पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/५२०

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५१४ बैलून बैलून । अॅ० पु० ) १ गुवाग। २ बड़ा गुब्बारा जिसके गई है, इसलिए वह बैलून तब तक ऊपरको चढ़ता हो महारे पहले लोग ऊपर हवामें उड़ा करते थे । इस रहेगा, जब तक कि उसमें भरी हुई वायुके समान हलकी गुब्बारे द्वारा आकाशमार्गसे उड़ कर अनायासही वहां वायुराशि उसे न मिल जाय । जब समान वजनकी वायु के विभिन्न वायुस्तरों और खगोलस्थ नक्षत्रोंका परिदर्शन उसे मिल जायगी, तब उसको ऊर्ध्वगति रुक जायगी। तथा भूमण्डलस्थ बहुदूरवती वेशीको देखा जा सकता फिर ऊपरकी हवा जिस ओर बहेगो, बैलून भो उसी तरफ उड़ने लगेगा। लूनको हवा थोडी निकाल देनेसे वह यह साधारणतः कागज, मोटे रेशमी वस्त्र वा गटापार्चा नीचेको उतरंगा और उसके नोचे बंधी हुई नावमेंसे कोई नामक रबर संयुक्त वस्त्र द्वारा बनाया जाता है। इसकी भारी चीज नीचे फेक देनेसे कुछ ऊपर चढ़ सकता है। आकृति पलाण्डु वा तदाकार कन्द-विशेषके सदृश है। इस प्रकार उसके आरोहोके इच्छानुसार थोड़ा बहुत इस प्रकारकी एक बड़ी थैलीको रस्मोके जालमें चढ़ उत्तर तो सकते हैं, परन्तु वे इच्छानुसार एक देशले रख कर उसमें भाप भरी जाती है । भापमे भरपूर होने पर . दूसरे देशको नहीं जा सकते । वायुका प्रभाव उन्हें जिस थैली फूल जाती है और बाफके स्वाभाविक नियमानुमार ओर चाहे ले जा सकता है, उसमें आरोहीका कोई वश घह ऊपरको उड़ती है। उस थैली पर चढ़े हुए जालफी नहीं चलना । तमाम रस्मियोंको इकट्ठी बांध कर उसमें नाव बांध दो पानी में जिस प्रकार कोई चीज समायतनसम्पन्न जाती है, उस नावमें कभी एक और कभी फई आदमो स्थानान्तरित जलके भारके समान बल पर वहतो रहती बैठ कर वायुमण्डलमें उड़ते हैं। किस वैज्ञानिक कारण है, उसी प्रकार वायुने भी कोई भा वस्तु अपने समायतन से बैलून ऊपरको चढ़ता है, उसका विवरण नीचे दिया स्थानान्तरित वायुके भारके समान वल पर उड़ती रहती जाता है। है। जिस प्रकार, जिन चीजोंका आपेक्षिक गुरुत्व जलके उष्ण वायु साधारण वायुको अपेक्षा हलको होतो है, आपेक्षिक गुरुत्वसे अधिक है, उन चीजोंको पानीमें छोड़ इस कारण बैलून उष्ण वायुसे परिपूर्ण होने पर वह ऊपर देनेसे नीचे चली जाती है, जिनका आपेक्षिक गुरुत्व जलके को चढ़ाता है। दिवाली पर लड़के लोग कागजके वैलून आपेक्षिक गुग्त्यसे कम है, वे चीजें पानीमें बहने लगती बनाते और उसमें धूआ भर कर आकाश में उड़ाते हैं। हैं और जिनका आपेक्षिक गुरुत्व जलके आपेक्षिक गुरुत्व बड़े बड़े व्योमयान भी इसी प्रणालीसे उष्ण वायु द्वाग के समान है, उन चीजोंको पानीमें जहां रखा जायगा, ऊपर चढ़ाये जाते हैं। अब्जनक वाष्प और आदभौमिक वहीं पर वे स्थिर रहेंगी, उसी प्रकार जिन वस्तुओंका आदि जो वायवीय पदार्थ वायुगशिमे हलके हैं, उनके आपेक्षिक गुरुत्व वायुके आपेक्षिक गुरुत्वसे अधिक है, द्वारा भो बैलून उड़ाया जा सकता है। उदजन वाप्प द्वारा वे रस्तुएं वायुराशिके नीचे गिर जाती है, जिनका आपे छोटे छोटे रवरके बैलून और बड़े बड़े बैलून भी उड़ाये क्षिक गुरुत्व यायुके अपेक्षिक गुरुत्वसे कम है, वे वायु- जा सकते हैं, किन्तु उनमें विशेष ध्यय होता है। अब तो गणिके ऊपर उड़ने लगती हैं और जिनका आपेक्षिक खर्चकी किफायतीके कारण थैलनके लिए कोल गैस गुरुत्व जिस स्थानको वायुके आपेक्षिक गुरुत्वके समान ( कोयलेसे उत्पन्न गैस, जिसमे बड़े बड़े शहरोंमें वत्ती है. वे वस्तुए उसी स्थानकी वायुमें स्थिर रहेंगी। जलके जला करतो है ) काममें लाया जाता है। कोयलेको वाफ ममुद्भामकता गुणके कारण जैसे जहाज आदि एक वायुराशिसे हलकी होती है, इसलिए किसी भी बटनमें म्यानले दूसरे स्थानमें पहुंच जाते हैं, उसी प्रकार वायु- उसे भर दो, बलन आपसे आप ऊपरको चढ़ता रहेगा। राशिके समुद्भामकता गुणके सहारे व्योमयान भी आका. यदि उसके नीचे हलकी नाव लटका दी जाय, तो लोग गमागसे एक स्थानसे दूसरे स्थानमें पहुंच जाता है। उसमें बैठ कर अनायास ही आसमानको शैर कर सकते पूर्वकालमें इस देशमें व्योमयान बहुनायतसे व्यवहृत होते हैं। निम्नस्थ वायुसे उपरिस्थ वायु क्रमशः हलकी होती थे। प्राचीन आर्यगण पुष्पक आदि रथोंमें चढ़ कर आकाश