पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/५१९

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बैठवाना-बैलर बैठवाना (हिं० क्रि०) १बैठानेका काम दूसरेसे कराना। बैदूय ( सं० पु०) बंदूर्य दग्या । २पेड़ पौधे लगवाना, रोपाना । बदेही ( स० स्त्री० ) वैदेही देगी। बैठा (हिं० पु. ) चमचा या बड़ी करछी। बैनतेय (म० पु० ) बननेय दग्या । बैठाना (हिं० क्रि० ) १ स्थित करना, आसीन करना। २ : वैना (हिं० पु०) वह मिठाई आदि जा विवाहादि उत्सवोंके नियत स्थान पर ठोक ठीक ठहरना। ३ प्रतिष्ठित करना, उपलक्षमें इष्टमित्रोंके यहां भेजो जाती है। नियत करना। ४ प्रतिष्टित करना, पद पर स्थापित बैन्दवाय ( स० पु. ) बन्दवि सम्बन्धीय । करना। ५ चलता न रहने देना, विगाड़ना। ६ नीचे- बन्दवि ( स० पु. ) विन्दुभव । की ओर ले जाना, धंमाना । ७ अभ्यस्त करना, मांजना। पारो ( हिं० पु० ) व्यापार करनेवाला, रोजगारी। ८ पानी आदिमें घुली वस्तुको तलमें ले जा कर जमाना। वैयन (हि. पु०) काष्ठयन्त्रविशेष, लकड़ी का एक औजार । ६ दबा कर बराबर करना, पचकाना या धंसाना। १०: यह बाना व ठानके काम आता है। क्षिप्त वस्तुको निर्दिष्ट स्थान पर डालना, लक्षा पर बरंग ( अं० वि० । वह चित्र या पारसल जिमका मह- जमाना। ११ घोड़े आदि पर सवार कराना। १२ सूल भेजनेवालेकी ओरम न दिया गया हो, पानेवालेसे पौधेको लगाना, जमाना। १३ काम धधेके योग्य न वसूल किया जाय। रखना, बेकाम कर देना। १४ किसी स्त्रीको पत्नोके रूप में बैर ( हि० पु० ) १ शन ना, अदावत। २ दुर्भाव, द्रोह । रख लेना। ३ हलमें लगा हुआ चोंगा। यह चिठमके आकारका होता है और इसमें भग हुआ चीज हल चलने में बगबर बैठालना ( हिं० क्रि० ) बैठाना देखा । । कृडमें पडता जाता है। ४ वेरका फल और पेड़। बैढना (हिं० कि० । बौंद करना, बढना । रत्र ( हिं. पु. ) धजा, पनाका । बैडाल ( हिं० वि० ) बिल्लीसम्बन्धी । बैरा (हिं० पु.) १ हलमें लगा हुआ एक प्रकारका चोंगा। बहालवत ( हिं० पु० ) बिल्लीके समान अपने घातमें यह चिलमके आकारका होना है और वाते समय बोज रहना और ऊपरसे बहुत सीधा सादा बना रहना। डाला जाता है। २सेवक, चाकर। ३टके ट्रक, बैड़ानवत देवा ।। गेड़े आदि जो मंहगव बनाते समय उसमें चुनी हुई वडालवतो ( हिं० वि० ) बिलटीके ममान अपग्मे मांधा ईटोंको जमी रखने के लिये सालो स्थानमै भर देते हैं। सादा, पर समय पर घात करनेवाला, कपटो। वगखो ( हि० स्त्री०) भुजा पर पहननेका एक गहना । बण ( स० पु० ) वासका काम करनेवाला। इसमें ल वातरे गोल बड़े बड़े दाने होते हैं और धागेमें बत ( अ० स्त्री० पद्य, श्लोक। गृथ कर पहने जाते हैं। बतरनी ( हिरो०) १ वैतरणी देखा । २ अगहन में हाने राग संप) येराग्य देग्यो । वाला पक प्रकारका धान। इसका चावल वा रागो हि०प० वैव मानक माधओंका भेद । रहता है। बैराग्य ( हिं. पु० । वैराग्य । बैताल ( स० पु. ) वेतात्न देवा । वैराना : हिं० कि० ) वायुके प्रकोपसे बिगड़ना । वैतालिक ( हिं० वि० ) वैतानिक देग्यो । बैरी (हिं० वि०) १ वैर रखनेवाला, दुश्मन । बैद ( हि० पु०) चिकित्साशास्त्रका जाननेवाला पुरुष। : बैल (हिं० पु. १ एक चौपाया। इसको मादाको गाय वैद्य देग्यो। कहते हैं । वृष देवो । २ मूव मनुष्य, जड़ बुद्धिका आदमी । बैदई ( हिं० स्त्री० वैद्यकी विद्या या व्यवसाय। वलर ( अॅ० पु० ) पीपेके आकारका लोहेका वडा देग बैदल ( स० क्ली० ) १ भिक्ष कका मृण्मयादि पान । (पु०) जो भापसे चलनेवाली कलों में होता है। इसमें पानी विदलो दालि तस्मात् जातः विद्ल अग् । २ पिष्टकभेद, : भर कर खौलाने और भाप उठाते हैं जिसके जोरसे कल- दालकी पीठी। के पुरजे चलते हैं। Vol. xv. 129