पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१४४ अङ्कपात-अङ्कमालिका 1 ३,२७,५१,७२,८४,३७,८१,२४,७८०-इस समस्त संख्या बढ़ती है। फिर एक स्थान दाहनी ओर राशिको बांई ओरसे गिनना होगा। जैसे- हटानेसे ०१० दश, और दो स्थान दाहनी ओर तौन पराई, दो मध्य, सात अन्त्य, पांच जलधि, हटाने से ००१ एक हो जाता है। अर्थात् प्रत्येक बार एक पद्म, सात शङ्ख, दो निखर्व, नौ खर्व, चार वृन्द, संख्या दशगुण कम होती है। अतएव इससे यही तीन अर्बुद, सात कोटि, आठ नियुत, एक लक्ष, दो निश्चित हुआ, कि किसी अङ्कको जितना हो दाहने अयुत, चार सहस, सात सौ अस्मी। हटाया जायगा, उतना ही दशगुण संख्या कम होती राशिको संख्या नियत करते समय दाहनी | जायेगी। अङ्कको बाई ओर शून्य देनेसे उसको ओरसे गिनना पड़ता है। दाहनी ओरका पहला दाहनी ओर हटाना समझा जाता । परन्तु अङ्क एकक स्थानमें, दूसरा अङ्क दशके स्थानमें, तीसरा अङ्कको बांई ओर शून्य-स्थानमें विन्दुका प्रयोग सौके स्थानमें इत्यादि समझना चाहिये। होता है। जैसे-२। इस तरह लिखने पर यही १, २, ३, आदिको पूर्ण अङ्ग कहते हैं। भग्नास समझा जायगा, कि दोके बाएं एक विन्दु है । अर्थात् या भग्नांश लिखनेके दूसरे चिह्न हैं। ४ चार एक २ अङ्गका दशगुण कम है। दशमौक और भग्नांश देखो। पूर्ण अङ्क है। चारको दो समान भागोंमें बांटनेसे इसी तरहके अङ्गपातको पाटोगणित, अङ्क या एक-एक भागमें दो होता है। परन्तु १ एक राशि कहते हैं । वीजगणितके अङ्ग वर्णमालाके वर्ण- अङ्क दो समान भागोंमें बांटा नहीं जा सकता। से लिखे जाते हैं। इनको संख्या अनिर्दिष्ट है। इसलिये इसका समान भाग दिखानेको चिङ्ग है। जैसे-क, ख, ग इत्यादि वर्ण को १, २ आदि अङ्कके जैसे 1 लिखनेसे, किसी एक समस्त पदार्थके तुल्य माना जाता है। क, ख वर्ण कोई बंधी संख्या दो भाग किये गये समझना होगा, और उन दो भागों नहीं। रक कहनेसे कके स्थानमें कोई भी संख्या मेंसे एक भागका लिया जाना मानना पड़ेगा। इसी रखी जा सकती है। सङ्कलन और व्यवकलन देखो। तरह ३ लिखनेसे किसी समस्त पदार्थके चार समान अङ्गपादव्रत (सं० लो०) एक प्रकारका व्रत । भागोंसे तीन भाग लिये गये समझे जायेंगे। इस अङ्गपालि, अङ्गपालो (सं० स्त्री०) अङ्खन पालयतीति, तरहके अङ्गपातको भग्नांश कहते हैं । भग्नांश देखो। अङ्क-पालि-इ। स्त्री-डीप् वा अङ्गपालो। १ धात्री। एक प्रकारका भग्न अङ्क और भी है, उसे दशमिक धाय । २ कोटि। ३ एक प्रकारके गन्धद्रव्यका वैदिक भग्नांश या दशमलव कहते हैं। पहले ही लिख दिया नाम । ४ आलिङ्गन, लपट-झपट । गया है, कि किसी अङ्गको दाहनी ओर एक-एक शून्य अङ्गपालिका (सं० स्त्री०) आलिङ्गन, हमागोशौ। देनेसे प्रत्येक शून्यमें दशगुण संख्या बढ़ेगी। दशमिक अङ्गपाश (सं० पु०) अङ्कका संस्थापन-विशेष। अङ्ग- भग्नांश ठीक इसके विपरीत है। किसी अङ्गको बन्धन । अांक-बंधाई। बांई ओर एक-एक शून्य देनेसे उस अङ्कको दशगुण | अङ्कपूरण (सं० क्लो०) अङ्कको गुण करना। अंगरेजी में संख्या कम होते जाती है। जैसे-१, एक संख्या है। गुणनका चिह्न ४ ऐसा है। ४४३-इस तरह दो ०१, इससे एक संख्या का दशगुण कम समझ अङ्कके बीच में चिह्न रहनेसे गुण करना समझा जायेगा। पड़ता है। ००१, इससे एक संख्याका शतगुण गुण देखो। कम होता है। इस तरह घटने का गूढ़ तात्पर्य अङ्कबन्ध (सं० पु०) ६-तत् । क्रोड़-बन्ध । अङ्कमाल (सं० पु०) आलिङ्गन । भेट। गले लगाना। देखने में आता है-१ एक संख्याको एक स्थान हमागोशौ। बांई ओर हटानेसे १०, और दो स्थान बांई ओर अङ्कमालिका (स० स्त्री०) १ छोटी माला। हलका हटाने से १०० होता है। यहां प्रत्येक बार दशगुण हार।२ आलिङ्गन । भेट । मिलाप।