पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४४९

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बुद्धिक-बुद्धिसागर वा महत्तत्त्वका आविर्भाव हुआ था। ज्यों ही जगत्की में अवस्थित एक शिवतीर्थ । इसका वर्तमान नाम पोड़- निद्रा टूटी, त्यों ही महान् वा बुद्धिका विकाश हुआ। लूर है। ब्रह्माण्डपुराणके अन्तर्गत बुद्धिपुर माहात्म्यों उस समय जगत् अलक्ष्य रूपमें उसके गात्रमें अङ्कित हो इसका माहात्म्य विस्तारसे लिखा है। गया। महत्तस्य या बुद्धितरवसे अहंतस्वका अविर्भाव बुद्धिपूर्व (सं० वि०) इच्छाकृत, जो जान बूझ कर किया होता है। अतः यही बुद्धितत्व जगत्का मूल है। गया हो। ____प्रकृति, महत् और सांख्यदर्शन देखो। युद्धिप्रकाश - एक संस्कृत प्रन्थकार। सारमारीमें बन- कालिकापुराणमें बुद्धिक्षय और बुद्धिका कारण मालीने इनका उल्लेख किया है। इस प्रकार लिखा है- बद्धिमत्ता (स. स्त्री०) बुद्धिमान होनेका भाव, समझ. "शाकः क्रोधश्रलोभन कामोमोहः परासुता । दारो। ईर्षामानो विचिकित्सा कृपासूया जुगुप्सता ॥ बुद्धिमान (स० वि० ) जिसकी बधि बहुत प्रखर हो, जो द्वादशैते बुद्धिनाशहेतवो मानसा मलाः ॥" बहुत समझदार हो। (कालिकापु० १८ अ०) | बुद्धिमानी ( हिं० स्त्री० ) बुद्धिमत्ता देखो। शोक, क्रोध, लोभ, काम, मोह, ईर्षा, मान, विचि- बुद्धिराज-वाञ्छाकल्पलतोपस्थानप्रयोगके प्रणेता । ब्रह्म कित्सा, रूपा, असूया और जुगुप्सता ये १२ बुद्धिनाशके | राजके पुत्र । कारण और मानस-मल हैं। | बुद्धिलगोविन्द ---तिथिनिर्णयसंग्रहके रचयिता। २ एक प्रकारका छन्द । इसके चारों पादोंमें क्रमसे | बद्धिलिङ्ग--सारस्वतगच्छके एक जैनाचार्य । ये नवम १६, १४, १४, १३ मात्राएं होती हैं। इसका दूसरा नाम दशपूर्वी थे। पट्टायलीमें लिखा है, कि महावीर-निर्वाणके लक्ष्मी भी है । ३ छप्पयका ४२यां भेद । ४ उपजाति वृत्त- २६५ वर्षके बाद इन्होंने आचार्यपद ग्रहण किया था। का १४वां भेद । इसका दूसरा नाम सिद्धि भी है। बुद्धिवंत ( हिं० वि०) बुद्धिमान् , अक्लमंद । बुद्धिक ( स० पु०) नागराजभेद, एक नागका नाम। बुद्धिवसषप्प नायक-घेदनूर-राजवंशके एक राजा । इन्हों- बुद्धिकर शुक्ल-द्विविध जलाशयोत्सर्ग प्रमाणदर्शनके ने १७४० से १७५३ ई० तक राज्य किया था। प्रणेता । बुद्धिवर (सपु) विक्रमादित्यके एक मन्त्री । बुद्धिकामा (स० स्त्री०) कुमारानुचर मातृभेद, कार्तिकेयको बुद्धिवृद्धि ( स० स्त्री० ) १ शानवृधि । (पु०) २ शङ्करा- एक मातृकाका नाम। चार्यके एक शिष्यका नाम । बुद्धिचक्षु ( सं० पु०) प्रज्ञाचक्ष, धृतराष्ट्र । बद्धिशक्ति (स. स्त्री० ) मेधाशक्ति । बुद्धिचिन्तक (सं० वि०) बुद्धिपूर्वक चिन्त कारी। बुद्धिशाली ( स० वि० ) बुद्धिमान, समझदार । बुद्धिजीविन (सं०नि०) बुद्ध्या जीवति जीव-णिनि । वह बद्धिशील ( स० वि०) बुद्धिमान्, बुद्धिशाली। जो बुद्धिके द्वारा अपनी जीविकाका निर्वाह करता हो। बुद्धिशुद्ध (स० वि०) सद्बुद्धियुक्त, अच्छी समझवाला। "भूतानां प्राणिनः श्रेष्ठाः प्राणिनां बुद्धिजीविनः। बुद्धिश्रीगर्भ (सपु०) बोधिसत्वभेद । बढिमत्स नराः श्रेष्ठा नरेष ब्राह्मणाः स्मृताः॥" बुद्धिसहाय (सं० पु०) बुद्धी बुद्धाकृते कार्य सहायः। ( मनु १।६६) मन्त्री, वजीर । बुद्धितत्व (सक्ली० ) सांख्योक्त प्रकृतिका प्रथम विकार बुद्धिसागर ( स० वि०) १ अगाधबुद्धियुक्त । (पु.) महत्तस्व । बुद्धि और प्रकृति शब्द देखो। २ एक कोषकार। बुद्धिपर (स' लि०) जो बुद्धिसे परे हो, जिस तक बुद्धि बुद्धिसागर--एक जैनसूरि, बद्ध मानसूरिके शिष्य । यह म पहुंच सके। शायद १०८८ संयत्में विद्यमान थे। इनका बनाया बुद्धिपुर (स' क्ली०) १ बुद्धिस्थान । २ तओरके पश्चिम- हुआ श्रोबुद्धिसागर नामक एक व्याकरण मिलता है।