फोस-फाड़ना
फॉस (हिं० स्त्री०) १ पाश, बंधन । २ वह रस्सी जिसका या शिशिरमें है, पर बसन्तका आभास इसमें दिखाई देने
फंदा डाल कर शिकारी पशु पक्षी फांसते हैं। ३ बांस या लगता है। इस महीनेकी पूर्णिमाको होलिका दहन होता
काठका कड़ा रेशा जिसकी नोक काटेको तरह हो जाती है। यह आनन्दका महीना माना जाता है। इस महीने-
है, महीन कांटा। ४ बांस, बेत आदिको चोर कर बनाई में जो गीत गाये जाते हैं उन्हें फाग कहते हैं।
हुई पतली तीली, पतली कमाची।
फाल्गुन देखो।
फांसना (हिं क्रि०) १ बन्धनमें डालना, पकड़ना। २ फागुनी (हिं० वि०) फाल्गुन सम्बन्धी, फागुनका ।
किसी पर ऐसा प्रभाव डालना कि वह वशमें हो कर फाजिल ( अ० वि०) १ आवश्यकतासे अधिक, जरूरतसे
कुछ करनेके लिये प्रस्तुत हो जाय । ३ धोखेमें डालना, ! ज्यादा। २ विद्वान् ।
वशीभूत करना।
फाजिलका–पञ्जाबके फिरोजाबाद जिलेकी तहसील ।
फाँसी (हिं० स्त्री० ) १ पाश, फंसानेका फंदा। २ रेशम यह अक्षा० २६५५ से ३० ३४ उ० और देशा० ७२५२
या रस्सीका फदा जो ऊंचे खंभे गाड़ कर ऊपरसे लट- से ७४४३ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण १६५५
काया जाता है और जिसे गलेमें डाल कर अपराधियोंको वर्गमील और जनसंख्या दो लाखके करीब है। इसके
प्राणदण्ड दिया जाता है। ३ पाश द्वारा प्राणदण्ड, मौत । उत्तर-पश्चिममें सतलज नदी पड़ती है। इसमें इसी
की सजा जो गले में फंदा डाल कर दी जाय। ४ वह नामका १ शहर और ३१६ ग्राम लगते हैं। राजस्व दो
रस्सी या रेशमका फंदा जिसमें गला फंसानेसे घुट जाता : लाखसे ऊपर है।
है और फंसनेवाला मर जाता है।
२ उक्त तहसीलका एक नगर। यह अक्षा० ३०
फाइल ( अं० स्त्री० ) १ नत्थी, मिसिल। २ लोहेका तार ३३ उ० और देशा० ७४३ पू०के मध्य अवस्थित है।
जिसमें कागज या चिट्ठियां नत्थी की जाती हैं। ३ पहले यहां व सरदार फाजिलका वास था। १८४६
सामयिक पलों आदिके कुछ पूरे अंकोंका समूह । ई०में उन्हों के नामानुसार आलिभर ( Mr. Oliver )
फा ( स० पु०)१ सन्ताप । २ निष्फल भाषण ।
साहबने इस स्थानका नाम 'फाजिलका' रखा। उक्त
फाका ( अ० पु० ) उपवास, निराहार रहना ।
महोदयके यत्न और अध्यवसायसे यह जनशन्य प्राम
फाकामस्त ( फा०वि०) जो खाने पीनेका कष्ट उठा कर
बहजनाक या। अभी यह नगर पञ्जाबका एक
भी कुछ चिन्ता न करता हो, जो पैसा पास न रख कर वाणिज्य केन्द्र हो गया है । यहां जो शस्यादि और
भी वेपरवाह रहता हो।
पशम दूसरे देशोंसे आता है उसकी रफ्तनो कराची,
फाकेमस्त ( फा० वि० ) फाकामस्त देखो।
भागलपुर, बीकानेर और मूलतान आदि देशों में होती है।
फ़ाखतई (हिं० वि०) १ पण्डुकके रंगका, भूरापन लिये हुए शहर में एक सरकारी अस्पताल और म्युनिसिपल एडलो.
लाल। (पु०) २ एक रंगका नाम । यह रंग ललाई लिये वर्नेक्युलर मिडिल स्कूल है।
भूरे रंगका होता है । आठ माशे वायोलेटको आध सेर फाजिलनगर-युक्तप्रदेशके गोरखरपुर जिलान्तर्गत एक
मजीठके काढ़े में मिला कर यह बनाया जाता है। प्राचीन ग्राम। अभी यह फाजिला नामसे मशहूर है।
फाखता ( अ० स्त्री०) पंडुक, धवरखा।
इधर उधर जो ईटोंकी राशि पड़ी हुई है वही इस जन-
फाग (हिं० पु०) १ एक उत्सव जो फागुनके महीने में होता पदकी पूर्वस्मृति दिलाती है।
है। इस उत्सवमें लोग एक दूसरे पर रंग ·या गुलाल फाटक ( हिं० पु० ) १ तोरण, बड़ा द्वार । २ दरवाजे
डालते और बसन्त ऋतुके गीत गाते हैं । २ वह गीत जो परकी बैठक। २ फटकन, पछोड़ना। .
फागके उत्सवमें गाया जाता है।
फाटको ( स० स्त्री०) फिटकरी।
फागुन (हिं० पु०) शिशिर ऋतुका दूसरा महीना, माघके फ़ाटना ( हिं० कि० ) फटना देखो।
बादका महोना। यपि इस महीने को गिनती पतझड़ फाड़न (हिं० पु०) १ कागज या कपड़े आदिका टुकड़ा जो
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/८५
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