पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/७३२

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भव-भयजिता भय (सं० लो०भी ( एरन् । पा ३।३।५६ ) इत्यत्र 'भया भयचक ( हि० वि० ) भौचक देखो । दीना मुपसख्यानं नपुंसके फ्तादि निवृत्यर्थम्' इति भयजात ( स० वि० ) भयसे उत्पन्न । वार्तिकोक्त्यादि अपादाने अच । १ भय हेतु। २ एक भयडिण्डिम (स.पु०) भयाय शत्रु भयजननाय डिण्डिमः। प्रसिद्ध मनोविकार जो किसो आनेवाली भोषण आपत्ति प्राचीनकालका एक बाजा जो लड़ाई में बजता था। । अथवा होनेवाली भारो आशङ्कासे उत्पन्न होता है। ‘भयत ( हिं० पु० ) चन्द्रमा । पर्याय ---दर, त्रास, भीति, भी, साध्वस, रुद्रास, साधु भयत्रातृ ( स० त्रि०) भयस्य लाता ६-तत् । भयसे सम्भव, प्रतिभय, आतङ्क, आशङ्का, भिया। वचानेवाला। - परसे अनिष्ट सम्भावनाका नाम भय है। यथा--- भयद ( सं त्रि० ) भय-दा-क । भयदानकारी, भय 'व्याघ्रातिभेति' यहां पर - घ्याघ्रसे भय होता है, अर्थात् उत्पन्न करनेवाला। व्याघ्रसे मृत्युको आशङ्का होती है-इसी अनिष्टाशङ्काका भयदा : सं० स्त्रो० ) भूधात्री, भूआंवला। नाम भय है। इसका लक्षण--- भयदायिन् (स० पु०) भय-दा-णिनि । भयदाता, डरावना। "रौद्रशक्त्या तु जनितं चित्तवेक्लव्यदं भयम्" भयदोष ( स० पु०) जैनोंके अनुसार एक प्रकारका दोष । (साहित्यद. ३ ५०) यह दोष उस समय लगता है जब मनुष्य अपनी इच्छासे रौद्ररसको शक्तिसे भय उत्पन्न होता है। इससे चित्तमें विकलता उत्पन्न होती है। नहीं बल्कि लोकापवादके भयसे सामयिक कर्म आदि भयके उपस्थित होने पर अभीत व्यक्तिको तरह करता है। रहना चाहिये। भय उपस्थित होनेके पहले भय करना भयद् त ( स० त्रि०) द्रु.६ तरिक्त भयेन द्रुतः। भीति उचित नहीं है। ३ भयानक रसका स्थायी भाव भय । द्वारा पलायित, जो डरके मारे भाग गया हो। पर्याय--- ४ कुब्जक पुष्प, मालती। ५ बालकोंका यह रोग जो कान्दिशीक । उनके कहीं डर जानेके कारण होता है। इस समय भयनाशन ( स० वि०) भयं नाशयति नाशि ल्यु । १ उसे हृदयहृत्कम्प (Palpitation) रोग और साथ साथ भयनिवारक (पु.)२ विष्णु । शारीरिक उत्तापजनित ज्वरका आविर्भाव होता है। भयनाशिन् ( स० वि०) भयं नाशयतीति भय-नश-णिच, ६ निऋतिके एक पुत्रका नाम । ७ द्रोणके एक पुत्रका णिनि । १ भयनाशकारक । स्त्रियां ङोष । २ लाय- नाम जो उनको अभिमति नामक स्त्रोके गर्भसे उत्पन्न माणा लता। हुआ था। ८ यवनराजविशेष । त्रि०) ६ घोर, | भयप्रद ( स० वि०) भयं प्रददातीति दा-क । भयद, जिसे भीषण। देख कर भय उत्पन्न हो। भयकर ( स० वि० करोतीति कृ-अच, भयस्य करः। भयब्राह्मण ( स० पु०) भयेन ब्राह्मणः सम्पद्यते। वह जो भयकारक, जिसे देख कर भय लगे। उरके मारे अपनेको ब्राह्मण बतलाता है। भयक ( स० वि० ) भयस्य कर्त्ता । भयकारक, भय भयभञ्जन- रमल-रहस्य और रमल-रहस्यसंग्रहके प्रणेता । उत्पन्न करनेवाला। . भयभीत ( स० वि० ) भयेन भीतः। जिसके मनमें भय भयकृत 'संत्रि०) भयं करोति कृ-क्विप् । १ भय : उत्पन्न हो गया हो, डरा हुआ। 'कारक, भयं कृन्तति कृत छेदने क्वि । २ परमेश्वर । भयभ्रष्ट ( स० वि०) भयेन भ्रष्टः। भयदूत, जो उरके भयर (म त्रि०) भयं करोतीति भय-क ( मेघर्तिभयेषु : मारे भागा हो। कृमः पा ३।२।४३ ) इति खच, मुम्न । भयजनक, जिसे भयमोचन ( स० वि० ) भय छुड़ानेवाला, उर दूर करने. देखनेसे भय लगे। पर्याय-भैरव, दारुण, भोषण, · वाला। भीष्म, घोर, भीम, भयानके, प्रतिभय, भयावह । (३०)। भयवर्जिता (सं० स्त्री० । व्यवहारमें दो गांवों के बीचको २दुल पक्षी। ३एक अलका नाम । । वह सीमा जिसे वादी और प्रतिवादी आपसमें मिल