पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१९२

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४ जैनियोंके । अच्छोद्य-अछन १८५ अच्छोद्य (स० अव्य०) अच्छ-वद-क्यप् । अच्छ गत्यर्थ- | अच्युताग्रज (सं० पु०) अच्युतस्य कृष्णस्य अग्रजः । वदेषु । पा १।४।६६ : अच्छ वदतीति। सम्मुखमें कहकर, ६-तत्। १ बलराम। वसुदेवके औरस और सामने बोलकर। देवकोके गर्भसे श्रीकृष्णके जन्म-काल में बलदेव पहले अच्छोहिनी-अक्षौहिणी देखो। प्रसूत हुए थे, इसीसे इनका नाम अच्यु ताग्रज पड़ा। अच्युत (स' पु०) न च्युतः न च्यवते न च्यविष्यते २ इन्द्र। कश्यपके औरस और अदितिके गर्भसे आगे वा। न-च्यु-क्त कालसामान्ये । नञ्-तत् । १ जिसका इन्द्रने जन्मग्रहण किया था, पीछे भगवान् प्रसूत न कभी क्षय हुआ, न होता और न होगा; सना हुए ; इसीसे इन्द्रको अच्यु ताग्रज और भगवान्को तन ब्रह्म, ईश्वर। २ कृष्ण। ३ विष्णु। उपेन्द्र कहते हैं। देवताविशेष। ५ हादश सर्गयुक्त काव्यविशेष। अच्य ताङ्गज (स० पु०) अच्यु तस्य अङ्गात् जायते, ६ अर्बत प्रभुके कनिष्ठतम सन्तान । (त्रि०) ७ स्थिर, जन-ड। कृष्णके पुत्र, कामदेव । ठहरा हुआ। ८ अवष्ट, लगा हुआ। ८ क्षरणशून्य, अच्युतात्मज (सं० पु०) अच्यु तस्य आत्मनः जायते, लाजवाल ; नाश न होनेवाला। जन-ड। कृष्णके पुत्र, कामदेव। यह कृष्णके औरस अच्युत- इस नामके अनेक संस्कृत-ग्रन्थकार हो गए और रुक्मिणीके गर्भसे उत्पन्न हुए थे। हैं। निम्नलिखित संस्कृत-ग्रन्थ अच्युतनामधेय विभिन्न | अच्युतानन्द (सं० क्लो०) सनातन ब्रह्म। परमेश्वर । व्यक्तियोंके बनाए हैं,-१ कृष्णशतक । २ गुरुवर- अच्यु तानुजा (सं० स्त्री०) अच्यु तस्य श्रीकृष्णस्य प्राथना-पञ्चरत्नस्तोत्र । ३ भागीरथीचम्यू । ४ रत्नमाला अनुजा। भगवती। श्रीकृष्ण के जन्म-दिन भगवतीने नामक ज्योतिर्ग्रन्थ । ५ दायभागटीका । ६ वेदान्तामृत नन्दालयमें जन्म लिया था, इसलिये यह अच्यु तानुजा चिद्रत्नचषकटौका। ७ भास्वतीकरणटोका। कहलाती हैं। अच्यु तकुल (सं० लो०) वैष्णवोंका कुल या अच्युतावास ( स० पु०) अच्यु तेन उष्यते अत्र, गोत्र। आ-वस-घञ् अधिकरणे ; बहुव्रो । अश्वत्थवक्ष, अच्युत कृष्णानन्द–छान्दोग्योपनिषदिवरण और एका- पीपलका पेड़। दशीमाहात्माके रचयिता । अच्युताश्रम-चिदानन्दाश्रम या परमानन्दाश्रमक अच्युत कृष्णानन्द-तीर्थ-स्वयंप्रकाशानन्दतीर्थ सरस्वती शिष्य। इन्होंने रामनाममाहात्मा, रामार्चनचन्द्रिका, के शिष्य। इन्होंने कृष्णालङ्कार नामक शास्त्र सिद्धान्त विश्वेखरीपद्धति, संन्यासधर्मसंग्रह प्रभृति संस्कृत लेशसंग्रहको टौका बनाई थी ग्रन्थ बनाये थे। अच्य तगोत्र (स० लो०) वैष्णवोंका गोत्र या कुल । अच्युति (स० स्त्री०) न-च्य -क्तिन्, नत्र-तत्। अच्युतचक्रवर्ती-हरिदास तर्काचार्यके पुत्र, हारलताके १ क्षरणाभाव, कायममुकामी। (त्रि.) २ विच्युति- टीकाकार। शून्य, लाजवाल। अच्युतपति-मधुसूदनाश्रमके शिष्य, जिन्होंने सौता- अछक (हिं० वि०) छका हुआ, बुभुक्षित। रामाष्टकस्तोत्र बनाया था। अछकना (हिं० क्रि०) भूखे रहना, डटकर न अच्युत-मध्यम (सं० पु.) विकृतस्वर-विशेष । खाना। अच्युत रघुनाथ भूपाल-रामायणसारसंग्रह-रचयिता। अछत (हिं. क्रि०-वि.) १ आगे, रूबरू। २ अलावा, अच्युत वैद्य-रसस ग्रहसिद्धान्तनामक वैद्यक-ग्रन्थके सिवा; अतिरिक्त, भिन्न । ३ पीछे, बाद। रचयिता। इनके पिताका धरणोगोणिग और अछताना-पछताना (हिं. क्रि०) पश्चात्ताप करना, पितामहका नाम महादेव था। अफसोस करना। अच्युत-षड्ज (स पु०) विकृतस्वर-विशेष। अछन (हिं• पु.) १ अधिक समय, लम्बा वक्त। ४७ -