पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/७६५

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. भवचाप-भवदेखभट्ट • सरण करके काम-क्रोधादि) रिपुओंको विसर्जन पूर्वक | भवतात ( स० पु0) मोपदेशक, गुरु। २ ससारको सन्मार्गाचारी हो अर्थात् व्याघ्रचर्म परिधान कर ध्यानयोग यन्त्रणासे बचानेवाला। और, दानधर्म अवलम्बन करे, तो उसे अपने उस साधु- भवदत्त--एक प्रन्थकार । इन्होंने नैवधोर-टीका और तस्व- कर्मक कलस्वरूप सुमति प्राप्त हो सकती है और यदि कौमुदी नामक शिशुपाल वधकी टोका लिखी है। ये वेव • वह लोभक्रोधादिके वशीभूत हो कर कुक्रियाका आश्रय दत्तके पुत्र, नारायणके पौत्र और दिवाकरके प्रपौत्र थे। ले, तो उसकी अधोगति होती है। कर्मके बलसे इद्रियः । भलदा (सं० स्त्रो० ) कार्तिकेयको अनुचरो एक मातृका- विजयी अहंवाद-परिशून्य जीवात्मा निर्वाणमुक्ति प्राप्त का नाम । . करनेमें समर्थ होता है। जो व्यक्ति मोह और मात्सर्य- भवदारु (म० पु० क्लो०) भवप्रिय दारु, देवदारुक्ष, देव से मोहित हो कर संसारयात्रा निर्वाह करता है उसकी, दार। त पुण्यभोग समान होने पर, वर्तमान जन्मके भवदीय ( सवि०) भवन छस । भवतष्ठकछसौ। पा पापभोगके कारण निकृष्ट लोकमें गति होती है। मानव- ४।२।११५ ) आपका, तुम्हारा । को यह सुगनि और दुर्गति उसके इच्छाधीन कर्मफल पर भवदेव पाण्डव वंशीय एक राजा, उदयनके पुत्र । ये निर्भर है। रणकेशरी और चिन्तदुर्ग उपाधिसे भूषित थे। साधन सिद्ध व्यक्ति के लिये निर्वाण-लाभ जैसा भवदेव कई एक मस्कृत ग्रन्थकार । १ अपराजितापृच्छा आयास-साध्य है, ध्यसनामक्त व्यक्तिका कामलोकमें निम- नामक वास्तुशास्त्र के प्रणेता। २ एक धर्मशास्त्र प्रणेता । जन भी उसी प्रकार अवहेलामापेक्ष है। बौद्धशास्त्रमें मदन पारिजातमें इनका मत उद्धत किया गया है। कर्मा- मानवके शोकदुःखके उपादानभूत १२ निदानोंका उल्लेख नुष्ठानपद्धतिके रचयिता । ४ कारकवाद-टिप्पन, तर्कप्रकाश है। उक्त चित्रमें १ से ले कर १२वें स्थान तक उन्हींका टिप्पन और पञ्चलक्षणी टिप्पन नामक ग्रन्थोंके प्रणेता। चित्र अडित किया गया है। शाक्यबुद्धने मनुष्यजन्ममें ५तन्त्रवार्तिक-टोकाके कर्ता । ६ निर्णय मृत-रचयिता। साधना द्वारा बुद्धत्व प्राप्त किया था। बौद्धशास्त्रों में ७ ब्रह्मसूत्रटोकाकार । ८ मदालसाख्ययिकाके कर्ता ।। उनका भी जीवयोनि-भ्रमणका उल्लेख है । भवचक्रमें परि- व्यवहार-तिलकके रचयिता । १. सन्निपातचन्द्रिका भूमण कर अपनी सुकृतिके बलसे उन्होंने निर्वाण मुक्तिः नामक वैद्यक-ग्रन्थके प्रणेता।" सांख्यकारिका सिके नामक वैद्यक-ग्रन्थक प्रणेता। ११ स रूप उन्नतिके सोपान पर आरोहण किया था। बुद्ध देग्वा। रचयिता। बुद्ध जोवकी दुर्गति देख कर दयापरवश हुए थे। भवदेव न्यायलङ्कार - स्मृतिचन्द्रके कर्ता। ये हरिहर भट्टा. उन्होंने चित्र-वर्णित षड़विध अवस्थामें ही जीवोंके मङ्गल चार्य के पुत्र थे। के लिए शिक्षा दी थी। भवदेव पण्डितकविः -वैशेषिक रत्नमालाके प्रणेता । भवदेवभट्ट १ सम्बन्धविवेकके रचयिता। दानधर्म भवचाप ( स० पु० ) शिवजोके धनुषका नाम, पिनाक । प्रक्रियाके कर्ता। ३ पातञ्जलसूत्रके भाष्यकार । ये मिथिला- भवच्छेद (स.पु.) १ संसार-बन्धनसे उन्मोचन । २ बामी पण्डित कृष्णदेव मिश्रके पुत्र थे। महामहोपाध्याय जगत्का ध्वंस । ३ प्रामभेद। । इनकी उपाधि थी। ४ प्रायश्चित्त प्रकरण वा निरूपण- भवत् (स, त्रि०) भाति विद्यते इति भा डवतु। १ मान्य, प्रणेता एक स्मार्स । ये बंगालके रहनेवाले थे। इनका पूज्य । २ युष्मद, तुम। ३ वर्तमानार्थे, उत्पद्यमान। स्मृतिग्रन्थ मिथिलावासियोंके विशेष आदरकी चीज है। (पु० ) ४ विष्णु । ५ भूमि, जमीन । । उडियाके अन्तर्गत भुवनेश्वरके अनन्तवासुदेवके मन्दिर- भवतव्यता (हिं० स्त्री० ) भवितव्यता देखो। में उत्कीर्ण कुलप्रशस्तिसे इनका वंश परिचय इस प्रकार भवती ( स० स्त्री० ) भवत्-डीप । १ विषाक्त वाणभेद, मिलता है। एक प्रकारका जहरीला वाण । . 'सावर्णगोत्र-सम्भूत ब्राह्मणोंको ( राजासे ) शत-