पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१७

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अंबारी-अशु १५ अंबारौ (फा० पु.) १ छज्जा, रविश। २ हाथोकी | अंशपत्र (सं० पु०) जिस काग़ज़ में पट्टीदारका पौठ पर रखनेका हौदा। इसके ऊपर छज्जेदार अंश वा हिससा लिखा रहे। मण्डप रहता है। अंशभाज् (सं० त्रि.) अंश-भज-णि, उप०स० । अंश- अंबिया (हिं. स्त्री०) आमका जालौ न पड़ा हुआ ग्राही, अशहारी। भजो गिव: : पा शश६२ । उपसर्ग और छोटा फल। इसकी चटनी और अचारी बहुत अच्छी उपपदके परे भज धातुके उत्तर खि प्रत्यय होता है। बनती है। इसे टिकोरा भी कहेंगे। अंशभाक, अंशभाजौ, अंशभाजः। (स्त्री०) अंशभाजा। अँबिरथा (हिं० वि०) वृथा, फज ल । अंशल (स'त्रि.) अंश-लच्। १ बलवान् । अंश अंबोह (फा० पु०) भीड़भाड़, समाज । लाति गृह्णातीति अंश-ला-क। २ अंशग्राही। अंश-अन्श अदन्त चुरा पर० विभाजने। अंशयति। अंशसवर्णन (सं० क्लो०) अंशयोः अतुल्यच्छेदयोः रायोः अंशापयति । त अंशित । समुच्छेदकरणम्। असमराशिका सम विभाग । अंश (सं० पु०) अन्श-अच्। १ विभाग । २ भक्ति । अंशसुता (2) स्त्री०) सूर्यकन्या, यमुना। ३ देहांश, अवयव । ४स्कन्ध। ५ राशिचक्रके तोस | अंशहर (सं० पु०) अंश-ह-अच्। अंशग्राही। भागमें एक भाग। ६ अक्षांशभाग । ७भाज्य अङ्क। हरतेरनुद्यमनेऽच । पा ।।। अनुद्यमन अर्थमें कर्मके उप- ८ कला, सोलहवां भाग । ८ वृत्तको परिधिका पद पर ह धातुसे उत्तर अच् प्रत्यय होता है। अंशं ३६० वां भाग। इसे एकाई मानकर कोण वा हरति । उद्यमनके अर्थमें अण होगा। जैसे भारहार । चापका परिमाण बतलायेंगे। पृथीको विषुवत्रेखाको अंशावतरण ( स० क्लो०) देहांशसे आविर्भाव, जिस्मके ३६. भागमें बाँटकर प्रत्येक विभाजक विन्दुसे हिस्से से नमूदारी। महाभारतके आदिपर्वका उनसठसे उत्तर-दक्षिण एक लकीर खींचते हैं। फिर उत्तर तिरेसठ अध्यायतक शौनक-उग्रस्रवा-संवाद अंशा- दक्षिणको रेखाके ३६० भाग बना विभाजक विन्दुसे वतरण-पर्व कहाता है। इन पांच अध्यायमें महा- पूर्व-पश्चिम लकीर खींचें एवं उत्तर-दक्षिण और भारतकी मूल कथा अति सपसे लिखी है। साक्षात् पूर्व-पश्चिम रेखाके परस्पर अन्तरको अंश कहेंगे। नारायणस्वरूप भगवान् कृष्णद्वैपायन वेदव्याससे शान्तनु. इसी रीतिसे राशिचक्र भी ३६० अंशमें बंटा है। वंशको रक्षाके लिये पाण्डु, धृतराष्ट्र और विदुरका राशि बारह हैं, इससे प्रत्येक राशि प्रायः ३० जन्म हुआ था। पीछे पाण्ड एवं धृतराष्ट्रसे पाण्डव अंशको होगी। अंशके ६०वें भागको कला और और कौरव निकले। इसोसे महाभारत बनानेवालेने कलाके ६०वें भागको विकला कहते हैं। १० पाण्डु, धृतराष्ट्र और इनके वंशधरको अंशावतार आदित्यभेद। (ऋक् २।१।४) महाभारतके मतमें ६ष्ठ, । इसतरह उन्होंका कथानुबन्ध रहनेसे उता हरिशानुसार म और विष्णुपुराणके मतमें ५म पांच अध्याय अशावतरण-पर्व नामसे निर्दिष्ट हुआ। आदित्य। ११ चन्द्रवंशीय राजभेद, राजा पुरुहोत्रके | अंशावतार (सं० पु०) जिस अवतारमें परमात्माकी पुत्र। (विष्णुपुराण) शक्तिका कुछ भाग आये, जो पूर्णावतार न हो। अंशक (सं० पु० ) अंश-कन्। १ अंशहारी, ज्ञाति, | अंशिन् (सं० पु०) अंश-णिन् वा अंश-इन् । १ हिस से- पुत्र। २ भाग। ३ हिस्सेदार, साझी। ४ पट्टी- दार। २ अंशधारी ३ अवतारो। ४ अंशयोग्य। दार। ५ बांटनेवाला, विभाजक। अशं हारी। (स्त्री०) शिनी। पा ५।२६९ । अंशशब्दाविदशादेव द्वितीयासमर्थाद्धारोत्य- अंशु (सं० पु०) अन्श-उ। १ किरण । २ प्रभा । तस्मिन्नर्थे, कन् प्रत्ययो भवति। अंश-खुल् । ६ राशि ३ धागेका छोर। ४ सूर्य। ५ वेश। ६ लेश । ७ वेग। चक्रका ३०वाँ भाग। (लो०) ७ दिन (स्त्री) ८ धागा। 2 अतिशय सूक्ष्म भाग । १. किसी ऋषिका अंशिका। राशिचक्र देखो। नाम। बताया है