पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/६०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

प्रापदण्डी-ब्रह्मदेश ५५ ३ ब्राह्मणका शापरूप दण्ड, ब्रह्मशाप। ४ विप्रकी | लिए १८२४ और १८५२ ई०में दो युद्ध किये जिनमें यष्टि। ५ केतुभेद। उन्हें ब्रह्मराज्यका कुछ अंश युद्धव्ययको क्षतिपूर्तिमें ब्रह्मदण्डो ( स० स्त्री० ) ब्रह्मणे ब्रह्मोपासनाथं दण्डी क्षुद्रो मिला। वही इतिहासमें अंगरेजाधिकृत ब्रह्म ( British दण्डः । जङ्गलोंमें मिलनेवाली एक जड़ी। इसकी पत्तियों Burma ) नामसे लिखा है। शासनकार्यकी सुविधाके और फलों पर कांटे होते हैं। वैद्यकमें इसे गरम और लिए अंगरेजोंने उस प्रदेशको चार विभाग और बोस कड़वी तथा कफ और बातनाशक माना गया है। जिलेमें बांट दिया। यान्दावू-सन्धिके बाद आराकान ब्रह्मदत्त (स. पु० ) १ इक्ष्वाकुवंशीय राजविशेष । इसका और तेनासरीम विभाग भी भारतसाम्राज्यके अन्तगत पर्याय ब्रह्मसूनु है। २ स्वनामख्यात नीपपुत्र । (त्रि०) | हुआ। उसी समयसे अड़तीस वर्ष तक उक्त स्थानका ३ ब्रह्मकत्तंक दत्त, जो ब्रह्मसे दिया गया हो। ४ ब्राह्मण शासनभार बङ्गालके छोटे लाटफे ऊपर सौंपा गया। को जो दिया गया हो। (पु०) ५ शुकदेवकी कन्या | १८५३ ई में पेगु और मातवान अंगरेजोंके अधिकारमें कृत्वीसमाख्याके गर्भसे उत्पन्न अणुहके एक पुत्रका आया । १८६२ ई० में अंगरेजोंने उक्त चार प्रदेश एक साथ नाम। हरिवंशके ११वें अध्यायमें इसका उत्पत्ति-विव मिला दिये और सर अर्थर फेरी (Sir Arthur Phayre, रण लिखा है। The first Chief-commissioner) को वहांका स्वतन्त्र ब्रह्मदर्भा (सं० स्त्री०) ब्रह्मणे हितो दर्भो यस्याः। यमानिका, शासनकर्ता बनाया। अजवाइन । ____ वङ्गसीमा पर आक्रमण करनेका समुचित दण्डस्वरूप ब्रह्मदातृ ( स० पु०) ब्रह्म-दा-सृच । वेददाता आचार्य । दक्षिण ब्रह्म ( Lower Burma) का कुछ अंश अंगरेजों- __ ब्रहाद देग्यो। के हाथ सौंप कर सम्राट आलौमपयाके वंशधर उत्तरब्रह्म ब्रह्मदान ( स० क्लो०) ब्रह्मणः वेदस्य दानं । वेददान, । (Nipper Purma) की ओर चले गए और आवा नगरमें वेदाध्यापन। सभो दानोंमें वेददान उत्कृष्ट है। राजधानी बसा कर राजकार्य चलाने लगे। स्वाधीन- ब्रह्मदास ( स० क्लो० ) ब्रह्मणो ब्राह्मणस्य हितकरो दारुः। चेता ब्रह्मराजके उद्धत स्वभावको रोकने और उनके १ स्वनामख्यात अश्वत्थाकार वृक्षविशेष, शहतूत । अनुचरवर्ग द्वारा अंगरेजीप्रजा जो सताई जाती थी उसे पर्याय-नूद, पूष, क्रमुक, ब्रह्मण्य, तूल, पलाशिक, तल, निवारण करनेके लिये भारतराजप्रतिनिधि लाई उफरिनने पूग, यूष । १७८५ ई०के शेष भागमें मन्दालयको ओर एक दल सेना ब्रह्मदाय ( स० पु०) वेदका वह भाग जिसमें ब्रह्माका भेजी। इस सेनादलने वहां जा कर राजसिंहासन छीन निरूपण हो। लिया और ब्रह्मराजको नजरबन्द कर भारतवर्ष भेज दिया। ब्रह्मदेया (स स्त्री० ) ब्रह्मणे देया । ब्रह्मविधिके अनुसार बड़े लाटने पहले मन्त्रिसभा ( Central Council of देया कन्या, ब्रह्मविवाहमें दी जानेवाली कन्या। Burmese Ministers ) द्वारा वहांके राजकार्यकी देख- ब्रह्मदेश-भारतवर्ष के पूर्व दिग्वत्ती प्रायद्वीय*के अन्तर्गत भाल करनेका विचार किया था, किंतु दुष्ट मन्त्रिदलके बुरे वर्तमान अंगरेजाधिकृत एक राज्य । भू-परिमाण २३७००० व्यवहार और जालराजपुत्रोंके सिंहासन पर अधिकार वर्गमील है जिनमेंसे १६६००० ब्रिटिश राज्यके अधीन जमानेकी चेष्टाके हेतु युद्धविग्रहसे उकता कर उन्होंने और ६८००० वर्गमोल स्वतन्त्र राज्य है। १८८६ ई०में सारा ब्रह्मसाम्राज्य अंगरेज-शासनाधीन जब ब्रह्मवासियोंका उत्पात असह्य हो गया तब अंग- कर लिया। पहले प्रधान कमिश्नर द्वारा ही राजकार्य रेजोंने ब्रह्मदस्युके आक्रमणसे भारतसीमान्तकी रक्षाके परिचालित होता था। अन्तमें सारे ब्रह्मके प्रधान शासनकर्ता-स्वरूप एक लेफटनेण्ट गवर्नर नियुक्त

  • यूरोपीय भौगोलिकोंने इसे Eastern Peninsula या हुए हैं।

India beyond the Ganges नामसे उल्लेख किया है। स्वाधीन ब्रह्मराज्य जब अगरेजोंके अधिकारमें आया