पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/५८

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फतेसिंह-फतेहाबाद था। १८१६ ई०में काश्मोर-अभियानकालमें राजधानी- अश्वारोही सेनासे मदद पहुंचानेका वचन दिया । १८१३ को रक्षाका कुल दारमदार इन्हींके हाथ था। १८२१ ई० में ई०में भी अंगरेजोंने उनकी सहायता की थी, किन्तु अब इन्होंने मलखेरा दुर्ग फतह किया था। भी मराठोंका क्रोध शान्त नहीं हुआ था। पेशवा उनसे ___ बन्धुवर फतेसिंहको वीरता पर रणजित्सिंह मन ही ७ लाख रुपये आयको सम्पत्ति मांगी। फतेसिंहने अपना मन जलते थे। उनकी इच्छा थी, कि यदि वे किसी तरह सारा राज्य छोड़ देना चाहा। कारण, गङ्गाधर शास्त्री फतेसिंहको इस संसारमे बिदा कर सके, तो उन्हें पहले ही पेशवाको खुश रखनेके लिये विवाह और राज्य- भविष्यमें कोई तुर न रहेगा, रास्ता विलकुल साफ हो दानके सम्बन्धमें पत्र दे चुके थे । पत्र पा कर पेशवा जायगा। इसी अभिप्रायसे उन्होंने लाहोरदरबारस्थित ! विवाहोल्लाससे अग्रसर हुए। गङ्गाधर इस बार बड़ी फतेसिंहके विश्वस्त कर्मचारी कादिर बक्सके साथ षड़ मुश्किल में पड़ गये। इस कारण उन्हें असली बात प्रकट वस्त्र करके फकीर आजीज उद्दीन और आनन्दराम करनी ही पड़ी । पेशवाने क्रोधसे अन्ध हो बड़ोदाकी यात्रा पिण्डारीको अहलूवालिया राज्य जीतनेके लिये जलन्धर की और छलसे गङ्गाधरकी बड़ी निष्ठुरतासे हत्या कर भेजा। यह संवाद पाते ही फतेसिंह जान ले कर भागे पाशव चरित्रकी पराकाष्ठा दिखलाई। कहते हैं, कि इस ( १८२५ ई में ) । अब उन्होंने अंगरेजोंसे सहायता मांगी। हत्याकांड में फतेसिंहके शेष दो भाइयोंकी भी सलाह थी। किन्तु रणजित् अंगरेजराजके दोस्त थे, इस कारण उनके फतेह ( अ० स्त्री० ) विजय, जीत । विरुद्ध कोई कार्रवाई करना अच्छा नहीं समझा । फलतः फतेहाबाद---पञ्जाबप्रदेशके हिसार जिलेकी तहसील । फतेसिंह निःसहाय हो राज्य खो बैठे। पीछे दोनोंमें यह अक्षा० २६.३ से २६ ४८ उ० देशा० ७५ १३ से मेल हो गया। भवनहाल सिंह और देशसिंहने उन्हें: ७६ . पू के मध्य अवस्थित है। क्षेत्रफल ११७८ वर्ग- खोया हुया अधिकार वापस दिया। इसके बाद फते- मोल और जनसंख्या दो लाखके करीब है इसमें १ शहर सिंहने विश्वासघातक कादिरबक्सके लड़कोंको कैद कर और २६१ ग्राम लगते हैं। घघरीसे एक नहर काट कर उनसे कुछ रुपये वसूल किये। तहसीलके उत्तर हो कर निकल गई है। ____ अनन्तर फतेसिंह कपूरथला जा कर स्वच्छन्दसे रहने २ उक्त तहसीलका सदर। यह अक्षा २६३१ उ० लगे। १८३७ ई०के अकबरमासमें उनको मृत्यु हुई। और देशा० ७५ २७ पू० हिसारसे ३० मील उत्तर- पोछे उनके बड़े लड़के नेहालसिंह कपूरथलाके सिंहा- , पश्चिममें अवस्थित है। जनसंख्या लगभग २७८६ है। सन पर बैठे। १३५२ ई में सम्राट फिरोजशाह अपने लसके फतेखांके ___ फतेसिंह आजीवन सदालापी और उदारहृदयके थे। नाम पर इस नगरको बसाया । १६वों शताब्दीके प्रारम्भमें मेटकाफसाहबने लिखा है, "वे नम्र, विनयो, सत्स्वभाषा यह स्थान भट्टिसरदार खा बहादुरखाके अधिकारमें था। पन्न, सरलप्रकृतियुक्त और असीम यीर्यवान् थे।" घघरासे ले कर इस नगर पर्यन्त फिरोजशाहकी एक नहर फतेसिंह ---बड़ोदाके गायकवाड़-राजभ्राता । जब बड़ौदाका दौड़ गई है। यहां देशोवस्त्र, घृत और चमड़े का भारी सिंहासन ले कर माना षड़यन्त्र चलने लगा, तब इन्होंने कारबार है। राजकार्य चलानेका भार ग्रहण किया। गङ्गाधर शास्त्री ३ उक्त तहसीलका प्रधान नगर और विचार सदर । उनके मन्त्री थे । मराठोंके साथ उन्हें अनेक बार युद्ध यह अक्षा० २११ उ० और देशा० ७८ २०पू०- करने पड़े थे। प्रत्येक बार उन्होंकी हार होती गई थी। के मध्य अवस्थित है। पहले यह स्थान जाफरनगर नाम- आखिर उन्होंने १७८० ईमें अंगरेजोंकी सहायता ली। से प्रसिद्ध था। औरङ्गजेबने दाराको परास्त कर इसका परन्तु १७८० ईमें दभोई अधिकारके वाद उनकी बुद्धि । फतेहाबाद नाम रखा। युद्धके बाद थकावट दूर करनेके बिलकुल पलट गई। उन्होंने अंगरेजोंसे अहमदाबाद लिये सम्राट्ने जहां विश्राम किया था वहां उन्होंने एक नगरके लिये प्रार्थना की और उसके बदलेमें ३ हजार धर्ममन्दिर बनवा दिया जो आज भी विद्यमान है।