पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

७७ फल्गुषन्ताक (स.पु.) फल्गुना वृन्तेन आकायति ई०में इसे बन्दर कायम किया गया। कलकत्तेके रहने- शोभते इति आ-कैक। श्योनाकभेद । वाले किसी एक फरासीसी वणिकने यहां आ कर फल्गुहस्तिनी (स० स्त्री० ) एक स्त्री कवि । रानीका अड्डा खोला। पीछे इष्ट-इण्डिया-इरिगेशन- फल्गूत्सव (स.पु. ) फल्गू फलगूनामुत्सवः ६-तत्। कम्पनी नाना द्रव्य ले कर यहां बेचनेको आई। १८६६ फल्गुकरणक गोविन्दोत्सव, दोलयात्रा। ई० में उड़ीसामें घोर अकाल पड़ा । अङ्गरेज-गवर्मेण्ट उक्त दोलयात्राके विधानानुसार श्रीकृष्णको पूजा करके प्रदेशके सभी स्थानों में इसी बन्दर हो कर चावल आदि फल्गुचूर्ण भगवान्को चढ़ाया जाता और उसीसे उत्सव भेजने लगी। जबसे केन्द्रापाड़ा नहर इस बन्दरमें मिला किया जाता है, इसीसे इसको फल्गूत्सव वा फाग दी गई है, तबसे यह स्थान एक वाणिज्य-केन्द्ररूपमें गिना खेलना कहते हैं। यह उत्सव तीन वा पांच दिन करना जाने लगा है। मिर्च शहर, हेभरवोर्दो आदि फरासीसी होता है। बन्दरसे माल लेनेके लिये यहां जहाज आते हैं। फल्य ( स० क्ली० ) फलाय हितमिति फल-यत्। कुसुम, फसकड़ा ( हिं० पु०) पालथो, पलथी। फूल। फसकना (हिं० क्रि० ) १ कपड़े का मसकना । २ बैठना । फलकिन् (स० पु०) फलकः फलकस्तदाकारोऽस्त्यस्येति धंसना । (वि०) ३ जो जल्दी मसक या फट जाय। ४ इनि। मत्स्यविशेष, फलुई मामकी मछली। जो जल्दी धंसे या बैठ जाय। फलफल ( स० पु० ) सूर्पवात, वह हवा जो सूपसे की फसकाना ( हि० क्रि०) १ कपड़े को मसकाना या दबा जाती है। कर कुछ फाड़ना। २ धंसाना, बैठाना । फल्ला ( हिं० पु. ) एक प्रकारका रेशम जो बङ्गालके राम- फसल ( अ० स्त्री० ) १ ऋतु, मौसम । २ समय, काल । पुरहाट नामक स्थानसे आता है। इसका रंग पीला- ३ शस्य, खेतको उपज । ४ वह अन्नकी उपज जो वर्षके पन लिये सफेद होता है। प्रत्येक अयनमें होती है। अन्नके लिये वर्षके दो अयन फल्स पैएट--कटक जिलान्तर्गत एक अन्तरोप। यह महा- माने गये हैं, खरीफ और रब्बी। सावनसे पूस तकमें नदीके उत्तरमुख पर अवस्थित है। यहां जहाजादिके उत्पन्न होनेवाले अन्नोंकी खरीफ और माघसे आषाढ लंगर डालनेके लिये सुन्दर बन्दर और आलोक-गृह तकमें उपजनेवालेको रब्बी कहते हैं। निर्मित है। बम्बईसे ले कर हुगलीनदीके मुहाने पर्यन्त फसली (हिं० पु० ) १ एक प्रकारका संवत् । इसे दिल्ली- ऐसा बन्दर और कहीं भी देखनेमें नहीं आता। इसके के सम्राट अकबरने हिजरी संवत्को जिसका प्रचार पास हो लङ् और डौडेसवेल द्वीप, भीतरमें प्लाउडन द्वीप ! मुसलमानोंमें था और जिसमें चान्द्रमासकी रीतिसे वर्ष- नामक अनुच वनभूमि है। जब जहाज इस बन्दरमें प्रवेश की गणना थी, बदल कर सौरमासमें परिवर्तन करके करता है, तब तूफान आदिका कुछ भी भय नहीं रहता चलाया था। अब ईसवी संवत्से यह ५८३ वर्ष कम है। इच्छानुसार जहाज आ जा सकता है, कहीं भी : होता है। इसका प्रचार उत्तरीय-भारतमें फसल या जमीनमें नहीं अटकता। इस बन्दरके सामने हो कर खेती-बारी आदिके कामोंमें होता है। २ हैजा। (वि०) जम्प, धामरा, ब्राह्मणी और देवीनदी तथा महानदीकी ३ ऋतुसम्बन्धी, ऋतुका। वाफूवशाखा बह गई है। नाव द्वारा वाणिज्य द्रव्यकी फसाद (अपु०) १ बिगाड़, विकार । २ विद्रोह, बलवा। रसमी और भामदनी होती है। सभी मतुओंमें इस ३ ऊधम, उपद्रव । ४ लड़ाई, झगड़ा। ५ विवाद । बन्दरमें जहाज आ सकता है। फसादी (फा० वि०) १ फसाद खड़ा करनेवाला, उपद्रवी । पचास वर्ष पहले कोई भी इस बन्दरको उपयोगिता २ लड़ाका, झगड़ालू । ३ नटखट, पाजी। समझ न सके थे। एकमात्र मन्द्राजके देशीय वणिक- फसिल ( हिं० स्त्री०) फासल देखो। लोग ही यहांसे चावल आदि ले जाया करते थे । १८६०/ फस्त (अ० स्त्री) फस्ददेखो। Vol. xv. 20