पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/६१५

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०६ ब्रह्मपर-ब्रामपुरी किए। वेद और ब्राह्मणोषक, जो वेद और ब्राह्मणकी ब्रह्मपति (स.पु.) १ वृहस्पति । २ ब्रह्मणस्पति । हिंसा करता हो। | ब्रह्मपत्र (सं० क्लो०) ब्रह्मणस्तदाख्यया प्रसिद्धस्य वृक्षस्य ब्रह्मधर ( स० क्ली०) ब्रह्मज्ञानसम्पन्न । पत्र। पलाश पत्र, पलासका पत्ता । ब्रह्मधातु (संपु०) १ ब्रह्मरूप धातु। २ रुद्र । ब्रह्मपत्री (सत्रो०) वाराही नामक महाकन्द शाक। ब्रह्मण-ब्रह्म देखो। ब्रह्मपथ (सक्ली ) ब्रह्म प्राप्तिकर पन्थ। ब्रह्मनाभ (सं० पु०) ब्रह्म नाभौ यस्य। विष्णु । ब्रह्मपद ( स० पु० ) १ ब्रह्मका शाम । (क्लो०) २ ब्रह्मत्व । ब्रह्मनाल (स० क्ली०) ब्रह्मणो ब्रह्मलोकप्राप्त लमिव । ३ ब्राह्मणत्व । काशोधामके मणिकणिका समीपस्थ तीर्थविशेष । ब्रह्मपन्नग (सपु०) मरुभेद । "पितामहेश्वर लिंग ब्रह्मनालोपरिस्थितम् । ब्रह्मपणों ( स० स्त्री० ) ब्रह्म व विस्तीर्णानि मामूल पूजयित्वा नरो भक्त्या ब्रह्मलोकमवापनुयात् ॥" स्थितानि पर्णानि यस्याः। पृश्निपणी, पिठवन मामको (काशीख० ६१ अ.) लता। ब्रह्मनालके ऊपर महेश्वर लिङ्ग स्थापित हैं। इस ब्रह्मपर्वत ( स० क्ली० ) पवतभेद । लिङ्गकी पूजा करनेसे ब्रह्मलोककी प्राप्ति होती है। इस ब्रह्मपलाश ( स० पु० ) अथर्ववेदकी एक शाखा । तीर्थमें शुभाशुभ जो कर्म किया जाता है, यह अक्षय ब्रह्मपवित्र (सं० पु०) ब्रह्मणि वेदोक्तकर्मणि पवित्रः । कुश । होता है। काशीखण्डके ६१वें अध्यायमें विशेष विवरण ब्रह्मपादप (सं० पु०) ब्रह्म तदाख्यया प्रसिद्धः पादपः। लिखा है, विस्तार हो जानेके भयसे यहां कुल नहीं दिया पलाश वृक्ष। गया । ब्रह्मपाद्य (सपु०) वृक्ष विशेष, ब्रह्मपणीं। २ बौद्धके ब्रह्मनिर्वाण ( स० क्ली० ) ब्रह्मणि परब्रह्म निर्वाणं लयः। मतसे ब्रह्माका परिचारक वर्ग। ब्रह्ममें निवृत्त, परब्रह्ममें लय प्राप्त होना ही ब्रह्मनिर्वाण ब्रह्मपाश ( स० पु०) ब्रह्मपदस अस्त्रविशेष, ब्रह्मका दिया है । अज्ञानके विलकुल दूर होनेसे ही ब्रह्मनिर्वाण हुआ पाश नामक अस्त्र। पाश या फंदेका प्रयोग प्राचीन होता है। कालमें युद्ध में होता था। "एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ ! नैनां प्राप्य विमुह्यति । ब्रह्मपिशाच ( स० पु० ) ब्रह्मराक्षस । स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति ॥" ब्रह्मपुत्र---अन्तस्थ 'व'में देखो। (गीता २।७२) ब्रह्मपुत्री (सं० स्त्री० ) ब्रह्मणः पुत्री कन्या। १ सरस्वती जो समस्त घासनाओंका निःशेषरूपसे परित्याग नदी। २ सरस्वती । ३ बाराहीकन्द । कर भाखिर जीवनके ऊपर भी निस्पृह हो अहं मदी- ब्रह्मपुर (सं० क्लो०) ब्रह्मणः पुरः। १ ब्रह्मके अनुभवका यत्वभावको विसर्जन करते हुए विचरण करते हैं, उन्हींको स्थान, हृदय । २ ब्रह्मलोक। ३ ईशानकोणमें स्थित निर्वाणमुक्ति होती है । इस अवस्थाको ब्रह्मसंख्यान कहते एक देश । हैं। यह ब्रह्मसंस्था वा ब्राह्मीस्थिति प्राप्त होनेसे ही जीव ब्रह्मपुराण (सं० क्ली०) वेदव्यास-प्रणीत । पुनर्वार मुग्ध नहीं हो सकता। जीवनकी शेष दशामें भी पुराणों में इसका नाम पहले आनेसे कुछ लोग इसे आदि यदि जीव ऐसी ब्रह्मनिष्ठामें रत रहे, तो भी वह ब्रह्ममें | पुराण भी कहते हैं। विशेष विवरण पुराण शब्दमें देखो। हो विलीन हो जाता है। इसीका नाम ब्रह्मनिर्वाण है। ब्रह्मपुरी--१ मध्यप्रदेशके चन्दा जिलान्तर्गत एक तह- ब्रह्मनिष्ठ (स.पु.) १ पारिशपिप्पल, पारीस पीपल । सील। भू-परिमाण ३३२१ वर्गमील है। (वि०) २ ब्राह्मणभक्त । ३ ब्रह्मज्ञानसम्पन्न । __२ उक्त जिलेका एक नगर और ब्रह्मपुरि तहसीलका ब्रह्मनीड़ (सं० क्ली०) ब्रह्मका अवस्थित-स्थान । शहर । यह एक पर्वतके ऊपर स्थापित है। इसके ब्रह्मनुत्त (सलि०) मन्नवलसे अपसारित । । सर्वोच्च स्थान पर एक प्राचीन दुर्ग अवस्थित था। ममी . Vol. xv. 153