पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१४१

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२ आत्म- पूजा। अग्रनिरूपण-अग्रसन्धानौ १३५ अग्रनिरूपण (स. क्लो०) १ पहलेसे समझ लेना। अग्रयण (सं० लो०) अग्र-अयन। अग्रहायण मास, २ भविष्यवाणी। अगहन महीना। इस मासमें साग्निक ब्राह्मणोंको अग्रन्थिक (सं० पु०) नास्ति ग्रन्थिर्यस्य, बहुव्री० । १ नवशस्य यज्ञ करना उचित है। वङ्गदेशमें निरग्नि कोपोनधारी जैन-सम्पदायविशेष। जैनियोंका वह ब्राह्मण नवाब करते हैं। प्रधान सम्पदाय जो कुपौन पहनता है। अग्रयाण, अग्रायान (स० लो०) अग्र-या-त्यु ट्, अग तत्त्वज्ञ, आत्माका तत्त्व जानने वाला। ३ जो संसार- यानं यस्य । १ पुरोगामो सैन्य, आगे जानेवाली फौज। पाशसे मुक्त हो गया हो। २ जनैक ऋषिका नाम, जिन्होंने यास्कसे पहले वेद- अग्रपर्णी (सं० स्त्री०) अग्रे पर्ण यस्याः । धापृवस्यज्यतिभ्यो व्याख्या की थी। नः। उण ३।६। शतावर, आलकुशी । अग्रयायिन्, अग्रयायो (स० वि०) अग्र-या-णिनि, ७- अग्रपाणि (सं० पु.) १ हाथका अगला भाग । तत् । पुरोगामी, आगे जानेवाला। २ दाहना हाथ। अग्रयोधिन्, अगयोधी (सं० पु०) अग्र-युध-णिनि, अग्रपुष्प (सं० पु०) वैतस वृक्ष, बेतका पौधा । ७-तत् । जो सैन्यके सम्मुख रह युद्ध कर, फोजके सामने अग्रपूजा (स'० स्त्री०) कर्मधा० । प्रथम पूजा, पहली | लड़नेवाला वीर। अग्रलोद्य (स० पु०) चिञ्चोड़मूल। इसका गुण अग्रपेय (स. क्लो०) जो सबसे पहले पिया जाये। गुरुपाक, शीतल और अजीर्ण कर होता है। अग्रभाग (सं० पु०) अग्र-भज-घञ् । १ श्राद्ध और अगुलोहिता (स० स्त्री०) बहुव्री० । १ जिसका ऊपरी पूजादिमें प्रथम देय भाग, वह भाग जो श्राद्ध या भाग लोहित वर्ण हो। लाल सिरेवालो वनस्पति। पूजादिमें सबसे पहले दिया जाये। २ शेष भाग, २ चिल्लोशाक, चिलारी। अन्तिम भाग; जैसे-शिखाग्र भाग, चोटीका अग्रवक्ता (स० लो०) एक तरहका नश्तर । सिरा। अगवण (स'• क्लो०) वनस्य वृन्दावनस्यागम् इति । अग्रभुक्, अग्रभुज (सं० पु०) अग्र-भुज-क्विप्। १ देवता आगरेका पूर्वतन नाम । आगरा देखो । और पिटपुरुषादिको जो न दे पहले ही भोजन करे। अगुवर्ती (स० वि०) आगे रहनेवाला, अगुआ, आगेका । २ औदरिक, पेटू। अग्रवाल, अगरवाल देखो। अग्रभू (सं० पु०) अग्र-भू-क्विम्, अन्तत् । १ ज्येष्ठ भ्राता, अगुवोज (स० पु०) अग्रं शाखाग्रं वोजरूपमुत्पादक बड़ा भाई। २ ब्राह्मण । यस्य । जो वृक्ष कलम लगानेसे उत्पन्न हो, जिसको अगभूमि (स० स्त्री०) १ आगेको भूमि। २ पड़ाव । डालसे पेड़ हो जाये । जैसे गुलाब, चमेलो इत्यादि । ३ प्रयोजन। अगवार (स० पु०) प्रधान योद्धा, आगे रह कर लड़ने- अग्रमहिषी (स. स्त्री०) कर्मधा। पट्टमहिषी, वाला सिपाही। प्रधाना स्त्रो। अगुव्रीहि (स० स्त्रो०) नवान्न, नई फ़सलका अनाज । अग्रमांस (स० क्लो०) कर्मधा० । १ हृदयके मध्यस्थित अगशोचो (स० पु०) आगेसे सोचनेवाला। पहलेसे पद्माकार मांस, वह मांस जो दिलके बीच में कमलके विचार कर लेनेवाला। दूरदर्शी, दूरन्देश । फूल जैसा होता है। फेफड़ा। २ उदरके अर्द्धभागस्थ अनुसन्धानी (स० स्त्री०) अग-सम्-धा-ल्युट, स्त्रियां मांसको बुद्धि, पटके ऊपरका मांस बढ़ जाना, एक डीए। यमपञ्जिका, यमराजको बहो। प्राणियोंके तरहका छातीवाला रोग। प्राक्तनका शुभाशुभ आगसे लिखे रहनेके कारण यम- अग्रमुख (स. क्लो०) अग्रं मुखम्, कर्मधा० । मुखाग्र, पञ्जिकाका नाम अनुसन्धानी रखा गया है। (पु.) मुंहका अगला हिस्सा। अग्रसन्धान-इन्। चित्रगुप्त ।