पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/९४

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८८ फिटकिरी-फिनिकीय सञ्चित फिटकिरीयुक्त कृत्रिम धातु (Pictlo breca)| क्षत दोषादि नष्ट होते हैं। फिटकिरीको जला कर उसके मिली रहती है। चूरकी नास लेनेसे नासास्राव निवारित होता है । विच्छ इस प्रकारकी मिश्रित फिटकिरी-संयुक्त मट्टीको ला ने जहां उंक मारा हो, वहां पर इसके चूरका लेप देनेसे कर छिछले हौदोंमें बिछा देते और ऊपरसे पानी डाल विष बातकी वातमें उतर आता है। प्रसूत शिशुकी देते हैं। अलमीनियम सलफेट पानीमें घुल कर नीचे नाभिरज्जु काटनेके बाद यदि नाभि पक जाय, तो जली बैठ जाता है जिसे फिटकिरीका बीज कहते हैं। इस वीज | हुई फिटकिरीका चूर देनेसे विशेष उपकार होता है। ( अलमीनम् मलफेट ) को गरम पानीमें घोल कर ६ कपड़े की रंगाईमें तो यह बड़े कामकी चीज है। इससे भाग सलफेट आफ पोटाश मिला देते हैं। फिर दोनोंको कपड़े पर रंग अच्छी तरह चढ़ जाता है । इसीसे कपड़े आग पर गरम करके गाढ़ा करते हैं। पांच छः दिनों को रंगनेके पहले फिटकिरीके पानीमें बोर देते हैं। रंगने फिटकिरी जम जाती है। | के पीछे भी कभी कभी रंग निखारने और बराबर करनेके सिन्धुनदके किनारे कालाबाग और छिछली घाटीके लिये कपड़े फिटकिरीके पानीमें बोरे जाते हैं। पास कोटकिल फिटकिरी निकलनेके प्रसिद्ध स्थान हैं। फिटको (हि स्त्री०) १ छीटा । २ सूतके छोटे छोटे फुचरे इङ्गालैण्ड वा चीनदेशजात फिटकिरीकी अपेक्षा कच्छ- जो कपड़े की सुनावटमें निकले रहते हैं। देशोत्पन्न फिटकिरी ही उत्तम है। कालाबागकी फिट- फिटन ( ० स्त्री० ) चार पहियेकी एक प्रकारकी खुली किरीके क्षारांशमें सोडा पाया जाता है, परन्तु इङ्गलैण्ड- गाड़ी जिसे एक या दो घोड़े खींचते हैं। देशज फिटकिरीमें पटाश रहता है। मञ्जिष्ठा, हरिद्रा, फिट्टा (हिं० वि० ) अपमानित, फटकार खाया हुआ। नील आदि रंगोंको पक्का करनेके लिये उसमें फिटकिरी फितना (अ० पु०) १ झगड़ा, दंगा फसाद । २ एक मिलाई जाती है। । फूलका नाम। ३एक प्रकारका इन। आयुर्वेदके मतसे इसका गुण धारक, रक्तरोधक और फितरती (अं० वि० ) १ चालाक, चतुर। २मायावी, पचननिवारक है। निस्तेज उदरामय, क्षयशील प्रदरादि, फितूरी । रक्तस्राव, बच्चोंकी विसूचिका, औदरिक छर्दि, जलवत् फितूर (अ० पु०) १ न्यूनता, घाटा । २ विपर्यय, खराबी। श्लेष्मास्राव, हिक्का आदि रोगोंमें इसका आभ्यन्तरिक ३ उपद्रव, झगड़ा। प्रयोगमें व्यवहार किया जाता है। चक्षु रोग, श्वेतप्रदर फितूरी ( हि० वि० ) १ झगड़ालू, लड़ाका । २ उपद्रवी, ( Leucorrhaca ), प्रमेह ( (ionorrhoea ), असृग्दर ! फसादी। (Men rhagia ) गुदभ्रंश वा जरायुभंश ( Prolapsus फिदवी (फा० वि०) १ स्वामिभक्त, आज्ञाकारी। (पु०)२ of the uteri and rectum) तथा अन्यान्य क्षतरोगोंमें दास। ' जलमिश्रित फिटकिरी विशेष उपकारजनक मानी गई फिदा (फा० पु० ) पिद्दा देखो। है। कसावके कारण इसमें सङ्कोचनका गुण बहुत अधिक फिनिकीय-फिनिस ( Phoenicia ) देशके प्राचीन है। शरीरमें पड़ते ही यह तंतुओं और रक्तकी नलियों- अधिवासी ( Phoenician )। ईसा जन्मके पहुत पहले- को सिकोड देती है जिससे रक्तस्राव आदि कम या बंद से पे लोग विदेशीय बाणिज्यकी उन्नति द्वारा जगत्में हो जाता है। गरम पानी में फिटकिरी डाल कर ४५ प्रतिष्ठालाभ कर गये हैं। ये लोग सेमितिक वा अरमियान दिन तक उससे मुंह धोनेसे जिह्वा और मुखविवरके फोड़े। जातिके थे। पहले ये लोहितसागर वा पारस्य उपसा- जाते रहते है। फिटकिरोके चूर और आइडोफरमको गरके किनारे रहते थे। (१) किस समय इन्होंने भूमध्य- मिला कर विस्फोटकादि पर लगानेसे धाव सहजमें सूख सागरके सिरिया उपकूलमें उपनिवेश बसाया उसका जाता है। फिटकिरीके पानीस कुल्ली करनेसे दन्तक्षत और गल- (१) Herod, vii. 8 |