पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/७१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भचा-भदोरिया ७११ इसके उस स्तूपमें और भी कितनी हिन्दू-देवमूर्तियां पाई | भदवरिया (हिं० वि० ) भदावर प्रान्तका। गई हैं। इस स्थानके अनेक निदर्शन आज भी कलकत्ते- भदाक ( स० पु० क्लो० ) भन्दत इति भदि ( पिनाकादयश्च । के जादूघरमें सुरक्षित हैं। ' उण ४११५) इति आक, नलोपश्च । मङ्गल। भत्ता (हि० पु०) दैनिक व्यय जो किसी कर्मचारीको भदारि-पंजाबप्रदेशके अन्तर्गत एक प्राचीन राजधानी । यानाके समय दिया जाता है। राजा चोवनाथ यहां पर राज्य करते थे। भेराके भथान-बम्बईप्रदेशके काठियावाड़ राज्यान्तर्गत झलावर | पार्श्ववत्ती अहमदाबाद नगरके समीप उसका ध्वंसाव- जिलेका एक छोटा सामन्तराज्य। यह अक्षा० २२४१ शेष आज भी. विद्यमान है। उ० तथा देशा० ७१५४ पू०के मध्य अवस्थित है। यहां- भदावर-एक प्रान्त जो आज कल ग्वालियर राज्यमें है। के सरदार वृटिश सरकारको तथा जूनागढ़के नवाबको यहांके क्षत्रियोंका एक विशिष्ट वर्ग है। यहांके बैल भी बहुत प्रसिद्ध होते हैं। भई (हिं० वि०) भादो सम्बन्धी, भादोंका । (स्त्रो०) भदेरु ( हिं० वि० ) कुरूप, भहा । २ वह फसल जो भादों में तैयार होती है। भदैल ( हिं० पु. ) मेंढ़क। भदन्त ( सं० पु०) भदन्ते इति भदि कल्याणे ( भन्देर्नलो- भदैला (हिं० वि०) भादों मासमें उत्पन्न होनेवाला, पश्च। उण ३।१३० ) इति झच नलोपश्च । १ सौग भादोका। तादिबुद्ध, मायादेवीके पुत्र । २ सुतेज। (त्रि०) ३ भवौंह ( हिं० वि०) भादों मासमें होनेवाला। पूजित। ४प्रवजित । | भदौर-पञ्जाबके पतियाला राज्यके अन्तर्गत एक नगर । भवन्त-एक ज्योतिर्विद् । बराहमिहिरने इनका नामो- यह अक्षा० ३०२८ उ० तथा देशा० ७५ २३ पू. बड़- ल्लेख किया है। नालासे १६ मील पश्चिममें अवस्थित है। जनसंख्या भदन्तगोपदत्त ( स० पु० ) एक बौद्धाचार्य। साढ़ सात हजारसे ऊपर है। १७१८ ई०में पतियालाके भदन्तज्ञानवर्मन-एक कदि। शाङ्गधरपद्धतिमें इनका राजो आलसिंह भाई सरदार दुन्नसिंहने इसे बसाया। उल्लेख है। यह सदर दिन-पर-दिन उन्नति कर रहा है। भदन्तधर्मत्रात-एक बौद्धाचार्य । भदौरा---ग्वालियर राज्यके गुणा सब-एजेन्सीके अन्तर्गत भदन्तराम-एक बौद्धाचाय। एक सामन्त राज्य । जनसंख्या २२७५ और भूपरिमाण ५० भदन्तयमन-एक कवि । शाङ्गधरपद्धतिमें इनका वर्गमील है। इसमें इसी नामका एक शहर और १६ प्राम उल्लेख है। लगते हैं। स्थानीय डकैतोंके उपद्रवादिसे देशको रक्षा भदन्तश्रीलाभ-एक बौद्धाचार्य । करनेके कारण १८२० ई०में सिन्दराजने मानसिंह नामक भदमद (हिं० वि०) बहुत मोटा । २ भद्दा । किसी सरदारको यह सम्पत्ति प्रदान की। यहांके सरदार भदयल (हिं० पु०) मेंढ़क। उदयपुर घरानेके सिसोदिया राजपूत हैं और 'राजा' भदर्वा-बम्बई प्रदेशके रेवाकान्य राज्यके अन्तर्गत एक इनकी उपाधि है। उमरीके हिम्मतसिंहके लड़के जगत् सामन्तराज्य । भूपरिमाण २७ वर्गमील है। यहांके सिंहने १७२० ई०में राजसिंहासन पर अधिकार जमाया। सरदार राणा उपाधिधारी हैं। ये लोग गायकवाडराजको कर देते हैं। उनकी मृत्यु के बाद रणजिसिंह गद्दी पर बैठे। ये ही भदर्शा-अयोध्या प्रदेशके फैजाबाद जिलान्तर्गत एक नगर वर्तमान सरदार हैं । राजस्व ५००० रु०के करीब है। जो मरहानदीके किनारे अवस्थित है। इस स्थानका २ उक्त राज्यका प्रधान नगर। यह अक्षा० २४४६ प्राचीन नाम भायादर्श है। प्रवाद है, कि दशरथ तनय | उ० तथा देशा० ७७२४ पू०के मध्य विस्तृत है। जन- भरत इसी स्थान पर अपने बड़े भाई श्रीरामचंद्रजीके | संख्या सात सौके करीब है। साथ मिले थे। | भदौरिया-राजपूत-जातिकी एक शाखा । चमुला (खम्बल)