पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/६५

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फरासी-फरीदकोट मुठभेड़ हुई। यहां फरासियोंके भग्न-मनोरथ होने पर भी का नाम प्रधान है। इस पांचोंके साथ भारतमें उन्होंने कांटापाड़ामें अगरेजों पर आक्रमण कर दिया । फरासीका इतिहास अदित है। हुप्ले. बूसी, लाली, लाप- इसके बाद दोनोंमें सन्धि स्थापित हुई। फरासियोंने दम और फ्रांस शब्दमें विस्तृत विवरण देखो। अगरेजोंके विरुद्ध सिराजुद्दौलाको सहायता देना ना- फरासीस-करासी देखो। मंजूर किया। अनन्तर मागपत्तनमें फिरसे युद्ध छिड़ा। फरासीसी (हिं० वि० ) १ फ्रांसका रहनेवाला । २ फ्रांस इस समय फरासियोंने कुहालूर और सेरारडेभियाके किले का बना हुआ। ३ फ्रांसदेशमें उत्पन्न, फ्रांसका। पर अधिकार किया। किन्तु शीघ्र ही वे उक्त स्थानको फरासीसीवैद्य-एक प्रन्यकार। इन्होंने अंजुलिपुराण छोड़ कर तजोरमें आश्रय लेनेको वाध्य हुए थे। और इजीलपुराणकी रचना की थी। लांकुश्वर, कन्दूर, सेरारडेभेड और बन्दिवास इस सब फरिया ( हिं० स्त्री० ) १ वह लहँगा जो सामनेकी ओर स्थानों में जो युद्ध हुए थे उनमें फरासोका प्रभाव बहुत सिला नहीं रहता। यह कपड़े का चौकोर टुकड़ा होता कुछ जाता रहा। यहां तक, कि ये अङ्रेजों को १७६१ है जिसे एक किमारेकी ओर चुन लेते हैं। इसे लड़. ई में पुदिधेरी अर्पण करनेको वाध्य हुए । १७४६ ईमें कियां वा स्त्रियां अपनी कमरमें बांध लेती हैं। ( पु० )२ दुप्लेके बुद्धिकौशलसे फरासीका जो प्रभाव एक समय रहटके चरखे वा चक्कर में लगी हुई वे लकड़ियां जिन पर इतना बढा चढ़ा था, यह आज पुदीचेरी-समर्पणके साथ। मट्ठीको हलियोंको माला लटकती रहती हैं । ३ मिट्टी- साथ तिरोहित हुआ। १७६३ ई०में सन्धिके अनुसार की नांद। यह नांद चीनीके कारखानोंमें इसलिये रखी अगरेजों ने फरासियों को पुदिचेरी लौटा दिया । १७७८ जाती है, कि उसमें पाग छोड़ कर चीनी बनाई जाय, ई में सर हेकर मनरोने पुनः पुदिचेरीको दखल किया, हौद । पर १७८३ ई०में सन्धि हुई, उसके अनुसार उक्त स्थान फरियाद (फा० पु० ) १ दुःखित वा पीड़ित प्राणियोंका पुनः लौटा दिया गया। १७६३ ई में वह फिर अगरेजोंके अपने परित्राणके लिये चिल्लाना, शिकायत, मालिश। हाथ लगा और १८०१ ई०में मामीनकी सन्धिके अनुसार २प्रार्थना, बिनती। प्रत्यर्पित हुआ । परन्तु १८०३ ईमें अगरेजोंने उक्त फरियादी ( फा० वि०) फरियाद करनेवाला, नालिश स्थान पुनः छीन लिया था। आखिर १८१४ ईमें करनेवाला। सदाके लिये फरासियोंको दे दिया गया । अभी चन्दन- फरियाना ( हिं० क्रि०) १ छांट कर अलग करना। २ मगर, करिकाल, पुदिचेरी, फणम् और माही ये सब पक्ष निर्णय करना, तै करना। ३ साफ करना, गोलमाल स्थान फरासोके अधिकारमें हैं। दूर करना। ४ निर्णय होना, निबटना। ५ सूझ पर ना, ___एक समय सारे भारतवर्ष में फरासीप्रभाव फैल साफ साफ दिखाई पडना। गया था। फरासियोंने ही सबसे पहले विपुल मुगल- फरिश्ता (फा० पु०) १ मुसलमानी धर्म ग्रन्थोंके अनुसार साम्राज्य अङ्रेजोंके अधीन करनेकी चेष्टा की थी। फरा- ईश्वरका वह दूत जो उसकी आज्ञाके अनुसार कोई काम सियोंने पहले देशीलोगोंके साथ मिल कर उनको करता हो। २ देवता। सहायतासे भारत अधिकारमें प्रयास पाया था । फरा- फरी (हिं० स्त्री० ) १ फाल, कुशी। २ गाडीका हरसा, सियोन ही देशी राजाओंके सेनादलमें घुस कर देशी फड़। ३ एक प्रकारकी छोटी ढाल जो चमड़े की बनी होती सेनाको यूरोपीय प्रथासे रणशिक्षा दी थी। यदि ग्रह है। इसे गतकेके साथ उसकी मारको रोकने के लिये ले बैगुण्य न घटता, तो कह नहीं सकते, कि फरासी- कर खेलते चलते हैं। ४ फली देखो। अधिकार आज भारतमें कहां तक फैला होता । जो सब फरीक (अ० पु० ) १ प्रतिद्वन्द्वी, मुकाबला । २ पक्षका महावीर भारतवर्ष में फरासी-अधिकार फैलानेमें उद्योगी मनुष्य, तरफदार । ३ दो पक्षों से किसी पक्षका मनुष्य । हुए थे, उनमेसे बुप्ले, बूसी, काउण्ट लाली और लावो- फरीदकोट-पजावके शतद्र के मन्तभुक एक सिख-राज्य। पाला