पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/६१

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फरकीला-फरश ५५ लासा लगा कर चिड़ीमार चिड़ियां फसाते हैं। २ वह ! ४ कागजका पूरा तख्ता जो एक वारमें प्रेसमें छापा बड़ा पत्थर जो दीवारोंकी वुनाईमें दूर दूर पर खड़े जाता है। फार्म देखो। बलमें लगाया जाता है। फरमाइश ( फा० स्त्री० ) आशा, विशेषतः वह आज्ञा जो फरकीला ( हिं० पु० ) फर किल्ला देखो। कोई चीज लाने या बनाने आदिके लिये दी जाय । फरजद (फा० पु० ) पुत्र, लड़का, बेटा। . फरमाइशी ( फा०वि० विशेषरूपसे आज्ञा दे कर मंगाया फरजिंद ( हिंपु०) फरजद देखो। या तैयार कराया हुआ। फ़रज़ी ( फा० पु० ) शतरंजका एक मोहरा जिसे रानी फरमान (फा० पु० ) राजकीय आज्ञापत्र, अनुशासनपत्र । या वजीर भी कहते हैं। खेलमें जितने मोहरे हैं सबोंसे फरमाना ( फा० क्रि० ) आशा देना, हुकुम देना। इस यह बड़ा उपयोगी माना जाता है। शतरजके किसी शब्दका प्रयोग प्रायः बड़ोंके सम्बन्धमें उनके प्रति आदर किसी खेलमें यह टेढा चलता है और शेष में प्रायः यह मूचित करनेके लिये होता है। सीधा और टेढा दोनों प्रकारकी चाल आगे और पीले फरयाद ( हि स्त्री० ) फरियाद देखो। दोनों ओर चलता है। (वि०) २ बनावटी, नकली। फरयारी । हिं० स्त्री० ) हलके जांघेमें लगी हुई वह लकड़ी फरजीवद ( फा० पु० ) शतरंजके खेलमें एक योग। जिममं फाल लगा रहता है, खोंपी । इसमें फरजी किसो प्यादेके वल पर वादशाहको ऐसी फरलांग ( अं० पु. ) भूमिकी लम्बाईको एक अंगरेजी शह देता है जिससे विपक्षकी हार होती है। | माप। यह एक मोलका आठवा भाग और चालीस फरद ( अ० स्त्री० ) १ लेखा वा वस्तुओंकी सूची आदि । राड या पोल लट्ठ) के बराबर होता है। जो स्मरणार्थ किसी कागज पर अलग लिखी गई हो । २ फरलो ( स्त्री) एक प्रकारको छड़ी जो सरकारी एक प्रकारका लषका कवतर। इसके सिर पर टीका नौकरोंको आधे वेतन पर मिलती है। होता है। अबरफीले पहाड़ों पर होनेवाला एक प्रकार : फरवरी ( अ० पु. ) अंगरजी मनका दसरा महीना । यह का पक्षी। इसके विषयमें वैसी ही बातें प्रसिद्ध हैं महीना प्रायः अट्ठाइस दिनका होता है, परन्तु जब जैसी चकवा और चकई के विषय में। ४ वह कविता लीपियर आता है अर्थात् जब सन् इसवी ४से पूरा पूरी जिसमें केवल दो पद रहते हैं। ५ रजाई या दुलाईका विभक्त हो जाता है, उस वर्ष यह २६ दिनका होता है। ऊपरी पला। ६ एक ही तरहके, एक साथ वनानेवाले जब मन्में एकाई और दहाई दोनों अंकोंके स्थानमें शन्य अथवा एक साथ काममें आनेवाले कपड़ोंके जोडे मेंसे होता है, उस अवस्थामें यह तब तक २६ दिनका नहीं होता जब तक सैकड़े और हजारका अंक ४से पूरा पूरा एक कपडा, पल्ला। (वि०) ७ अनुपम, बेजोड़। विभाजित न हो। फरफद (हिं० पु०) १ छल कपट, दांव पेत्र । २ नखरा, : फरवार (हिं पु०) खलिहान । चोचला। फरवारी (हिं स्त्री०) अन्नका वह भाग जो किसान फरफर ( हि पु० ) किसी पदार्थके उड़ने या फड़कनेसे अपने खलिहानमेंसे राशि उठानेके समय वढई, धोबी उत्पन्न शब्द । ब्राह्मण, नाई आदिको निकाल कर देते हैं। फरफराना ( हिं० क्रि०) 'फरफर' शब्द उत्पन्न हाना, ' फरवी (हि. स्त्री. ) एक प्रकारका भूना हुआ चावल जो फड़फड़ाना। भुनने पर भीतरसे पोला हो जाता है, लाई । २ फरमाबरदार (फा० वि०) आज्ञाकारी, हुक्म मानने- फही देखो। वाला। फ़रश (अं० पु०) १ बैठने के लिये बिछानेका वस्त्र, विछा- फरमा ( अपु० ) १ ढांचा, डौल । ३ लकड़ी आदिका वन। २ घर या कोठरीके भीतरकी वह समतल भूमि बना हुआ ढाँचा या साँचा जिस पर रन कर चमार जूता जो पत्थर या ईटे बिछा कर या चूने गारेसे बराबर की बनाते हैं, कालबूत। ३ कोई चोज ढालनेका साँचा। गई हो। ३ समतलभूमि, धरातल ।