पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/५२३

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बैसाख-बोदर बैसाख (हि.पु. ) वैशाग्व देवा । बोझा ( हि पु० ) १ बाझ दग्यो । २ एक प्रकारको सङ्कोर्ण बैशाखी ( हि पु०) एक प्रकारको लाठी । इसके सिरेको काठरो जिसका आकार संदूक सा होता है। इस प्रकार- कंधेके नीचे बगल में रख कर लंगड़े लोग टेकते हुए : को कोठरोमें रावके बोरे इसलिये नीचे ऊपर रखे जाते हैं चलते हैं। इसके सिरे पर जो अर्द्धचन्द्राकार आड़ो जिसमें शोरा या जूसी निकल जाय । लकड़ी लगी होती है, वही बगलमे रहती है। बोझाई ( हि स्त्रो० ) १ योझने या लादनेका काम। २ बहानरि ( स० पु०) बहीनरका अपत्य ! बोझनेको मजदूरी। बोंक (हि.पु०) लोहेका एक तिकाना काला । यह बोट ( ० स्त्री० ) १ नाव, नौका । २ अग्निबोट, स्टीमर । कोवाड़के पल्ले में नोचेकी चूलको जगह लगाया जाता है। बारा ( हि० पु० ) १ लकड़ीका काटा हुआ मोटा टुकड़ा बोंगना हि पु. ) पोतलका एक बरतन। इसका बातें जो लम्याईमें हाथ दो हाथके लगभग हो, बड़ा न हो। २ ऊंची और सीधी ऊपरको उठी हुई हातो है। काटा हुआ टुकड़ा। बोआई ( हि स्त्रो०) १ बोनेका काम | २ बोनेको बोटो ( हि० स्त्री०) मांसका छोटा टुकड़ा । मजदूरी । वोड़ ( हि स्त्री० ) एक प्रकारका आभूषण जो सिर पर बोक (हिं पु०) बकरा । पहना जाता है। बोकड़ी (सं० स्त्रो० ) १ वस्त्रान्त्रा । २ धान्यविशेष । । बोड़रो (हिं स्त्री० ) नाभो, नोंदी। बोकरा (हिं पु०) बकरा दया । बोड़ल (हि स्त्री० ) एक पक्षी जिसे जेसर भी कहते हैं। बोकरी ( हि स्त्री० ) बकरी देखा । इसको चोंच पर एक सींग-मा होता है। यह एक प्रकार- बोकला (हि पु०) बकना देखा । का पहाड़ी महोख है। बोक्काण (हि.पु० । पश्चिम दिशाका एक पर्वत । बोड़ा (हि.पु०) १ अजगर, बड़ा माप । एक प्रकार- बोखार (हि.पु. ) बुग्वार देखा। की पतली लम्बी फलो जिमकी तरकारी होती है. बोगुमा (हि०पू०) घोडोंकी एक बीमारी इससे उनके लोबिया। पेटमें ऐसी पीड़ा होती है, कि वे बेचैन हो जाते हैं। बोड़ी ( हि स्त्री०) १ दमड़ी। २ अति अल्प धन । बोज ( हि पु० ) घोड़ोंका एक भेद। बोत (हि.पु.) घोड़ोंकी जाति । बोजा (फा० स्त्री०) चावल प्रस्तुत मद्य, चावलको शराब। बोतक ( हिं० पु०) पानको पहले वर्षको वेती। बोझ ( हि पु० ) १ ऐसा पिण्ड जिसे गुरुत्वके कारण बोतल ( अं० स्त्री० ) कांचका एक लम्बी गरदनका गहग उठाने में कठिनता हो, भार । २ कोई ऐमा कठिन काम बरतन जिसमें द्रव पदार्थ रखा जाता है। जिसके पूरे होनेको चिन्ता बराबर बनी रहे, मुश्किल बोतलिया ( हि० वि० ) बोतलके रंगका, कालापन लिये काम । ३ कठिन लगनेवालो बात पूरी करनेकी चिंता, हरा। खटका या अममंजस । ४ गुरुत्व, भारीपन । ५ उतना ढेर बोता ( हि पु. ) ऊँटका वचा जिम पर अभी सवारी न जितना बैल, घोड़े, गाड़ी आदि पर लद सके । ६ किसो होती है । कार्यको करनेमें होनेवाला श्रम, कट या व्यय। ७ धाम, बोदको ( हिं स्त्री ) कुसुम या बर्ग की एक जाति । इसमें लकड़ी आदिका उतना ढेर जितना एक बैल लाद कर ले कांटे नहीं होते। इसके फल रंगाई के काममें आते हैं। सके। ८ वह व्यक्ति या वस्तु जिमके सबन्धमें कोई बोदर ( हिंस्त्री० ) १ लचीली छड़ी। पु० ) २ ताल या ऐसी बात करमी हो जो कठिन जान पड़े। जलाशयके किनारे सिचाईका पानी नढ़ाने के लिये बना बोझना (हि० कि० ) किमी नाव या गाड़ी पर माल हुआ स्थान जिमके कुछ नीचे दी आदमी इधर उधर रखना। खडे हो कर टोकरे आदिसे उलाच कर पानी ऊपर बोझल (हि. वि०) भारी, वजनदार । गिराते रहते हैं। Vol. xv. 130