पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/५९३

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ब्रह्मकृत- ब्रह्मग्रह ५५७ "पञ्चगव्येन देवेश यः स्नापयति भक्तितः। ब्रह्मगति ( स० स्त्री० ) मुक्ति, नजात । ब्रह्मकूर्चविधानेन विष्णुलोके महीयते ॥" ब्रह्मगन्ध (स० पु०) ब्रह्मका विकाश वा ज्ञानरूप सौगन्ध । "ब्रह्मकूर्च विधानेन कुशोदकयुक्तेन ।" (देवप्रतिष्ठातत्त्व) ब्रह्मगया गयातीर्थ । गया देखो। प्राकृत ( स० वि०) ब्रह्म तपःकरोतीति कृक्विए । १ ब्रह्मगर्भ ( स०पू० ) १ एक स्मृतिशास्त्र के प्रणेता । (स्त्री०) तापस, तपस्याकारी । २ स्तोत्रकारी, जो कायमनो-. ब्रह्म व गर्भो यस्याः। २ आदित्यभक्ता, हुरहुर । ३ वाक्यसे पूजा और भजना करते हैं । ( पु० ३ विष्णु। अजगन्धा, अजमोदा । ४ शिव । ५ इन्द्र। ब्रह्मगवी (सस्त्री० ) ब्राह्मणकी अधिकृत गाभी। ब्रह्मकृत (स० वि० ) ब्रह्मणा कृतः। ब्रह्मा द्वारा किया ब्रह्मगांठ ( हिं० स्त्री० ) जनेऊकी गांठ । हुआ। ब्रह्मगायत्री । संस्त्री० ) गायत्री मंत्रविशेष । ब्रह्मकृति ( सं स्त्री०) क्रियमाण ब्रह्मस्तोल। ब्रह्मगाग्र्य ( पु० ) ऋषिभेद । ब्रह्मकोश (सं० पु.) ब्रह्माका रत्नभण्डार, ब्रह्मतत्त्वा- ब्रह्मगिरि ( स० पु० ) ब्रह्मणा गिरिः पर्वतः । ब्रह्मशैल । श्रित पवित्र शब्द वा प्रन्थ । यह पर्वत नीलकूट नामक कामाख्यानिलयके पूर्व में अव- ब्रह्मकोशी (सं० स्त्री०) ब्रह्मणः कोशीव । अजमोदा। स्थित है। ब्रह्मक्षत्र-१ ब्राह्मण और क्षत्रियसे उत्पन्न एक जाति। ब्रह्मगिरि - मन्द्राज प्रेसिडेन्सीके मलवार. जिलान्तर्गत २ ब्रह्मतेजा क्षत्रिय । एक गिरिश्रेणी । समुद्रपृष्ठसे इसकी ऊंचाई प्रायः "ब्रह्मक्षत्रस्य यो योनिशो राजर्पिसत्कृतः।" । ४५०० फुट है। दावसीवेत्ता नामक इसका सर्वोच्च (वि०पु० ४।२१।४) : शिखर ५२७६ फुट ऊंचा है। यह अक्षा० ११५६ उ० श्रीधरस्वामीने तट्टीकामें इस क्षत्रिय जातिके तथा देशा० ७६२ पू०के मध्य अवस्थित है। इसके सम्बन्धमें इस प्रकार व्यवस्था की है,- "ब्रहमणः चारों तरफ जंगल है। बाह मणास्य क्षत्रस्य क्षत्रियस्य च यानिः कारणं नत्रियैव ब्रह्मगीता (स. स्त्री०) ब्रह्मणः गीता ६-तत् । १ महाभारतके कैश्चित्तपाविशेषात् ब्राहं मण्यं लब्धमिति ।" दाक्षिणात्यमें ! अनुशासन पर्व में ब्रह्मकत्तक कथित अनुशासन रूप ये ब्रह्मक्षत्रगण आज भी कायस्थोंके आचार व्यवहारका गाथा। (भारत अनुशासनप० ३५ अ०) २ शिवपुराणके अन्तर्गत पालन करते और कायस्थ कहलाते हैं । कुलीन देग्वा । ज्ञानखण्डके से ६ अध्याय पर्यम्त; वह विभाग जिसमें ३ ब्रह्मशान और क्षत्रवीर्यशालो । प्रजापति दक्ष वेदान्त और योगशास्त्रकी अवतारणा हुई है। ब्रह्मतेज और क्षत्रिय बीर्यसे पूर्ण हो ब्रह्माधिष्ठित प्रदेश ब्रह्मगीतिका (सं० स्त्री० ) बृह्माकी स्तुति वा गीत । तपस्याके लिये गये थे। ब्रह्मगुप्त ( सं० पु० ) १ विद्याधर भोम पत्नीके गर्भ और "दक्षो दत्त्वाऽथ ताः कन्याः ब्रहमक्षत्र प्रपद्य च। ' ब्रह्माके औरससे उत्पन्न एक पुत्रका नाम । २ एक ज्योति- ब्रहमणाऽध्युषितं पुण्यं समाहितमना मुनिः।।" विद्। इनका जन्म ५६८ ई०में हुआ था। इनका बनाया हरिवश ११२) हुआ ब्रह्मसिद्धान्त आज भी मिलता है। ३ भक्त सम्प्रदाय. ब्रह्मक्षेत्र (सक्लो०) १ ब्रह्माका अधिष्ठानस्थान मानव-! के एक गुरु । ब्रह्मगुप्तोय (सं० पु. ) ब्रह्मगुप्तवंशोद्भष राजपुत्र । "ब्रहमणा स्तोत्रससिद्धा जनित्र प्रथमे पदे। ब्रह्मगोल (सं० पु. ) भूमण्डल, पृथ्वी।। ब्राहमयाऽध्युषितवाच्च ब्रहमक्षेत्रमिहोच्यते ॥" ब्रह्मगौरव ( सं० क्ला० ) ब्रह्ममहिमसूत्रक अस्त्रादि । ___(हरिवंश) ब्रह्मप्रन्थि ( सं० पु० ) यज्ञोपवीत या जनेऊकी मुख्य गांढ । २ घेदमन्त्रपारग ब्राह्मण-अधिवासित पुण्यस्थान । ब्रह्मग्रह ( सं० पु० ) ब्रह्मराक्षस