पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२१०

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अजामूत्र-अजिण्ठा उपस्थित हुआ। उस समय यह नारायणका विषय सोचने लगे। इन्होंने देखा, कि तीन, पाशहस्त, वक्रमुख और भयानक यमदूत उन्हें लेने पहुंचे थे। उन्हें देख अजामिल अत्यन्त भौत हुए, उच्चैःस्वरसे बालक नारायणको बार-बार पुकारने लगे। भया- कुल अजामिलके मुखसे नारायणका.नाम निकलने पर विष्णुदूतोंने आकर यमदूतोंको निवारण और इनके निकट हरिगुणानुवादको कीर्तन किया। क्षणमात्र साधुसङ्गको लाभ कर अजामिलका निर्वेद आ उप- स्थित हुआ। अपत्यस्नेहादि संसारबन्धनको छेदन कर इन्होंने गङ्गाहारको यात्रा की और वहां योग साधनपूर्वक देहको त्याग कर वैकुण्ठधाम गये। अजामूत्र (सं० क्लो०) बकरीका पेशाब । यह कटु, उष्ण, रूक्ष, नाड़ीविषघ्न ; प्लीहोदर, कफ, श्वास, गुल्म एवं शोफहर और लघु है। अजामद (स. क्लो०) छागवसा, बकरीको चर्बी। अजाय (हिं० वि०) अनुचित, गैरवाजिब । अजायब (अ० पु०) आश्चर्यजनक द्रव्य, अनोखी चीज। भूलसे कहते हैं। इस गुफामें बौद्धीका चैत्य और बौद्ध सन्यासियोंके कई विहार या मठ वर्तमान हैं। इसीलिये अजिण्ठा इतना प्रसिद्ध हो गया है। अक्षा' ३०° ३२ उः और द्राधि° ७५०४६ पूः यह अवस्थित है। यह गुफा अजिण्ठा ग्रामसे ४ मौल पश्चिम और असाइ-रणस्थलके निकट है। इसका अपर नाम इन्ध्याद्रि है। अजिण्ठेके बौद्ध-वहार और चैत्य जगद्विख्यात हैं। यह चैत्य निज़ाम राज्यके फर्दापुर नगरसे साढ़े तीन मौल दक्षिण-पश्चिम और पचीरा रेलवे-टेशनसे सत्रह कोस दक्षिण-पूर्वमें अवस्थित है। हिन्दू कारीगरोंके हाथका बहुकालवाला नक्काशीका काम और चित्रकौशल भारतवर्षके अनेक स्थानोंमें आज भी विद्यमान देखा जाता है। कटक, भुवनेश्वर, इलोरा और अजिण्ठाको शोभा आज भी नूतन बनी, आज भी वह सौन्दर्य नष्ट हुआ नहीं है। छठे विहारमें बुद्धदेवको एक मूर्ति बड़े हो परिश्रमसे निर्माण की गई, जो बोलना जैसा चाहती है। यहां जैसे चित्र इटली में भी कहीं देख नहीं पड़ते। फर्दापुर होकर जानेमें अजिण्ठाके गिरि-चैत्यका पथ भागुर उपत्यकासे दक्षिण दिक्में आध कोस दूर जा निकलता है। इसके बाद दक्षिण-पश्चिम दिक्में दूसरी एक छोटौ उपत्यका है। इस उपत्यकाके भीतरसे भागुर-नदके किनारे-किनारे जाना पड़ता है। कोई एक कोस पथके बाद भागुर नद एकबारगी ही ठीक पश्चिम दिक्को घूम गया है। इसी जगह खड़े होनेसे अजिण्ठाके गिरिचैत्य देख पड़ते हैं। पहाड़ छोटे-छोटे हैं, ढाई सौ फुटसे अधिक ऊंचे नहीं। इसका एक दिक् काटकर नानाप्रकारको बनावटके खम्भे और तरह- तरहको मिहराबें निकाली गई हैं। कुछ दूरसे यहांके मन्दिर और विहार देखनेसे फिर आंख फेरौ जा नहीं सकती, इच्छा होती है, कि बराबर इन्हें देखते ही रहें। अजिण्ठे में सब मिलाकर उच्चास अट्टालिकायें हैं। इनमें पांच चैत्य अर्थात् देवमन्दिर, और चौबीस अजायबखाना (अ० पुं०) आश्चर्यजनक द्रव्योंका भवन, अनोखी-अनोखी चीजें रहनेका स्थान ; Museum. अजायबघर-Museum. अजायवखाना देखो। अजार (हिं० पु०) आजार, रोग, बीमारी। अजारा (हिं• पु०) इजारा। अधिकार, इखतियार। अजाविक (सं० क्लो०) १ भेड़-बकरा। २ छोटे पशु । अजाविट् (सं० स्त्री०) छागविष्ठा, बकरीको लेंडी। अजाख (सं० क्लो०) १ घोड़ा-बकरा। २ सूर्य । अजाह्वा (स० स्त्री०) आत्मगुप्ता, कोंच । अजि (स' त्रि.) अज गती-क्षपणे च इन्। गति- शील, चलनेवाला। अजिौरा (हि. पु०) आजी या दादौके बापका मकान। अजिका (स. स्त्री०) तरुण छाग, नौजवान् बकरौ। अजिण्ठा, (अजण्टा)-नर्मदा और ताप्ती नदीके निकटवर्ती खानदेशके इन्ध्याट्रिको प्रसिद्ध गुहावली। इसका चलित नाम अजण्टा है, लोग अजन्ता भी