भद्रला-भम्भासार
७२५
सरिकृत धर्मदासगणिकी उपदेशमालाटोकासे जाना भपञ्चर (स क्लो०) भाना नक्षत्राणां पश्चरम् । नक्षलवक।
जाता है, कि वे सम्भवतः १२३८ सम्बत्के सन्निकट भपति ( स० पु०) भामां नक्षताणां पतिः। चन्द्रमा ।
वती किसो समयमें जीवित थे। .
भप्पट (
संपु०) एक आया। इन्होंने काश्मीरमें भप्पटे-
भदेला (सं० स्त्री०) भद्रा पला । स्थूलैला, बड़ो इलायचो। श्वर नामसे शिवमूर्ति स्थापित की।
भदोत्कट (सपु०) भद्रमुस्त, भदालिया मोथा। भवका ( हि पु० ) अर्क उतारने या शराव चुआनेका बंद
भद्रोदनी ( स० स्त्रो०) भदं उदनिति अनयेति, उद्-अन्- मुहका एक प्रकारका बड़ा घड़ा । इसके ऊपरी भागमें
अच, गौरादित्वात् ङीष । १ बला। २ नागबला। एक लंबी नली लगी रहती है। जिस चोजका अर्क उता-
भद्रोदय (संक्लो०) सुश्रुतोक्त औषधभेद ।
रना होता है, वह चीज पानी आदि के साथ इसमें डाल
भद्रोपवास प्रत ( स० क्लो० ) व्रतभेद ।।
कर आग पर चढ़ा दी जाती है और उसको भाप बनती
भली-बम्बई प्रदेशके काठियावाड़ जिलान्तर्गत एक है। तब वह भाप उसी नलोके रास्तेसे ठंढी हो कर भर्क
सामन्त राज्य । यहांके सरदार बृटिश सरकार और आदिके रूपमें पास रखे हुए दूसरे वरतनमें गिरती है ।
जूनागढ़के नवादको कर देते हैं।
भभक (हि. स्त्री०) किसी वस्तुका एकाएक गरम हो
भद्या--बम्बई प्रदेशके हल्लार जिलान्तर्गत एक छोरा कर ऊपर को उबलना, उबाल ।
राज्य । यहांके सामन्त राज जूनागढ़के नवाव तथा भभकना (हिं० क्रि०) १ उबलना। २ गरमो पा कर किसी
गृटिश सरकारको कर देते हैं। भागवा नगर यहांका चीज का फूटना । ३ प्रज्वलित होना, जोरसे जलना,
प्रधान स्थान है।
भड़कना ।
भद्वाना-बम्बई प्रदेशके अलावर जिलान्तर्गत एक भभका ( हिं० पु० ) भवका देखो।
सामन्त राज्य।
भभकी (हिं० स्त्रो०) झूठी धमकी, घुड़की।
भनक (हि. स्त्री०) १ धीमा शब्द, ध्वनि । २ अस्पष्ट या भभूका (हिं० पु०) ज्वाला, लपट।
उड़ती हुई खबर।
भभूत (हिं० स्त्री० ) १ वह भस्म जो शिवजी लगाया
भनकना (हिं० कि० ) बोलना, कहना।
करते थे। विभूती देखा । २ शिवकी मूर्तिके सामने जलने-
भनभनाना (हिं० क्रि) भन भन शब्द करना, गुजारना।
a वाली अग्निको भस्म जिसे शैव लोग मस्तक और भुजा
आदि पर लगाते हैं।
भनभनाहट (हिं० स्त्री० ) भनभनानेका शब्द, गुंजार ।
भन्ददिष्टि ( सं त्रि०) स्तुतिरूपा इष्टियुक्त।
भभूदर (हि० स्त्री०) भूभल देखो।
भम्भड़ (हिं० स्त्री० ) अव्यवस्थित जन समुदाय, भीड़-
भन्दन (स० वि०) कल्याणकारी।
भाड़ ।
भन्दिल (सं.क्लो०) १ शुभ । २ कम्प। ३ दूत। भमण्डल ( स० क्लो०) भानां नक्षत्राणां मण्डलं । नक्षत्र
भन्दिष्ठ (स० त्रि०) अतिशय स्तोता, अत्यन्त स्तवकारी। चक, राशिचक ।
भन्ध्र क (सपु०) भारतवर्षके अन्तर्गत जनपदविशेष । भम्भ (स.पु०) भम इत्यव्यक्त शब्देन भातोति भा-कार
भन्साली-कच्छप्रदेशवासी राजपूत जातिको एक मक्षिका, मच्छड़। २ धूम, धूआं ।
शाला। ये लोग सोलाङ्की-वशीय हैं, किन्तु आचार भ्रष्ट भम्भरालिका (स. स्त्री० ) भम् इत्यव्यक्त शब्दस्य भव'
होनेके कारण ये अभी सोलाड़ियों के साथ नहीं मिल : बाहुल्य मालाति गृहातीति आ-ला-क गौरादित्वात् कोष
सकते । सभी जनेऊ पहनते हैं और अपनेको क्षत्रिय बत- । ततः स्वार्थ कन्-टाप, पूर्वस्य ह्रस्वत्व । भकारी, मच्छड़
मानवाद किये लोग जाडेजादिके साथ यहां भराली (सं० स्रो०) भम्भराल गरादित्वात् डोष ।
मा कर बस गये है, कृषि-कार्य और वाणिज्य इनका मक्षिकाभेद।
प्रधान पवसाय है। यहां पर ये लोग बेगू मामले परिः मम्भासार (सं० पु०) मगधराजविशेष । पर्याय-
Vol, , 182
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/७३१
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
