पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२२५

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अञ्जुनाल-अटक २१६ यर, खि.लातके अवरोध बाद इस स्थानको अधिकृत किन्तु दक्षिणमें पूर्व और पश्चिमको सौल नदियां कर गाण्डव नामक गिरिपथसे सिन्धुदेशको गये थे। इसे हरा भरां बनाती हैं। ग्रीष्मऋतुमें ताप यहां दो बड़ी राहें हैं-एक सोनमियानी और एक लोगोंको अधिक सताता, रेतीली भूमि धूप पड़नेसे मूला नदीको ओर चली गई है। अञ्जोरसे कुछ दूर भट्ठी जैसी जलने लगती है। ओहिन्दके पास दक्षिण एक बड़े किलेकी चहारदीवारीका टूटा-फूटा महमूद गज़नवीने अनङ्गपालको रणमें विजय हिस्सा देख पड़ता है। यहां पौष और माघमें किया था। सन् १८०४ ई० में यह ज़िला बना । इतना शीत होता, कि बरतन में रखा पानीतक जम इसकी आबादी कोई पौने पांच लाख होगी, जाता है। जिसमें सैकड़े पीछे नव्वेसे ज्यादा मुसलमान हैं। अञ्जुनाल-दाक्षिणात्यके सलेम जिलेको पल्लियोंमें यहां पञ्जाबी और पश्तो दो भाषा बोली जाती मृत्युके पांचवें दिन श्राद्धादि क्रिया सम्पन्न करनेवाले हैं। इस जिले में अधिकांश मनुष्य कृषिजीवी लोग। इस शब्दका अर्थ पञ्चम दिन है। हैं। पशु अच्छे देख नहीं पड़ते। फतेहजङ्ग और अञ्जङ्ग (अञ्जितङ्ग)-तिरुवाकोड़ राज्यका एक पिण्डीधेब तहसीलमें घोड़े उत्पन्न करनेका खूब नगर। यह समुद्र किनारे बसा है। इसकी दोनो ओर व्यवसाय चलता है। गरकावे नगरमें सङ्गमरमरका गृह बिलकुल समान्तराल भावसे बनाये गये हैं। काम अच्छा किया जाता है। खैरीमूरत पहाड़ियोंमें यहांके अधिवासी अधिकांश ईसाई हैं। नारियल कच्चे पत्थरका कोयला प्रायः मिलता है। फतहजङ्ग वृक्ष खूब उत्पन्न होता है। गरीब आदमो नारि- के पास मट्टीका तेल भी निकलता है। सिन्धु. सोहन यलको गिरी बेच दिन काटते हैं। सन् १६८४ ई० में और दूसरे नदोंका रेत धोनेसे सोना हाथ लग अञ्जितङ्गको राणीने ईष्ट-इण्डिया कम्पनीको अनुमति जाता है। चूना और खड़ियामट्टो-दोनो वस्तु दी थी, कि वह यहां आबादी बढ़ाती और एक अधित्यकासे उत्पन्न होती हैं। व्यापारका चमत्कार कोठी बनवाती ; किन्तु सन् १८२३ ई० में अधिक विशेष नहीं। नर्थ-वेष्टन-रेलवे को प्रधान लाइन हानि होनेसे सब काम बिगड़ गया। यह नगर इस जिले में चलती है। प्रधान सड़कें तीन ही हैं। मन्द्राजसे १८५ कोस दक्षिण-पश्चिम और कबरसे | सिन्धु-नदपर अटकका पुल बंधा है। १२० कोस दक्षिण-पूर्व है। ४ अटकज़िलेका एक तहसील-इसका क्षेत्रफल अट-गति, भ्वा०, पर०; सके सेट् । गति अर्थको एक ६५१ वर्गमील है। इसमें हसन-अब्दाल नामक एक धातु। ऐतिहासिक स्थान है। अट, (अटि)-इदित् । भ्वा०, प्रा०; सकं सेट, स्वादि ५ अटकनगर-यह नर्थ वेष्टन रेलवे और ग्राण्ड . गणको एक धातु। ट्रङ्गरोडपर अवस्थित है। इसमें एक किला बना हुआ अटक, अटकन (हिं. स्त्री०) १ प्रतिवन्धक, रोक है, जहां तोपखाना और पैदल फौज रहती है। टोक । २ ज़रूरत, आवश्यकता। अनुमानत: सिकन्दर बादशाहने अटकसे ऊपर आठ ३ एक जिला। अटक जिला पञ्जाबके रावलपिण्डी कोस ओहिन्दमें नावोंके पुलपर सिन्धु नदको पार डिविजनमें ४०२२ वर्ग मौलपर फैला है। इसकी किया था। सन् १५८१ ई० में अकबरने यह किला पश्चिम और उत्तर-पश्चिम ओर सिन्धुनद बहता अपने साम्राज्यको काबुलके सिपहसालार हकीम है। आकृतिमें यह विषम रूपसे अण्डाकार मिरज़ाके आक्रमणोंसे रक्षित रखनेको बनवाया। है, और इसके उत्तर समतल भूमि और दक्षिण सन् १८१२ ई० में रणजित् सिंहने इस किलेपर कालाचित्ता पहाड़ वर्तमान है। इसका मध्यभाग छापा मारा। पहले सिख-युद्ध में यह अंगरेजोंके समतल है, जिसके उत्तरको भूमि पथरीलो ; हाथ आया, किन्तु दूसरेमें निकल गया। अंगरेजोंने