पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/७१५

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भडिल-भण्डारी वर्षमें तीर्थयात्राके उद्देश्यसे अपनी जन्मभूमि उच्छ जाति । इस जातिके लोग प्रहानिकका दान लेने अथवा (पञ्जाबके अन्तर्गत)-का परित्याग कर इधर उधर भ्रमण यात्रियोंको दर्शन आदि कराते हैं, भंडर। को निकले । इस समय धन्धुकासे ७ कोस दक्षिण चोकि भणन (सं० क्ली० ) भण-ल्युट । कथन । .(चक्रावती) नामक स्थानमें एक राजपूत राज्य करते थे। भणित ( सं० त्रि०) भण-क्त। शब्दित, ध्वनित । २ कहते हैं, कि उक्त राजा उपवासके बाद पारणके दिनमें कथित, जो कहा गया हो। ( स्त्री० ) ३ कही हुई बात, एक मुसलमानको हत्या किये बिना जलग्रहण नहीं करते कथा। थे। एक समय किसी बुढ़ियाका एकलौता इसी प्रकार भणिति ( स० स्त्रो० ) भण्यते इति भणक्तिन् । वाक्य । मारा गया। शोकसे विह्वल हो उस बुढ़ियाने महमद भएटक ( स० पु०) मारिप क्षुप, मरमा नामका साग। शाहके निकट अपना दुखड़ा रोया। माधुहृदय इस निष्ठर भएटा (स'० स्त्री०) १ चिञ्चाटक, चंच साग । २ वार्ताकी, संवादसे उद्वलित हो उठा। उन्होंने मुसलमानोंको उत्त- बैंगन । जित कर राजाके विरुद्ध हथियार उठाने कहा। युद्ध में गजाके भएटाको ( स० स्त्री० ) भट्यते भण्यते वा भट भृतौ भण निहत होने पर भी उनके पुत्रके प्रवल कोपानलसे महमद शब्दे वा ( पिनाकादयश्च । उण. ४११५ ) इति निपात्यते शाहने परित्राण नहीं पाया । रणक्षेत्रमें राजपुत्र के हाथसे च, गौरादित्वात् ङीष् । १ वार्ताकी, बैंगन । २ गृहती, वे मारे गये । उनको अन्तिम प्रार्थनाके अनुसार मुमल- बनभंटा। ३ वृन्ताक. पोईका साग। मानोंने गजवनशाह नामक स्थानमें उनका दफन किया। भण्टुक स० पु०) भड़तीति भडि उकान् । श्योनाकवृक्ष । उसी समाधिके ऊपर भड़ियादका रोजा विद्यमान है। किमो किसी पुस्तकमें 'भण्टुक' ऐसा भी पाठ देखने में उक्त घटनाके दो सौ वर्ष बाद काम्बेके नवाबने रोजा-! आता है। भवन बनवा कर उसके खर्च के लिये वार्षिक ३५० रु० भएड ( पु.) भण्डते इति भडि प्रतारणे अच। १ का प्रवन्ध कर दिया। प्रतिवर्ष यहां सैकड़ों मुसलमान अश्लीलभाषो, वह जो गंदी वाते वकता हो। २ भौड़। इकट्ठे होते हैं। दरगाहके मध्य १॥ मन वजनका एक (त्रि० ) ३ वृथा धर्माभिमानो, धूर्त । लौहडल है। कहते हैं, कि एक समय उस लौहशृङलमें भएडक (संपु०) भण्ड-संज्ञायां कन् । १ खञ्जन पक्षी। ऐसा प्रभाव था, कि अनपराधीको कमरमें वह बांध देनेसे २ एक कवि। ७ कदम आगे बढ़ने पर दो खण्ड हो जाता था। जिसके भण्डतपस्विन (स' त्रि०) भण्डः तपस्वी कर्मधा० । भक्त- अष्टसे वह खण्ड नहीं हो सकता था, वह व्यक्ति अप- विटेल, कपट-तपस्वी, विडाल-धार्मिक । राधो वा दोषो समझा जाता था और तदनुसार उसे भण्डन ( स० क्ली० ) भड़ि भावादी ल्युट । १ खलाकार, सजा मिलती थी। . प्रतारणा। २ कवच। ३ युद्ध। ४ क्षति, हानि । भडिल (सं० पु०) भड़तीति भड़ि (सलिकल्यनिमहिभड़ि- भण्डनादित्य- चालुक्यराज विजयादित्य कलिमर्त्यङ्कका भगडीति । उण १।५५) इति इलच् । १ सेवक । २ शूर। एक सेनापति और सामन्त । ये पट्टद्धिनोवंशीय-काल भडिहा (हिं०पु०) तस्कर, चोर। कम्पके वंशधर थे। शिलालिपिमें इनकी वीरत्वकाहिनी भड़ी (हिं० स्त्रो०) वह उत्तेजना जो किसीको मूर्ख कीर्तित हुई है। बनाने या उत्तेजित करनेके लिये दी जाय, झूठा बढ़ावा। भण्डहासिनो (सं० स्त्री०) भएडे न खलीकारेण ऽसति या, भाडया ( R) वह जो वेश्याओंकी दलालो करता हस-णिनि डोप। गणिका. वेश्या। हो, पुश्बली स्त्रियोंकी दलाली करनेवाला २ वेश्याओं- भण्डारी-बम्बई प्रेसिडेन्सीमें रहनेवाली एक जाति । के साथ तबला या सारंगी आदि बजानेवाला, सफर | मद्य बनाना और ताइवृक्षोंसे ताड़ी संग्रह कर बेचना ही इनका प्रधान व्यवसाय है। इनमें कोते और सिंदे भदुर (हिं० पु०) ब्राह्मणोंमें बहुत निम्नश्रेणीको एक नामकी दो श्रेणियां हैं, उनमें परस्पर वैवाहिक सम्बन्ध Vol, Xv 178