पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/७१०

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७०१ भट्टभास्कर मिश्र-भट्टारकमुनि भट्टभास्कर मिश्र (सं० पु० ) एक टीकाकार । न्यायसंग्रह अध्ययन करके कृतविध हुए हैं, वे ही यह भट्टमदन (सं० पु.) एक ग्रन्थकर्ता। । उपाधि पानेके योग्य हैं। दर्शनशास्त्रज्ञ, अध्यापक, वेदा- भट्टभीम-रावणार्जुनीय नामक काध्यके प्रणेता। ये ध्यायो ब्राह्मणोंकी भी यह उपाधि है। वलभी-स्थान निवासी थे। भट्टाचार्य- १ अशौचविंशच्छोको टोका, अशौचसंग्रह और भट्टमूर्ति---एक तेलगू-कवि। ये राजा कृष्णरायकी सभा-:. उसकी विवृति तथा त्रिंशच्छोको आदि कुछ ग्रन्थोंके में विद्यमान थे। इनके बनाये हुए नरेशभूपालियम् और। प्रणेता । वसुचरित्रम् नामक दो अत्युत्कृष्ट काव्य मिलते हैं। २ काव्य प्रकाशके रचयिता । ३ पद्ममञ्जरी, शाण्डिल्य भट्टमल्ल (सं० पु०) एक वैयाकरणिक । इन्होंने अख्यात- : सूत्रदीपिका और सिद्धांत पञ्चानन नामक न्यायग्रन्थके चन्द्रिका वा एकार्थास्यनिघण्टु, शब्दार्थ वृत्ति और प्रणयनकर्ता। ४ मुक्तावली और तट्टीकाके प्रणेता । ५ क्रियानिघण्टु नामक कई एक व्याकरण लिये हैं। नादीपक नामक सङ्गीतग्रन्थके रचयिता। भट्टयशस् (सं० पु० ) एक कवि । भट्टाचार्यचूडामणि ( स० पु०) न्यायसिद्धान्तमञ्जरीके भट्टविश्वेश्वर ( सं० पु० ) मिताक्षराके सुबोधिनि नामक रचयिता। इनका पूर्ण नाम जानकीनाथ भट्टाचार्य टीकाकार, पेट्टिभट्टके पुत्र। । चूडामणि था। भट्टशिव ( सं० पु० ) एक दार्शनिक पण्डित । शङ्करदिग्वि- भट्टाचार्यतर्कालङ्कार. -- द्रध्यभाग्यटीका नामक प्रशस्तपदा- में इनका नामोल्लेख है। इन्होंने सांख्यमतका खण्डन चार्यकृत वैशेषिकद्रव्यलक्षणभाष्यकी व्याख्याके प्रणेता। किया है। ये महामहोपाध्याय उपाधिसे भूषित थे। भट्टशङ्कर-- वैद्यविनोद नामक वैद्यकग्रन्थके सङ्कलन- भट्टाचार्य शतावधान (संपु०) राघवेन्द्रका नामान्तर । कर्ता। ये अनन्तभट्टके पुत्र थे। अम्बरपति जयसिंहके भट्टाचार्यशिरोमणि--नैयायिक रघु नाथका नामान्तर । पुत्र राजा रामसिंहको अनुमति ले कर इन्होंने उक्त ग्रन्थकी भट्टार ( स त्रि.) भटतीति विप, भट चासौ रचना की। तारश्चेति कर्मधाः पृषोदरादित्वात् साधुः यद्वा भट्ट भदृश्रीशङ्कर (सं० पु०) एक ज्योतिषी । वृहज्जातकमें इन- स्वामित्वं ऋच्छतीति अण। पूज्य । का नामोल्लेख है। भट्टारक ( स० पु० ) भट्टार संज्ञायां कन् । नाट्योक्तिमें भट्टसोमेश्वर--१ एक ग्रन्थकार । कमलाकरभट्टके शूद्रधर्म- राजा भट्टारक नामसे अभिहित होते हैं। २ तपोधन । तत्त्वमें इनका उल्लेख है। २ कुमारिलकृत तन्त्रवात्तिककी ३ देव । ४ सूर्य (त्रि०)५ पूज्य । टीकाके रचयिता, माधवभट्टके पुत्र । 'न्यायसुधा' उनकी भट्टारक---गुप्तराज स्कन्दगुप्तके एक सामान्तराज । ये उपधि थी। सेनापति भटार्क वा भट्टारक नामसे प्रसिद्ध थे। सौराष्ट्र भट्टस्वामिन् (सं० पु० ) एक कवि। शाङ्गधरपद्धतिमें इन- के सामन्तपद पर अधिष्ठित रह कर ये धीरे धोरे बलभी- का उल्लेख है। के अघीश्वर हो गये थे। इनकी प्रचलित मुद्रा पर "महा- भट्टायार्य (सं० पु० ) भट्टः तुतातभट्टः आचार्यउदयना- राज्ञो महाक्षत्र परमादित्य राक्षोसामन्त महाश्री भट्टा- चार्य-तौ तुल्यतया तन्मताभिज्ञत्वेनास्त्य स्येति अन् । १ रकस्य” ऐसा पाठ लिखा है। तुतातभट्ट और उदयनाचार्यकी तरह जो पण्डित हैं, वे ही २ प्रभासखण्ड वर्णित गुजरात प्रदेशके एक राजा। भट्टाचार्य हैं । २ तुतात भट्ट और उदयनाचार्यके मता- (प्रभासख० २८।२।१३) भिक्ष। ३ जैनोंके सारस्वत-गच्छके अन्तर्गत १म आचार्य "नास्तिकानां निग्रहाय भट्टाचायौं भविष्यतः ॥" धर्मभूषणका नामान्तर। (प्राचीनवाक्य) भट्टारकमुनि-सारस्वतगच्छके अन्तर्गत वर्द्धमानशिष्य जो ब्राह्मणतुतात भट्टकी मीमांसा और उदयनाचार्यका श्य धर्मभूषणका नामान्तर ।