भटतीतर-भट्ट
भटतीतर ( हिं० पु१) उत्तर-पश्चिम भारतमें मिलनेवाला | भटियारा (हि.पु. ) भठियारा देखो।
एक प्रकारका पक्षी । यह प्रायः १ फुट लंबा होता है। भटियारी (सं० स्त्री ) रागिणीविशेष। यह संस्कृत
इसकी मादा एक बार में तीन अंडे देती है। लोग प्रायः मतानुयायी प्राचीन रागिणी नहीं है। कहते हैं, कि
इसके मांसके लिये इसका शिकार करते हैं।
विक्रमादित्यके भाई भत्तहरिने इसका सङ्कलन किया,
भटधर्मा (हिं० वि०) वीर धर्मका पालन करनेवाला, सच्चा इसीसे यह भहारिका, भटियारी वा भाटियारी नामसे
बहादुर।
प्रसिद्ध है। यह रागिणी ललित और परजयोगसे
भटनास (हिं० स्त्री० ) चीन, जापान और जावामें वहुत ; उत्पन्न है। सा वादी, म सम्यादी है, स्वरप्राम यो
अधिकतासे मिलनेवाली एक प्रकारकी लता। अब है ।
ब्रह्म, पूर्व बङ्गाल, आसाम तथा गोरखपुर-वस्ती आदिमें भी " ग म प ध नि सा ::" (संगीतरत्ना०)
इसकी खेती होने लगी है। इसमें एक प्रकारको फलियां भटियाल ( हि क्रि० वि० ) धारकी ओर, धारके साथ
लगती हैं और उन्हीं फलियोंके लिये इसकी खेती की साथ।
जाती है। फलियोंके दानोंकी दाल भी बनाई जाती है भट्ट ( हि स्त्री० ) १ स्त्रियों के संबन्धके लिये एक आदर
भौर सत्त भी। ये फलियां बहुत पुष्ट होती हैं और सूचक शब्द। २ सखी, गोइयां । ३ प्रिय व्यक्ति।
पशुओं को भी खिलाई जाती है। इसके दो भेद हैं, भटेरा (हिपु० ) वैश्यों की एक जाति ।
सफेद और दूसरी काली। मैदानों में यह प्रायः खरीक- , भटेश्वरी ( स० स्त्री० ) राजपूतानेके आबूपर्वस्थ शक्ति-
की फसलके साथ बोई जाती है।
। मूर्तिविशेष। दाभि शाखामुक्त किसी राजपूतने उनकी
भटनेर-एक प्राचीन राज्यका मुख्य नगर । यह सिंध नदोके आराधना करके श्रीसमृद्धि प्राप्त की । तभीसे उनके
पूर्वी तट पर स्थित था। इस नगरको तैमूरने अपनी वंशधर भटेश्वरिया कहलाते हैं। आज भी दवेला-
चढ़ाईके समय लूटा था।
सरोत्री नामक स्थान उनके अधिकार में है।
विशेष विवरण भाटनेर शब्दमें देखो।। भटैया (हि० स्त्री०) भटकटैया ।
भटनेरा ( हि पु० ) १ भटनेर नगरका निवासी । २ भटोट (हि. पु० ) यात्रियों के गलेमें फांसी लगानेवाला
वैश्यों की एक उपजाति ।
ठग।
भटबलान ( स० पु० ) १ वीरपुरुष, सेनापति । (क्ली०) भटोला (हिं० वि०) १ भाट संबंधो, भाटका । २ भाटके
२ सेना समूह।
योग्य (पु० ) ३ वह भूमि जो भाटको इनामके तौर पर
भट भटमातृतीर्थ ( स० क्ली० ) तीर्थभेद।
दो गई हो।
भरभेरा (हि.पु.) १ दो वीरोंका सामना, मुकावला। भटकला (स. स्त्री० ) तीर्थविशेष ।
२ भाकस्मिक मिलन, ऐसी भेंट जो अनायास हो जाय । भट्ट ( स० पु०) भटतीति भट-बाहुलकात् तल । १
३घका, टक्कर।
जातिविशेष।
भटा (स' स्त्री०) भट-टाप । इन्द्रबारुणी।
"वश्यायां शूद्रवीर्येण पुमानेको बभूव है।
भटा (हिं० पु० ) बैंगन देखो।
स भट्टो वावदूकश्च सर्वेषां स्तुतिपाठकः ॥"
भठार्क (सं० पुल ) बल्लभी राजवशके प्रतिष्ठाता। ये
(ब्रह्मवैवर्तपु० ब्रह्मख० १० अ०)
पहले सेनापति भाख्यासे भूपित थे। मैत्रक जातिको वैश्याके गभ और धाद्रके औरससे इस जातिकी
परास्त करनेके कारण उनका वश मैत्रक कद्दलाया। उत्पत्ति हुई है। ये लोग स्तुतिपाठक हैं। कोई कोई
बलभी देखो। क्षत्रिय और विप्र कन्याके संयोगसे भट्टजातिकी उत्पत्ति
भटिन (सलो० ) भटति भट्यते बेति भट-इन । शूल- बतलाते हैं।
पक्क मांसादि, कबाब।
___ २ स्वामित्व । ३ वेदामिश । ४ पण्डित । ५ योद्धा,
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/७०८
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