पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१०१

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अखट-अगड़ा ६५ विशिष्ट । अखेट (स० आखट) आखेट देखो। ख्यात न हो। २ अविदित । ३ निन्दित । ४ अख्याति- अखेटक (स. आखेटक) आखेटक देखो। ५ अप्रतिष्ठित। अखेटिक (सं० पु०) न-खिट-षिकन्। वृक्षमात्र । अख्यान (हिं० पु०) आख्यान । आख्यायिका। कथा। अखेद (स० पु०) १ दुःख या खेदका अभाव । खुशी । दास्तान। प्रसन्नता। २ निईन्दता। (त्रि०) १ दुःखरहित। अख्यायिका (हिं० स्त्री०) आख्यायिका । कहानी। २ प्रसन्न। ३ हर्षित। खुश। अख्याति (सं० स्त्रो०) न-ख्या-तिन् १ अप्रसिद्धि । अखेलन (हि. वि.) १ बिना खेलते । २ अचञ्चल । २ निन्दा। ३ अपयश । ३ अलोल। ४ भारी। ५ स्थिर। ६ आलस्यभरा । अग (सं० त्रि०) न गच्छतीति न-गम-ड, नञ् तत्। ७ उनोंदा। नगोऽप्राणिष्वन्यतरस्याम । पा०६।३।७७ । १ न चलनेवाला, आलस भरी अखेलन अखियां बार बार जमु हइए । स्थावर, अचर। २ टेढ़ा चलने वाला। ३ मूढ़। चलो सखौ रामलला पौड्ये ! बघेलिनजी । ४ अनजान। (पु.) १ वृक्ष। २ पहाड़। ३ सूर्य । 'अखे (हिं० वि०) अक्षय । अविनाशी । अमर । ४ सांप। ५ अनाड़ी। ६ अङ्ग। ७ शरीर। ८ ऊखको अखैनी (हिं. स्त्री०) अनाज सुखानेकौ एक छोटौ गांठ का ऊपरी भाग, अगौरा, अगोड़ी। लग्गी। कभी कभी इस लग्गीके सिरे पर एक त्रिशूलके अगई (हिं० पु०) अवध, बङ्गाल, मध्यदेश और मन्द्राजमें समान लकड़ीका बना हुआ टुकड़ा बांध देते हैं। उत्पन्न होनेवाला एक वृक्ष। इसका काष्ठ खेत-रक्त जैसा इसमें तीन, चार या पांच दांत होते हैं। इसे भी अखैनी होता और घरों और जहाजोंमें लगता है। कोयला कहते हैं। राजपूताने में इसका नाम जई है। भी इसका उत्तम और पत्ते कोई दो फुट लम्बे अखैबर (सं० अक्षयवट) अक्षयवट देखो। होते, जिनकी पत्तलें बनाई जाती हैं। लोग अखोर (हिं० वि०) १ अच्छा । २ भद्र। ३ सज्जन। ४ इसकी कलियों और फलोंको तरकारी बनाकर दोषरहित । ५ खूबसूरत। (पु०) १ कूड़ा-करकट । खाते हैं। २ खराब घास । ३ चारा। ४ खर या बिचालो। अगच्छ (सं० पु०) न-गम-श । वृक्ष । अखोला (हिं० पु०) अकोल वृक्ष, एक प्रकारका पेड़। अगज (सं० क्लो०) अग-जन-ड, पर्वतात् जायते । अखोह (हिं. पु०) ऊंची-नीची भूमि। असम या विषम १ पावत्य वृक्ष। २ शिलाजतु। ३ सूर्य। ४ स्वर्ग। भूमि । चढा-उतार जगह। (त्रि०) जो पर्वतसे उत्पन्न हो। अखौट, अखौटा (हिं० पु०) १ पाट घूमनेको चक्कीवाली अगट (हिं. पु०) मांस बिकनेका स्थान। चिकवाकी खूटी। २ गड़ारी फिरनेका कांटा। दुकान। अखखाह (फा अव्य०) अहह। उद्देग या आश्चर्यसूचक अगटना (हिं० क्रि०) इकट्ठा होना। जमा होना । ध्वनि । किसीसे सहसा मिलने, किसीको स्वभाव- समवेत होना । बटुरना। विरुद्ध काम करते देखने अथवा ताने या प्रशंसाको अगड़ (हिं० पु.) अकड़। ऐंठ । दर्प । घमण्ड । भांति कोई बात कहने के साथ इसका प्रयोग होता है। अगड़धत्ता (हिं० वि०) लम्बा-तड़ङ्गा। ऊंचा। बढ़ा- अखूज (अ॰ पु०) ग्रहण। स्वीकृति। परिग्रह। चढ़ा। बहुत बड़ा। अनावर (फा. पु०) वह घोड़ा जो जन्मसे अण्डकोश अगड़-बगड़, अगड़म बगड़म (हिं० वि०) १ व्यर्थ । विहीन हो। सालहोत्री उसे दोषी मानते हैं। २ निष्फल। ३ अण्ड-बण्ड। ४ बिना मूड-गोड़। अख्रियार (हिं० पु०) इख्रियार । अधिकार । ५ बैसिरपरको बात। ६ अखोर । ७ ऊटपटांग । अख्यात (सं० त्रि०) न-ख्यात, नत्र तत्। न ध्याख्यापृ-- अगड़ा (हिं. पु०) १ झाड़ी हुई बाल । २ अखरा। मूच्छिमदाम् । पा० ८।२५० । १ अप्रसिद्ध । जो ज्ञात या खुखड़ी । ३ पिङ्गलके अनुसार अशुभ गण ।