पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/५१५

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बेल्लूर---बेवस्था उत्तर आर्कट जिलेके बेग र नाटुकये अधीन एक प्रसिद्ध कर चुको था, परन्तु इतनेमें हैदरअलोको मृत्यु हो गई शहर। यह अक्षा० २५८३६ १३ ! ३० तथा और मन्द्राजने अंग्रेजो फौज भी आ धमकी, इससे उस देशा० ७५°४४ ८६७ पूमे, पाटर नदोके वार अंग्रेजोंको रक्षा हो गई । १६६१ ई में लार्ड कार्न- किनारे. मन्द्राजसे ८० माइल तथा आयटम , वालिसने इग्म दुर्ग को केन्द्र बना कर रङ्गपुरका युद्ध माइल पश्चिममें अव.स्थत है। यहां मनानिवास, छड़ा। १७६६ ई में श्रीरङ्गपत्तनके पतनके बाद टोपू सब कलेक्टरकी बाग, अदालत, मनाविभा मुलतानके परिवारके लोग इमो बेन्टर दुर्ग में आवद्ध गीय कार्यालय, जेल, 1 अममता , या श्वाना मार थे । १८० ईमें यहां जो सिपाही विद्रोह घर और गवर्नमेण्टके विभागीय कार्यालय तसा हुआ था, उनमें सुनानके परिवारका हाथ म्युनिसिपालिटी और जरवेका : स्टेशन हैं। या, रोमा बोका निवास है। इस विद्रोहमें इस कारण यह शहर बहु । सो घना वा । अगर या ममम्त अंग्रेज राजपुरुषों और यूरोपीयोने विद्रोहियोंक लगभग ५० हजार है। यहां का टुग परत । प्रानान हाथ प्राण विसर्जन किये थे। कर्नल जिलेसपोका चेटा- है। प्रवाद है, कि भद्रामा बासी भिसी व्यक्तिन १२७४. सं शीघ्र हो विद्रोही लाग शान्त हुए और टोपूका परि- से १२८३के भीतर उक्त र्ग निर्माण कर विजय नगर वाग्वर्ग कलकनेको स्थानान्तरित किये गये। के राजवंशको अर्पण कि. था। इलाका १७ वारदा उन दुर्गके सिवा यहां एक बहुत ही उपदा विष्णु के मध्य भागमें बीजापुर सुलतानने उक्त दुर्ग पर आक्र. मन्दिर है। इस मन्दिरका कारुकार्य और शिल्पनैपुण्य मण किया था । १७७६ ई. में महाराष्ट्र नायक तुकाजागवनं देख कर विमुग्ध हाना पडता है । मन्दिरके अलिन्दमें ४॥ मास तक अवरोध रनेके बाद बेल्टर अधिकार अश्वारोही मूत्तिमें अमा भाम्कय देखा जाता है, उसकी किया था। १७०८ ई०भलामदाऊद खान आ कर महा. तुटना अन्यत्र देखने में नहीं आती। इस मन्दिरक सिवा राष्ट्रोको भगा दिया। उसमय कर्णाटकके अन्दर घेल्टर यहांक नांद साहबकी ममजिद भा देखने को चोज है। दुग ही सर्वापेक्षा दुर्भद्य समझा जाता था । पाछे दास्त- यह शहर गरम होने पर भी स्वास्थकर है। यहां अलोने अपने जमाईका यदुर्ग द दिया। उनक पुत्र मुत्तिजा सुगन्धि फुप्पीको कपि यथेष्ट होती है। यहां प्रति दिन अलीने १७४१ ईमें यहा भवदर अलाको हत्या का। फूलांकी सैकड़ों टारियां गेल के जरिये मन्द्राजको रवाने मुर्तिजाअली अपने आंधनायक. आकंटक नवाबकं हाती है। आदेशको अमान्य कर स्वाधान भावसं यहाँका राज्य बेवक ( फा. वि. मुख, नासमझ। करते रहे । उस समय जगण आय.ट के नवावक मित्र बेवफो ( फा० सी० ) मयंता नासमझी। थे। वे १७५६ ई में मुसिजा पर शासन करनेकालय : बेवक्त (फा० कि० वि०) अनुपयुक्त समय पर, कुसमयमे । बेल्लूर आये , पर अकृत कार्य हा बापन काटने के लिये बेतन ( फा० वि०१ विना बर द्वारका, जिसके गहन उन्हें वाध्य होना पड़ा। १७० ३० अंग्रेजाने पुनः · आदिका कोई ठिकाना न हो। २ परदेसी। बेल्लूर दुर्ग पर चढ़ाई का, इस बार भी उन्हें लोट जाना बेवफा ( फा० वि० ) र जो मित्रता आदिका निर्वाह न पड़ा। कुछ भी हो, कई पं बाद अंग्रेजॉन वेल्लूर अधि- करें। २ दुःशील, बेमुरव्वत । ३ कृतम्न, किये हुए उप- कार कर लिया। १७६ : ई०म हैदरअलीने बेरल्लूर दुर्ग कारका न माननेवाला। अवरोध करनेका आयोजन किया। अन्तम १७८० ई० में बेवर ( हिं० पु०) एक प्रकारको घाम । इसकी रस्मी खाट बहुसंख्यक सैन्य-सामन्त ले कर व उक्त दुग को घेर चुनने के काममें आती है। बैठे। लगभग दो वर्ष तक येरा कायम रहा था, बेवरेवाजी ( हि० स्त्रो० ) चालाकी, चालबाजी। जिससे दुर्गस्थ अंग्रेज के नाको दम आ चुकी थी। बेवग्वार । हिं० वि० । तफमालवार, विवरण सहित । यहां तक, कि अंग्रेजी सना आत्म-समर्पण करनेको तयारी बेवस्था ( हि स्त्री० ) व्यवस्था दन्या । Vol. xv. 128