पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२२३

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अञ्जि–अञ्जौर सूर्य । जीवी हैं। बहुतसे साधु-सन्त आजकल इस मन्दिरके सान्निध्य में १८०१ ई० को मनुष्य गणनामें यहां केवल ४८ रहा करते हैं। इन सब साधु-सन्तों में जो प्रधान होते, लोग थे। उन्हें 'पोर' कहते हैं । सन् १८१६ ई० में कच्छ प्रदेशके अञ्जिव (वे० त्रि०) चिकना। (अथर्व० ८।६।६) रावने ईष्ट-इण्डिया कम्पनीको अञ्जार नगर और अञ्जिमत् (वै० त्रि०) १ रंगोला। २ चमकीला । अञ्जार जिला सौंपा था। इसके बाद सन् १८२२ ई० में | ३ संवारा। (ऋक्० ५.५७१५) नई सन्धिके अनुसार कच्छके राव वात्सरिक अट्ठासी अञ्जिष्ठ (सं० पु०) अन्ज-इष्णुच् । ऋतन्यञ्जीति । उण ४।२। हजार रुपये कर देने को राजी हुए और अञ्जार फिर उनको दे दिया गया। अजिसक्थ (दै० त्रि०) पुण्ड्रोरुविशिष्ट । (वाजस० २४।४) अञ्जि ( स० पु०) अन्ज-इन् करणे, अज्यते अनेन । अञ्जिहिषा (सं० स्त्री०) गमनको इच्छा, जानकी १ प्रेषणिक, प्रेरक । २ तिलक । मरजी। ३ मध्यप्रदेशके अन्तर्गत. वर्द्धा ज़िलेका एक अञ्जो (सं० स्त्री० ) अञ्ज-ङोप् विकल्प। १ पेषण- नगर । यह धामा नदीक तौर वर्डा नगरसे साढ़े चार यन्त्र, चक्की। २ मङ्गल। कोस उत्तर-पश्चिम अवस्थित है। महाराष्ट्रों के अधीन अञ्जोर (सं० पु०-क्लो०) अन्ज-ईरन् । काकोदुम्बरिका यह एक प्रसिद्ध नगर था। मट्टोका जो किला अभी फल, गूलर जैसा एक फल। अंजौरको ( Ficus यहां वर्तमान है, उसे महाराष्ट्रोंने ही बनवाया था। carica) काबुल प्रभृति देशोंसे आमदनी होती इस नगरमें कोई ढाई हजार लोग रहते हैं। है। पञ्जाब और युक्त प्रदेशमें भी अंजीर उत्पन्न कुछ जुलाहोंके सिवा अधिकांश नगरवासी कृषि- होता है। यह शीतल और मृदुविरेचक है। स्वभावतः जिन्हें कोष्ठंबद्ध होता, अंजीर उनके पक्षमें हितकर है। अंगरेज़ीमें इसे फिगस् ( Figs) अञ्जिक, अञ्जक-१ यदुके एक पुत्र । (हरिवंश ) २ विप्र- कहते हैं। चित्तिके पुत्र । (विष्णुपु०) बङ्गाला-प्रचौर । पारसो-आौर, ऑजिर । तुरकौ-पाचौर। अञ्जित (सं० त्रि०) अञ्जन लगा हुआ, अंजा। आरवी-तौन्, एल-कैरमस्। तामिल-सिमाइ-आवाद। अञ्जिहीप (अञ्जहोप) बम्बई प्रेसिडेन्स के उत्तर- पार । रुष-डइन्न या जागडि । भोलन्दाज-भाद्रीन । दिनेमार-फिरीन । कनाडा जि.लेका एक क्षुद्र होप या छोटा टापू। मुइस-फिकन्। स्पेन-हिगस्। पोल-फिकि। पोत्त-फिगस् । पाव वर्गकोस और यह उत्तर- इसका आयतन अल्-फेडगेन् । इताली-फिचि। लाटिन-फिकास् क्यारिका । कनाड़ेसे एक कोस दूर है। पहले यह पोर्तुगीजों- फरासी-फिगुस् (Fignes.) जर्मण-फिग् (Feige.) युरोपके बाणिज्यक्षेत्रमें अञ्जोर एक प्रसिद्ध के अधिकारमें था। सन् १६६२ ई में अंगरेज नौ- फल है। सेनापति अब्राहम शिपमेनने बम्बई नगरका अधिकार इसका वृक्ष रूम, सिसिलौ, गिनी, स्पेन, न पा, पांच सौ लोगोंके साथ इसी स्थानमें आश्रय- पोतू गाल, साइप्रस, माल्टा, ईरान प्रभृति स्थानों में ग्रहण किया। यहांका जलवायु अत्यन्त अस्वास्थाकर उत्पन्न होता है। है। इसका वहिर्भाग अनुवर और प्रस्तरमय ; अञ्जौरका पेड़ कोई ६७ हात ऊंचा होता और किन्तु पार्खदिक् देखने में बहुत ही मनोहर है, जिस इसके पत्ते असमान रहते, जो थोड़े ही आघातसे गिर ओर सुदृढ़ प्राचीर और दुर्ग भी बने हैं। उत्तर जाते हैं। पुष्प प्रायः ही मुखको ओर रहते और अल्प पश्चिममें हवाका प्रवाह होनेसे यहां जहाज परिमाणमें उत्पन्न होते हैं। पकनेके साथ-साथ निरापद रह सकते हैं। गोआ नगर यहांसे साढ़े पुष्पकोष बढ़ा करता और उसके साथ हो वोजपूर्ण पचीस कोस उत्तर-पूर्व है। यहां नारियल और कई वीजकोष निकल आवे हैं। दूसरे फलोंके उत्पन्न करनेवाले रहते हैं। सन् अौर दो-तीन तरहका देख पड़ता है। फ़ारोज- मलय-बुया