पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२१६

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२१० अजूरा-अज्ञातवास अजुरा (हिं० वि०) १ न इकट्ठा किया हुआ, पत्ती बिका करती है। इसका फल बैंजनो बेर असंग्टहीत। २ न मिला हुआ, अप्राप्त। ३ गैर- जैसा होता और वर्षाऋतुके समय ढाकेके बाज़ारमें हाजिर, अनुपस्थित । ४ अलग, पृथक् ; जुदा, भिन्न । बिकने आता है। आसाममें भो लोग फलको खाद्या अजूह (हिं० पु०) युद्ध, जङ्ग; लड़ाई-भिड़ाई। स्वरूप व्यवहार करते हैं । इसको लकड़ो भारो, भूरी, अजे-अजय देखो। और कड़ी होतो ओर अरन्दा फेरनेसे ख ब चमकने अज-अजय देखी। लगती है। अजैतव्य (सं० त्रि०) जो जीता न जा सके, अजय । अझल (सं० लो०) अञ्चति, विप्-अक्; हलति अजेय (सं० त्रि.) न-जि-यत्। अजेतव्य, जयके विलिखति, हल-अच् ; कर्मधा । ढाल, फलक। अयोग्य, जो जीता जा न सके ; फतहके नाकाविल । अन्न (सं० त्रि.) न जानाति, ज्ञा-क । स्वादनी जड़- अजै-अजय देखो। मुर्खयोः ( मेदिनी)। मूर्ख, ज्ञानशून्य ; बेवकूफ, बेइला । अजैकपाद (सं० पु०) अजस्य छागस्य पाद इव एक सहज विषय भिन्न कठिन तत्त्वमें जिसका बोध पादो यस्य। १ रुद्रविशेष । २ शम्भ। ३ वीरभद्र। प्रविष्ट नहीं होता, प्रायः जो लिखना-पढ़ना नहीं ४ पूर्वभाद्रपद नक्षत्र । जानता, समाजके मध्यमें जो अच्छी तरह बातचीत अजेडक स. क्लो०) भेड़-बकरा। नहीं कर सकता और जो किसी विषयका सिद्धान्त अजीग-अयोग्य देखो। करने में अक्षम है, उसे ही हम अन्न कहते हैं। अजोता (हिं. पु०) चैत्रको पूर्णमासी, जिस दिन अज्ञका, अज्ञिका (सं० स्त्री० ) बेसमझ स्त्री, भोली- बैल नहीं जुतते। भाली औरत । अजोरना-अंजोरना देखो। अज्ञता (सं० स्त्री०) मूर्खता, बेवकूफो। अजोष (वै त्रि.) असन्तुष्ट, नाराज. । अज्ञत्व (० क्लो.) बेसमझी, नादानी। अजोय (वै त्रि.) सन्तुष्ट होनेके अयोग्य, आसूदा अज्ञात (सं० वि०) न-ज्ञात। १ अपरिचित, होनेके नाकाबिल। जाना हुआ नहीं। २ ज्ञानका अविषयोभूत, अक्ल से अजौं (हिं. क्रि-वि०) आज भी, अभीतक; बईद। अद्यापि, अद्यावधि। अज्ञातक (सं० त्रि०) बेजाना, नावाकिफ़ । अज्जका (सं० स्त्री० ) अर्जयति या सा। अर्जि-उक्, अज्ञातकुलशील (सं० त्रि०) जिसका कुल मालूम पृ० रकारस्य जत्वम् । नाट्योक्त वेश्या, नाटकको रण्डी। न हो, बेजाने-बूझ खान्दानका। नाट्यादन्यब प्रयोगे नास्तीत्यर्थः (महेश्वरः)। अज्ञातकेत (वै० त्रि०) गुप्तभेदी, पोशीदा अज्झटा (स. स्त्री० ) अजति दोषं क्षिपति, अज राज़वाला। क्विप्; झटति संहन्यते, अज-झट-अच् । भूम्या- अज्ञातनामा (सं० त्रि०) जिसका नाम ज्ञात न हो, मलको, पानी आंवला। यह आसाम, बङ्गाल, ब्रह्म, नामालूम इस्मका। बम्बई और पश्चिम-घाटका एक छोटा वृक्ष है, अज्ञातभुक्त (संत्रि०) बेजानी चीज़ खानेवाला। जिसको कृषि साधारणतः भारतमें की जाती है। अज्ञातयक्ष्म (वै. पु०) रोगविशेष, राजयक्ष्मा । इसके वीजसे तेल निकलता, किन्तु उसका प्रयोग अज्ञातयौवना (सं. स्त्री०) यौवनका ज्ञान न अज्ञात है। इसकी पत्ती और नई डालको लोग रखनेवाली मुग्धा, चढ़ती जवानीको न पहचाननेवाली गरिष्ट और कसैली बताते और संग्रहणी, धातुक्षीणता नई औरत । और क्षयरोगमें खिलाते हैं। पित्त बिगड़नेसे इसका अज्ञातवास (सं० त्रि.) जिसके रहनेको जगह फल भी लाभदायक होता है। महिसूरमें इसको जानी न हो।