पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१४९

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अङ्कक-अङ्कपात १४३

परस्पर योजना द्वारा सकल प्रकार शब्द लिखे जाते, एकसे लेकर नौ तकके मूल अङ्क और शून्यको वैसे ही सकल राशि लिखनेके लिये भी कोई उपाय सहायतासे गुण और योग देकर जो राशि लिखी उद्भावित करना आवश्यक था। यही सोच और जाती है, उसे अङ्कपात कहते हैं। अङ्गविन्यास, अ, इ प्रभृति नौ इस्वस्वर देख उन्होंने १, २ प्रभृति नौ राशिलिखन। रूढ़ अङ्कको कल्पना को ; और अनुस्वारको देख शून्य अङ्कको दाहनी ओर जितने शून्य दिये जायंगे, (०) बनाया। इसमें सन्देह नहीं, कि वर्तमान १, २ मूल अङ्गको उतनी हो दशगुण संख्या बढ़ेगी। जैसे, इत्यादि अङ्कके साङ्केतिक चिह्न अ, इ, प्रभृति स्वर या एक (१) अङ्कको दाहनी ओर शून्य (०) रखनेसे १० एक, दो इत्यादि शब्दवाले आद्यक्षरके अप्रभश हैं। हो जायगा, अर्थात् एकको दसगुण संख्या बढ़ेगी। अङ्कक (सं० पु०) चिन लगानेवाला। गिनैया । दोको (२) दाहनी ओर (०) शून्य देनेसे उसको भी हिसाबिया। दशगुण संख्या होगी। इसी तरह ३० तौस, ४० अङ्ककार (स० पु०) १ जो लड़ाई या बाजी में हार चालीस, ५० पचास, ६० साठ, ७० सत्तर, ८० जौतका निर्णय करे । २ परीक्षक । ३ न्यायकर्ता। अस्मी, ८. नव्वे, १०० सौ इत्यादि समझना अङ्कगणित (सं० पु०) गिनतीका हिसाब । इल्म हि चाहिये । इस प्रकार लिख गये अङ्कको राशि कहते न्दसा । अरिथमेटिक । गणित देखो। हैं। यथा- अङ्कतन्त्र (सं० क्लो०) अङ्कप्रतिपादकम् तन्त्रम्, तन-ष्ट्रन् “एक दशं शतश्चैव सहसमर्थतन्तथा । तन्त्रम् । अङ्कशास्त्र । पाटोगणितादि। लक्षच नियुतञ्च व कोटिरवुदमेव च ॥ अङ्कति (सं० पु०) अञ्च-अति । अञ्च : को वा। उण् ४६१ । इन्दः खवो निखर्वश्च शङ्कपद्मौ च सागरः । अन्य मध्यं पराईच दशहड्या यथोत्तरम् ॥" १ ब्रह्मा । २ अग्नि । ३ वायु । ४ अग्निहोत्री। (त्रि) ५ चलिष्णु । (स्रो०) अङ्कती। एक राशिमें जितने अङ्क जोड़े जायंगे, पूर्व राशिक अङ्गधारण (सं० क्लो०) अङ्क-ध-णिच्-ल्युट भावे । चिह्न ऊपर उतनी ही संख्या बढ़ेगी। जैसे-१०+१=११। धारण करना, गोदाना। अतएव दश पर एक बढ़नेसे ग्यारह हुआ । इसी तरह अङ्गधारिणी (सं० स्रो०) वह स्त्री जो तन्त्रमुद्राके १०+२=बारह। १०+c=उन्नीस। २०+२% चिङ्गको धारण करे। २ अपने शरीर पर गोदना बाईस । ३०+८= उन्तालीस । गोदानेवाली। एकसे एकक, इकाई ; दोसे दश, दहाई ; तौनसे अङ्कन (सं० क्लो०) अङ्क ल्युट भावे । १ चिह्नकरण, शत, सैकड़ा; चारसे सहस्र, हज़ार; पांचसे अयुत, गोदना । करण ल्युट । २ जिससे चिह्न किया जाये। दश हज़ार ; छःसे लक्ष, लाख ; सातसे नियुत, दश ३ गिनती। ४ लेख। लाख ; आठसे कोटि, करोड़ ; नौसे अर्बुद, दश वैष्णव शङ्ख, चक्र, गदा, पद्म आदि, और शैव करोड़ ; दशसे वृन्द, अरब ; ग्यारहसे खर्व, दश अरब ; त्रिशूल अथवा शिवलिङ्गका चिह्न अपने शरीर पर बारहसे निखर्व, खरब ; तेरहसे शङ्ख, दश खरब ; अङ्कित कराते हैं। रामानुज-सम्प्रदायमें यह रीति चौदहसे पद्म, नौल ; पन्द्रहसे जलधि, दश नौल ; विशेष दिखाई देती है। सोलहसे अन्त्य, पद्म ; सत्रहसे मध्य, दश पद्म ; और अङ्कनीय (सिं त्रि०) आंकने योग्य, छापने योग्य । अट्ठारह अङ्कसे परार्ध, शङ्ख होता है। अङ्कपरिवर्तन (सं० ली.) करवट । राशि बहुत बड़ी हो जाने पर पहले दाहनी अङ्कपल्लव (सं० लो०) अक्षरके स्थानमें अङ्कको ओरके तौन अङ्क छोड़ एक चिह्न दे पौछे दो-दो योजना। अङ्कके बाद एक-एक चिह्न लमानेसे, मिनने में सुविधा अङ्गपात (स• पु०) अश्-पत-घञ्, ६-तत् । अङ्क लिखना। होती है।