके मध्य बँट गया। विज्ञावर जगत्गजके मुगलवाहिनीके लगातार आक्रमणसे महम्मद तंग तंग आ हिस्से में पड़ा। १७६६ ई०में जगढ़राजके गुमान- गये। इस समय किसी कारणवशतः औरङ्गजेबको सिंहने, जो उस समय अजयगढ़के शासक थे, बिजनौर- आगरा नगर लौटना पड़ा था जिससे शिवाजीका प्रभाव राज्य जगत्के जारज पुत्र वीरसिंह देवको दे दिया । दाक्षिणात्यमें भी फैल गया। महम्मद शत्नुके प्रतापसे वीरसिंहने अपने बाहुबलसे राज्यसीमा बहुत दूर तक धीरे धीरे कमजोर होते गये । १६६० ईमें चिन्ताके मारे फैला ली थी। पीछे १७६३ ईमें वे अली वहादुर और घे इस लोकसे चल बसे। पीछे आदिलशाह राजा तो हिम्मत वहादुरसे युद्ध में निहत हुए । अनन्तर १८०२ हुए, पर बीजापुर-राजवंशका अधःपतन रोक न सके। ईमें हिम्मत वहादुरने वीरसिंहके लड़के केशरीसिंहको १६७२ ई०में उनकी मृत्युके बाद उनके छोटे लड़के सिक- सनदके साथ राजसिंहासन लौटा दिया। कुछ समय न्दर आदिलशाह राजगद्दी पर बैठे। वे ही इस वंशके' तक उनकी सनद जब्त कर लो गई थी। पीछे १८१० अन्तिम राजा थे। 1 ईमें उनकी मृत्युके बाद उनके लड़के रतनसिंहको १६८६ ईमें औरङ्गजेबने बीजापुर दखल किया। सनद लौटा दी गई। उन्होंने अपने शासनकालमें इतने दिनोंके बाद बीजापुर-राजवंशकी खाधीनता जाती सिक्का चलाया था। १८६१ ई०में उनके मरने पर भान