पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४७

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फरवरपुर-फजल हक ४ फखरपुर-१ अयोध्या प्रदेशके बहराइच जिलान्तर्गत एक कारियों के लिये वृटिश सरकारने एक विधाम-भवन बनवा उपविभाग। यहां सरयू, भकोशो, घर्धरा आदि नदियां रखा है। पर्वतके ढालप्रदेशस्थ वनको जला कर लोग बहती हैं। भूपरिमाण ३८३ वर्गमील है। इस सम्पत्तिके वहां आलको खेती करते हैं। वर्तमान सत्त्वाधिकारी कपूरथलाके महाराज हैं। लाहोर- फगुआ (हिं. पु०) १ होलिकोत्सवका दिन । होली देखो। राज रणजिसिंहके ख्यातिनामा दो पौत्र सरदार फते- २'फागुनके महीनेमें लोगोंका वह आमोद प्रमोद जो सिंह और जगज्योतिसिंहने चाहलारिराजको यह स्थान वसन्तऋतुके आगमनके उपलक्षमें माना जाता है । इसमें दान किया था । वूदीगजके विद्रोही होने पर यह लोग परस्पर एक दूसरे पर गंग कीच आदि डालते हैं स्थान उनसे छीन कर कपूरथलाके राजाको दे दिया और अनेक प्रकारके विशेषतः अश्लील गीत गाते हैं । गया। दोला देखो। ३ वह वस्तु जो किसीको फागके उपलक्षमें २ उक्त उपविभागका एक प्रधान ग्राम । यह अक्षा दी जाय। ४ फागुनके महीने में गाये जानेवाले गीत. २७ २५ उ० और देशा० ८१.३१ पू०के मध्य अवस्थित विशेषतः अश्लील गीत। है। पहले यह अहीरोंके अधिकारमें था । सम्राट फगुआना ( हिं० क्रि० ) किसीके ऊपर फागुनके महीने में अकवरने इस स्थानको उक्त परगनेका मदर बनाया और रंग छोड़ना या उसे सुना कर अश्लील गीत गाना। यहां एक दुर्गका भी निर्माण किया । राजस्व संग्रहके लिये : फगुन ( स० पु० ) एक गोत्रप्रवर्तक ऋषिका नाम । एक तहमोल स्थापित हुई । १८१८ ई० तक वह दुर्ग ! फगुनहट (हिं० स्त्रो०) १ फागुनमें चलनेवाली तेज हवा । और धनागार तहसीलदारके अधीन रहा । पोछे जबसे इस हवाके साथ बहत-मी धल और प्रक्षोंकी पत्तियां वह वू'दीराजके इलाकेमें आया तबसे उक्त दुर्ग जनहीन आदि भी मिठी रहती हैं। २ फागुनमें होनेवाली हो गया है। यहां शोरा तैयार होता है। वर्षा। फगवाडा -१ पञ्जाबके कपूरथला राज्यको तहसील । यह फगुनियाँ । हिं० पु० ) विसन्धि नामक फूल । अक्षा० ३.६ से २१३१ उ० और देशा०७५४४ से फगुहरा ( हि० पु० ) फगुहारा देखो। ७५ ५६ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ११८ फगुहारा ( हिं० पु० । १ फगुआ गानेवाला पुरुष । २ वह वर्गमील है। इसमें १ शहर और ८८ ग्राम लगते हैं। जो फाग ग्वेलनेके लिये होलीमें किमीके यहां जाय राजस्व दो लाख रुपयेसे ऊपर है। फजर ( अं० स्त्री० ) प्रातःकाल, मबेरा। २ उक्त तहमोलका प्रधान शहर । यह अक्षा० ३१ । फजल ( ० पु० ) अनुराह, मेहरवानी। १४ उ० और देशा ७५ ४७ पृ०के मध्य अवस्थित है। फजल उल्ला खाँ १ महिमुरगज हैदरअलीका विख्यात जनसंख्या पन्द्रह हजारके करीब है। यहो वाणिज्य-ध्यव- सेनापति । इसने १७६४-६५ ई०के मध्य सदाशिवगढ़, साय जोरों चलता है, इस कारण जनसंख्या भी धीरे धारवार आदि स्थानोंमें कई बार महाराष्ट्र-सेनाको विप धीरे बढ़ती जा रही है। शहरमें एक हाई स्कूल और में एक बाई स्कल और र्यस्त कर डाला था। महाराष्ट देखी। चिकित्सालय है। २ सम्राट बावरके सभास्थ एक अमीर । १५८६ ई०में फगु–पञ्जाबके अन्तर्गत केउन्थल राज्यके अधिकृत एक बनाई हुई इनकी एक मसजिद आज भी विद्यमान है। स्थान । यह सिमला पर्वतसे ६ कोस पूर्व कोटगढ़ जाने | फजल हक-एक मुसलमान अन्धकार । ये वैराबावासी के रास्ते पर अक्षा० ६१६ उ० और देशा० ७७ २१ फजल इमामके पुत्र थे। अपने पिताके जैसे ये भी अनेक पू०के मध्य अवस्थित है। यह सुरम्य स्थान अङ्गरेजोंको गद्य पद्यकी रचना कर गये हैं । १८५७ ई०के गदरमें अतिप्रिय है। समुद्रपृष्टसे इसकी ऊंचाई ६ हजार फुट आपने बन्दाके विद्रोही नवाबके साथ मिल कर अङ्गरेजों- है। सिमलाके अङ्ग्रेज-अधिवासी और वैदेशिक भ्रमण- के विरुद्ध युद्ध किया था। १८५८ ई०के दिसम्बरमासमें Vol. xt. 11