पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१९९

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१६२ अजनौर -अजगर अजक्षीर (सं० लो०) अजायाः क्षीरं, ६-तत् ; वद्- भावः। ड्यापोः सज्ञाछन्दसोर्वहुलम् । पा० ६।३।६३ । बकरीका सांपको मार उसका चर्म रोमराज्यमें लाकर रखा। अबुल बैहकौने अपनी तारीखे नसरी पुस्तकमें लिखा है, कि गज़नीके सुलतान मायूदने सोमनाथको जय कर स्वदेश वापस जाते समय पथमें एक वृहदाकार दूध। 2 था। बृहत् सर्प, अजग (सं० लौ०) अजं विष्णु गच्छति शरत्वन (वाच०), अज-गम-ड। शिवधनुः, महादेवका धनुष। (पु.) अजैन ब्रह्मणा गीयते गम्यते वा कर्माणि गै-क, गम-ड वा। १ अग्नि । २ विष्णु। अजगन्धा (सं० स्त्री०) अजस्य गन्ध इव गन्धोऽस्याः । जङ्गली अजवायन, अजमोदा। अजगन्धिका (सं० स्त्री०) अजस्य गन्ध इव गन्धोऽस्याः । बकरे जैसी जिसकी बदबू हो, बर्बरी शाक, बबइ-तुलसी। अजगन्धिनी (सं० स्त्री०) अज-गन्ध-इन् डीप्। अजस्य मेषस्य गन्धः सम्बद्धः एकदेशः, अर्थात् शृङ्गः, स फल- रूपेण अस्या अस्ति । अजशृङ्गी, जिङ्गन। अजगर (सं० पु०) अज-गृ-अच्, अजछागं गिरति गिलति। जो बकरको निगले। बड़ा सांप। अजगर शब्दसे प्रायः हम बृहदाकार सर्पको समझते हैं। किन्तु वास्तविक ऐसा नहीं है। अजगर बृहदाकार पहाड़ी सांप (Python and Boa Cons- trictor ) होता है। एशिया और अफोकामें यह अजगर मिलता है, प्राणितत्त्ववित् पण्डित इसे पाइथन कहते हैं। भारतवर्ष में पाइथन रेटिक्यूलेटस् (Python reticulatus) जातीय अजगर ही सर्वापेक्षा बृहत् होते हैं। अमेरिकाके अजगरका नाम बोप्रा कन्सट्रिकर (Boa constrictor) है। यह बकरे, मेंढे, हरिण, महिष, चौते और हाथी तकको पकड़ खा डालता है। अज प्रभृति बड़े-बड़े जन्तु निगल जानेके कारण इस पहाड़ी जातिके बड़े सांपका नाम अजगर पड़ा है। गोखुरे क्यूटीये प्रभृति सांपों- को हम अजगर कह नहीं सकते। प्रायः पहाड़ी बड़ा सांप १०।१५ हाथ दीर्घ होता है; कितने ही लोगोंने अस्मी हाथ लम्बा अजगर भी देखा है। एकबार एक अजगर अफ्रीकामें कितने ही सिपाहियोंको निगल गया था। रोमकोंने उसी अजगरको वध किया था। उसी सांपका चमड़ा गज.नी नगरमें सिंहद्वारपर लटका कर रक्खा गया था। चमड़ा ६० हाथ लम्बा और ४ हाथ चौड़ा बैहकोने लिखा है, 'इस बड़े सांपकी बातपर यदि किसीको विश्वास न हो, तो वह गजनी जाकर अपनी आँखों देख आये।' बहको माह्मदके समकालिक मनुष्य थे। पहाड़ी अजगर क्षुधात होनेसे ह्रद, नद और निर्भरके पास वृक्षमें अपनी पूंछ लपेट झला करता है। इसके मलबारके समीप कंटिया जैसी एक हड्डी होती है, इसीसे वृक्षमें वह हड्डी लगा यह अना- याससे लटक सकता है। किसी जन्तुके जल पौनेको जानेसे उसी समय यह कूदकर उसपर जा गिरता है। एकवार पकड़ा जानेपर दुर्जय वनका हाथी भी पहाड़ी अजगरके मुंहसे छुटकर नहीं भाग सकता। भाग न सकनेका कारण यह है, कि इसके नीचे और ऊपरवाले दोनो दांत मुहके भीतरको ओरको घुमे हुए रहते हैं। इसीसे, निगलनेके समय पखादिका शरीर सहजमें उदरस्थ हो सकता है; किन्तु उसे बाहरको ओर खौचनेपर दांत उसमें फंस जाते हैं। अनेकोंने देखा है, कि जन्तुको एकबार दबोचकर पकड़नेपर सांप अपनी इच्छासे भी उसे छोड़ नहीं सकता। इसके मसकुरको बनावट बहुत ही अनोखी है। अन्यान्य जन्तुका मसकुर जुड़ा हुआ रहता, इच्छा ।