पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१६९

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अङ्गार पदार्थ देखते, उनमें कितने हो यौगिक हैं। जो आपेक्षिक गुरुत्व ३३ से ३५ तक है। मट्टौके भीतर वस्तु स्वयं ही एक स्वतन्त्र पदार्थ है, दो-तीन वेल पत्थरको खानिमें यह उत्पन्न होता है। पदार्थों के योगसे उत्पन्न नहीं हुई, वह रूढ़ पदार्थ स्वाभाविक अवस्था में इसको चारो ओर बहुतसे कोने समझी जाती है। जो वस्तु दो-तीन पदार्थों के मेलसे होते देखने में ठीक ज्यामितिके क्षेत्र जैसा उत्पन्न हुई, वह यौगिक पदार्थ है। सोना, यह मालूम पड़ता है। इतना वज्जतुल्य कठिन चांदी, लोहा, गन्धक, अक्षिजेन, हाइड्रोजन आदि पदार्थ संसारमें दूसरा कोई नहीं। खानिसे निकालने द्रव्य रूढ़ पदार्थ हैं। जल यौगिक पदार्थ है, क्योंकि पर होरा काटना पड़ता है। काटनेसे इसकी यह अक्षिजेन और हाइड्रोजेनके योगसे उत्पन्न होता उज्ज्वल दीप्ति प्रकाशित हो जाती है। गोलकुण्डा, है। इच्छा होनेसे हम इन दोनो पदार्थों को अलग बोर्णियो, और ब्रजिल प्रदेशका होरा हौ प्रसिद्ध है। कर सकते, फिर यह दोनो पदार्थ मिलाकर जल अफ़ौकाके केप प्रदेशमें भी कितना हो हीरा सिलता भी उत्पन्न कर सकते हैं। है। होरा अमूल्य रत्न है; जो होरा जलके अङ्गार एक रूढ़ पदार्थ है। लकड़ी जला कर जो समान साफ होता, उसोका अधिक आदर है कोयला प्रस्तुत होता, साधारण भाषामें उसे ही अङ्गार, हौरसे शीशा और पत्थर काटा जाता और वैद्य अँगार आदि कहते हैं ; परन्तु रसायनविद्याके मतसे होरकी भस्मसे औषध प्रस्तुत करते हैं। अन्य कोयला विशुद्ध अङ्गार (Carbon) नहीं। विशुद्ध कोई पदार्थ न मिलाकर यदि केवल होरमें प्रखर अङ्गारका गुण यही है, कि ताप लगते ही वह ताप दिया जाये, तो वह फूलकर ठीक कोयले के अक्षिजनके साथ मिल और भाफ बनकर उड़ जाये ; समान हो जाता है। इसीसे लोगोंका अनुमान है, बाकी कुछ भी न बचे। परन्तु कोयला जल जाने कि खनिज द्रव्यमें विशेष ताप लगनेसे हीरा नहीं पर राख पड़ी रहती है। चूना, क्षार आदि पार्थिव उत्पन्न होता। हौरा देखो। पदार्थसे राख निकलती है। इस लिये कोयलेमें दूसरा अङ्गार-काला सीसा (Plumbago or Gra- अङ्गारके अतिरिक्त दूसरा भो कोई पदार्थ मिला है। phite) है । यह खनिज पदार्थ लङ्का, साइबेरिया और जलनेसे अङ्गार तो अक्षिजनसे मिल और भाफ बन कम्बलैंण्ड प्रदेशके वारोडेल नामक स्थान में बहुत कर उड़ जाता, दूसरा पदार्थ राख होकर गिर पड़ता मिलता है। यह देखने में सौसके समान, परन्तु है। साधारण रीतिसे कोयेलेको (Charcoal) अङ्गार काला होता है। कागज पर इसे रगड़नेसे काला कह सकते हैं। दाग पड़ जाता है। इसलिये इससे अच्छा पेन्सिल प्रदीपके ऊपर कोई चौज़ ढांक देनेसे जो बनता है। लोहे के बने हथियार भी इससे मांजनपर काजल पड़ता , वह कोयलेको अपेक्षा विशुद्ध अङ्गार खूब साफ होते हैं। काला सौसा छकोनी सलाईके है। स्वाभाविक अवस्था में विशुद्ध अङ्गार दो प्रकारका आकारमें खानिके भीतर रहता है। सौसा देखो। होता है-हीरा और कृष्णसौस। अतएव अङ्गारका इसका आपेक्षिक गुरुत्व २१५ से २ ३५ तक है। रूप एक प्रकारका नहीं। काजल बहुत ही कोमल गन्धक-ट्रावक और क्लोरेट् अव पोटासके साथ आंच पदार्थ है, किन्तु वह भी अङ्गार है ; फिर वचतुल्य देने पर इसका मैल निकल जाता है। अधिक हीरा भी अङ्गार है। होरा, कृष्णसौस और कोयलेका आंच देनेसे पात्रमें शुद्ध सीसा जम जायेगा। पौछ पूरा विवरण नीचे लिखा गया है। कसनेसे धातुके समान कड़ा हो जाता है। हौरा (Diamond)–सन् १७५६ ई० में लेवोसिओने तीसरा अङ्गार-ौद्भिद और जान्तव हैं । लकड़ी और अक्षिजनमें होरा जलाकर देखा, कि वह विशुद्ध जन्तुकी हडडी. जलनेसे कोयला होता है। मौके अङ्गारके सिवा और कुछ भी न था। होरका | -भीतर पत्थरका कोयला मिलता है। दीपपर कोई