पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१७९

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अङ्ग लि- कारण, भीतरी अङ्गलिका १७२ -अङ्गुलिवाण इससे उपकार न होनेपर वेदना स्थानमें पुनः पुनः कभी-कभी इन सकल उपायोंसे रक्त बन्द नहीं हो जल डाले और घी-मिला अलसीका पुलटिस सकता। ऐसे स्थलमें लोहेका कोई द्रव्य आगमें कुछ बांधे। पूय सञ्चित न होनेसे भी अङ्गलिका सिरा गर्म कर, कटे स्थानको दाग देना चाहिये। इससे अधिक सूज जानेपर वेदना स्थलमें नश्तर लगाना अविलम्ब ही रत बन्द हो जाता है। कर्तव्य है। नश्तर लगाते समय विशेष सतर्क रहे। किसी प्रकार अङ्गुलि कट जानेपर सुचिकित्सक अङ्गलिके दोनो पार्श्व में नाड़ी हैं, अतएव यह सकल द्वारा चिकित्सा कराना उचित है। नाड़ी बचा पर्व के मध्यस्थलमें चोर और कदाच हडडी चूर हो जानेसे अङ्ग लिका कियदंश काटकर पर्व के जोड़पर अस्त्राघात न करे। नश्तर लग फेंक देना पड़ता है। ऐसा न करनेसे क्रमशः वह जानेसे प्रत्यह दो-तीन बार अलसीका पुलटिस बांधे स्थान सड़ा करता और अवशेषमें प्राण-संशय और सेवनके लिये सिलिकाको व्यवस्था चलाये। उत्पन्न हो जाता है। एलोपेथी-अङ्गलिमें प्रयोग करनेको ऊपर जिस अग्रभाग सायु-मण्डलसे जड़ा, प्रकार व्यवस्था लिखी गई, तदनुरूप कार्य करना इसलिये आघात पहुंचनेसे कभी-कभी धनुष्टङ्कार रोग चाहिये। अङ्गुलिमें सड़ा वाव हो जानेपर भीतरसे आ उपस्थित होता है। अङ्ग लिमें अधिक आघात सड़ी हड्डौ निकाल डाले। पोछे प्रतिदिन १ भाग न लगनेसे ऐसे भयका कोई विषय नहीं। शीतल काबॉलिक एसिड और १६ भाग पानी एकत्र मिश्रित जलमें कपड़ा भिजाकर अङ्गलि बांध दे। नहीं तो, कर क्षतस्थान धोये और बोरासिक मरहम ३० रत्ती सोस् सर्करा ( Plumbic acid), एक लगाये। लौह (५ विन्दु टिचर टोल, आध छटाक ड्राम अफीमका अरिष्ट और आधसेर शीतल जल पानी), काडलिवर आयल, कुनैन, बार्क और एमो एकत्र मिश्रित कर क्षतस्थानपर प्रयोग करे। निया-इन सकल द्रव्यको सेवन करना चाहिये। गेंदा फूलको पखुरीके रस किंवा होमिओपेथी सांसारिक कार्य करने में अङ्गुलि ही प्रधान इन्द्रिय मतके केलिण्डिउलाको जलके साथ आहत स्थानमें इसीसे सचराचर अङ्गुलि कट जाती ; चाकू, प्रयोग करनेसे कितना ही उपकार होता है। हंसिया, गडांस, कुल्हाड़ी और कलसे अङ्गुलिमें कई अङ्ग लिग (सं० त्रि०) अङ्ग लिभिः गच्छतौति। तरह चोट पहुंचती है। कटौ अङ्गुलिसे अत्यन्त अङ्ग लिपर भर देकर चलनेवाला, जो उंगलीपर बोझ रक्त गिरनेपर तत्क्षणात् भौजा कपड़ा उसपर डालकर चले। कसकर बांध दे और हाथ ऊपरको उठाये रहे। अङ्गलितोरण (सं० क्लो०) अङ्ग ले: तोरणमिव कृतम् । क्षतस्थानमें आप ही फाइब्रिन (fibrin) जमकर रक्त ललाटपर अर्धचन्द्राकृति चन्दनका तिलक । चन्दनको बन्द कर देता है। अतएव पहले कटे हुए स्थानमें खौर जो माथेपर अर्धचन्द्राकार लगाई जाती है। पानी न डाले ; पानी डालनेसे रक्त नहीं जमने अङ्गलित्र (सं० क्लो०) अङ्ग लि-त्र क, ६-तत् । पाता। पनियाले, और अकोड़ेका भी पत्ता रक्त अङ्गलिका आवरण, उगलौकी हिफाज़त करनेवाली बन्द करनेको उत्कृष्ट औषध है। कालकासुन्द या चीज़। १ लोहे या चमड़ेकौ टोपी जिसे दरज़ी पनियालेका पत्ता हुक्क के पानी में बांटकर कटे हुए कपड़ा सीते समय पहनते हैं। दरजी लोहे या स्थानपर लगानेसे तत्क्षणात् रक्त बन्द हो जाता है। चमड़ेको टोपी अनामिकाके ऊपर पहन वस्त्रादि फिटकरी, लोहेका अर्क, बरफ प्रभृति द्रव्य कटे हुए सोते हैं। यह टोपी न रहने पर बार-बार सूईसे स्थानमें लगा कसकर बांध देनेसे भी रक्त बन्द होता अङ्गलि छिद जाती है। २ दस्ताना। है। दूर्वा घासको प्रयोग करनेसे यही फल उत्पन्न अङ्गुलित्राण (सं० क्लो०) अङ्ग लि-त्र-त । संयोगादरातो धातो- हो सकता है। अङ्गुलिको मोटी नाड़ी कट जानेपर ईखतः। पा ८।२४३। उंगली बचानेको टोपी, जिसे