पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/५१७

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बेहरना-बैजादाई ५११ बहरना (हि फि० ) किमी में जका फटना या तड़क बैंड ( अं० पु०) झड। २ बजानेवालोंका झा जाना, दरार पड़ना, । । जिसमें सब लोग मिल कर एक साथ बाजा बजाते हैं। बेहरा (हिं० पु० ) १ एक प्रकारकी घास जिसे चौपाए । बै (हिं. स्त्रो०) १ बैसर, कंधी। २ वय देग्यो । बहुत पसंद करते हैं। २ मूजी बनी हुई गोल वा चिपटी बै ( अ० स्त्री० ) विक्रो, बेचना । पिटारी। इसमें नाकमें पहन की नथ रखी जाती है। बैकुठ ( हि० पु० ) वैकुण्ठ देखा । (वि.) ३ पृथक्, जुदा। बखरी । हि० स्त्री० ) वैग्वरी देग्वा । बेहरी हिं० स्त्री० ) किसी शेप कार्य के लिये बहुतमे बैखानम ( हिं० वि० ) वेरखानम देग्वा । लोगोंसे चंदेके रूपमें मांग :: एकत्र दिया हुआ धन । बैग ( अं० पु० ) १ थैला, झोला । २ टाटका एक प्रकारका २ इस प्रकार चदा उगाह का लिया । ३ वह किस्न जो थैला। इसमें यात्री अपना असवाव पर कर हाथमें असामी शिकामदारको दा । लटका कर माथ ले जाते हैं। बहला ( हि० पु० ) गारंगी . आकारका एक प्रकारका बैगन (हिं० पु. ) बैंगन देग्यो। अङ्करेजा वाडा बैगना ( हि०पू०)एक प्रकारका पकवान। यहन व हाल ( फा०वि० घ्याकु, चैन । आदि के तुकडोके वैमनमें लपेट कर और तेल मे तन कर यहाली ( फा० मा० ) व नका भाव, व चैनी। बनाया जाता है। घोहिसाब ( फा०शि० वि० ) ३ त अधिक, बहुत ज्यादा। बैगनी (हिं० स्त्री० ) बैंगनी ढग्यो । यहुनरा (हिं० वि०) जिसे : नर न आता हो, मूर्ख। बैजनी (हिं० स्त्री० ) १ फूल के एक पौधेका नाम । इसके २ वह भाद्र या वर जी .. गा करना न जानता हो। काण्डके सिरे पर लाल या पीले फल लगते हैं। वैजयन्त्री व हुरमत ( फा०वि० : कोई प्राष्टिा न हो, : देवा । २ विष्णुकी माला। वहजन। बैज ( पु.) १ चिह्न। २ चपरास । वहृदगी (फास्त्री० ) अन्य ग, अशिता । बैजई ( हि० पु० ) एक प्रकारका हलका नीला रंग । बहदा ( का० वि० ) १ जिज न हो, जो शिष्ठता। इस रंगकी रंगाई लखनऊमे होतो है यह रंग कौवेके या माता न जानता हा । २ जो शिष्टता या सभ्यता । अण्डेके रंगसे मिलता जुलता है, इस कारण इस रंगको के विरुद्ध हो, अशिष्टतापूर्ण लोग बैजई करते हैं। बहनापन ( फा० पु. ) हा का भाव, बेहदगी। वैजनाथ ( हिं: पु.) वैद्यनाथ दग्या । ब हैफ ( फा०वि०) चिन्तार. त, बेफिक । वैजयंती ( म० स्त्री० ) वैजया ती देवी । ब होश । फा०वि० ) अबे, सुध । चजला ( हिं० पु० ) १ उर्दका एक भेद । २ कबडोका व होशी ( फा० स्त्री० ) मृच्छ अचेतनना । खेल। बैंक ( अपु. ) वह स्थान । संस्था जहां लोग घ्याज बेजवाप ( सं० पु० ) बीजवापका अपत्य । पानेको इच्छाले रुपया जमा करते हों और ऋण भी बैजवापीय (सं० वि० ) व जवापि सम्बन्धीय । लेते हों, रुपयेके लेन देनको यो कोठो। बजा ( अ० पु० ) १ अण्डा। २ एक प्रकारका फोड़ा। बैंगन (हिं० पु० ) एक वार्षिक पाया जिसके फलको तर इसके भीतर पानी होता है। कारी बनाई जाती है । वा. : देखो । २ एक प्रकारका बैजाबाई-महाराष्ट्र-सरदार महाराज दौलतरायसिन्दको चावल जो कनारा और वखान्तमें होता है। महिषी। ये महाराष्ट्र-मन्त्री श्रोजीराव घाटगका कन्या बैंगनी (हिं० वि०) बैंगनके र का, बजनी। थी। १८वीं शताब्दीके शेषभागमे इनका जन्म हुमा बैंजनी ( हिं० वि० "जो लला लिये नीले रंगका हो, था। हिन्दूराव इनके भाई थे। बैंगनी। बचपनसे हो बैजाको प्रकृति दाम्भिकता पूर्ण थी। वह