पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/७५५

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भलगमड़ा-भखपुच्छी सोने या चांदोका टुकड़ा। इसे शोभाके लिये नथ पर भलाई (हिं० स्त्रो०) अच्छापन, भलापन । २ उपकार, नेको । जड़ते हैं। २ एक प्रकारका बांस। ३ सौभाग्य। भलगमड़ा--बम्बईप्रदेशके काठियावाई विभागके झलावर भलानस-मृग्वेद-वर्णित एक प्राचीन जाति । जातितस्वविद् जिलान्तर्गत एक छोटा सामन्तराज्य। यहांके सरदार औपट ( OL. (OPIPert ) का अनुमान है, कि यह बोलन वृटिश-सरकार और जूनागढ़के नवाबको कर देते हैं। गिरिसङ्कट में वास करनेवाली ग्राहुई जाति है। भलगाम बुलदोई-दाक्षिण काठियावाड़ विभागके अन्तर्गत __(भृक् ११८७) एक सामन्तराज्य। भलगाम नामक प्राम इसका प्रधान भलापन (हिं० पु० ) भलाई देग्वा । स्थान है। यह अक्षा० २२२७ उ० तथा देशा० ७० भले (हिं० कि० वि०) १ भलीभांति, अच्छी तरह । (अव्य) ५४ पू०के मध्य विस्तत हैं। । २ खूब, वाह। भलटी (हिं स्त्री०) हसिया नामफ लोहेका औजार। भलोट-निम्नश्रेणोकी एक राजपूत जाति। पूवमें भलोट भलता (सं० स्त्री०) भातीति भा-वाहुलकात् ड ; भा चासौ ग्राममें इस जातिकी वास-भूमि थी, इसोलिए इसका लता चेति कर्मधा। राजवला। । भलोट नाम पड़ा है। भलन्दन-१ कान्यकुब्जदेशके एक राजा। इन्होंने योगाव-! भल (सपु०) भलते-इति भल्ल अच् । १ भल्लूक, भालू । सानमें अयोनिसम्भवा कलावतीको प्राप्त किया था। देशभेद : शस्त्रभेद । हारीतमें लिखा है, कि इस (ब्रह्मवैवर्तपु० श्रीकृष्णजन्मख० १७ अ०). शस्त्र द्वारा शरीरमें धंसा हुआ तीर निकाला जाता था। २ दिष्टवंशीय नृपभेद, नाभागके पुत्र । नाभाग देखो। ४ बध, हत्या । ५दान । ६ पक प्रकारका बाण । प्राचीन मार्कण्डेयपुराणमें इनका भनन्दन नामसे वर्णन किया ' कालकी एक जाति । ८ पुराणानुसार एक प्राचीन गया है। नाभागमें सुप्रभा नामक वैश्यकन्याके रूप. . तीर्थ । ६ सन्निपातविशेष । १० भलातक गृक्ष । लावण्यमें मुग्ध हो कर पिताको आशाके विरुद्ध उसके भल्लक ( स० पु०) भल्ल-स्वार्थे-कन् । १ भल्लूक, भालू । साथ विवाह किया था, इसलिए वे पितृ-सिंहासनसे '२ पक्षिभेद । एक प्रकारकी चिड़िया। ३ गुदीवृक्ष । वञ्चित रहे थे। उनके पुत्र भनन्दन माताके आदेशसे .. भल्लातकवृक्ष, भिलावां। ५ सन्निपातविशेष । गो-पालनाथ हिमालय-शैल पर गये थे और वहां पर । भल्लकिमत्स्य ( स० पु० ) मत्स्यविशेष । इसका गुण तपःपरायण नीप नृपतिके अनुग्रहसे विविध अस्त्रविद्याओंसे " बलवान् हो कर स्वदेश लौटने पर उन्होंने पुनः पितृ- | शीतल, गुरु, बलकर, मधुर और श्लेष्मवर्द्धक माना गया सिंहासन अधिकार किया था। इन्हींके औरससे प्रसिद्ध .. 18मलकीय ( स० त्रि०) भल्लस्य अपत्यं छ। भल्लकका वत्सप्री राजाका जन्म हुआ था। (मार्क० पु० ११४-११६) : अपत्य: भलपति ( हिं० पु० ) भाला रखनेवाला, नेजेवरदार। भल्लट-काश्मोर-निवासी एक कवि । ये राजा शङ्करबर्माके भलमनसत ( हिं० स्त्री०) सजनता, शराफत । आश्रित थे। (राजत० २०३) भलमनसाहत (हिं० स्त्रो०) भलमनसत देखो। ____इनके बनाए हुए भल्लाटशतक और पदमञ्जरी नामक भलमनसी (हि. स्त्री०) भलमनसत देखो। दो ग्रन्थ देखनेमें आते हैं। औचित्यविचारचर्चा कवि- भलला-बम्बई प्रदेशकै झलावर जिलान्तर्गत एक छोटा कण्ठाभरण और शाङ्गधरपद्धतिमें इनके रचे हुए श्लोक राज्य। भलला प्राम ही यहांका प्रधान स्थान है । यह उद्धृत किये गये हैं। मक्षा० २२५१ उ० तथा देशा० ७१ ५६ पू०के मध्य भल्लतीर्थ--प्राचीन तीर्थभेद । विस्तृत है। मल्लपाल ( स० पु०) भल्लं पालयति पालि अण उप- भला (हिं० वि०) १ जो अच्छा हो, उत्तम श्रेष्ठ । २ बढ़िया, | पद स०। भल्लपालक, भल्लदेशपालक । भच्छा । (पु०) ३ कल्याण, भलाई। ४ लाभ, नफा। भलपुच्छी (सं० स्त्री०) भल्लस्य पुच्छमिव पुच्छ यल्या। (मध्य)५ अस्तु, खैर । गवेशका नामक क्षुपभेद । Vol. xv 188