पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२३१

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- अड़तालिसवां-असा २२५ अड़तालिसवां, अड़तालीसवां (हिं० वि०) अड़- | अड़ाड़ (हिं पु०) १ पशुओंके रखनेका वह तालीसवाला, अड़तालिसका। घेरा, जो ग्राम या नगरके बाहर बनाया जाता है अड़तालीस-अड़तालिस देखी। २ राशि, जखीरा। अतिस, अड़तीस (हिं० वि०) अष्टत्रिंशत्, तौस अड़ान (हिं. स्त्री०) विश्रामस्थान, ठहरनेको और आठ। वह संख्या जो तीन दहाई और आठसे जगह बनती है। ३८। हिन्दुस्थानके ग्रामीण लोग अरतिस | अड़ाना (हिं क्रि०) १ रोक रखना, ठहरा लेना। भी कहते हैं। २ टेक लगाना, आड़ देना। (पु०) ३ ठहराव, अड़तिसवां, अड़तीसवां (हिं० वि० ) अड़तीसवाला, रोक। ४ टेक, डाट । ५ रागभेद। अड़तिसका। "अड़ानी गुण्डक्री गौण्डा लौलरङ्गी सुधावती। अड़दार (हिं० वि०) १ अड़नेवाला, अड़ियल । पञ्चता: मुठुनयना अड़ाना वल्लभा इमाः ॥” ( संगौतद०) जो चलने में रुके। २ मस्त, झूमता हुआ। अडानी (हिं. स्त्री०) १ बड़ी पडी। २ लड़न्तका अड़ना (हिं क्रि०) १ चलते-चलते रुक जाना, एक दांव, जो टांगमें टांग अड़ाकर किया जाता है। आगे न बढ़ना। २ जिद करना, टेक ठानना। ३ अड़ानारागको स्त्री। अड़पापल (हिं० वि०) ताकतवर, शक्तिशाली। अड़ायनो (हिं० वि०) आड़ करनेवाला, जो अड़बङ्ग (हिं० वि०) १ वक्र, टेढ़ा। २ निनोच्च, ओटमें छिपे। ऊंचा-नीचा। ३ दुर्धर्ष, मुश्किल। ४ निराला, अडार (हिं० पु०) १ जखीरा, ढेर। २ लकड़ो- अपूर्व । ५ बेडौल, बेढब। को राशि। ३ लकड़ीको दुकान। अडबोल-आपस्तम्ब-सामान्यसूत्रवृत्तिरचयिता। अड़ाल (हिं पु०) एक प्रकारका नृत्य, एक तरहका अडम्बर-आडम्बर देखी। नाच। वह नाच जो मोरको तरह अड़-अड़ कर अडर (हिं० वि०) भयरहित, बेखौफ। नाचा जाये। अड़व (हिं० पु०) एक प्रकारका इसमें अडिग-अडग देखो। षड्ज, गान्धार, मध्यम, धैवत और निषाद यही पांच अड़ियल (हिं वि०) १ अड़ जानेवाला, जो जाते- स्वर लगते हैं। जात रुके। २ सुस्त, काहिल। जो कार्य शीघ्र न अडवोकेट ( Advocate) वकालतनामको जरूरत करे । ३ हठ करनेवाला, जो ज़िद चलाये। न रखनेवाला वकील या कौन्सिल । अड़िया (हिं० पु०.) वह लकड़ी, जिसके सहारे अड़सठ, अरसठ (हिं० वि०) अष्टषष्टि, साठ और साधु उपवेशन करते हैं, साधुओंको टेककर बैठने आठ। वह संख्या जो छः दहाई और आठ मिलनेसे वाली कुबड़ी। बनती है। ६८। अड़ी (हि. स्त्री०) १ ठहराव, रोक । २ हठ, अड़सठवां, अरसठवां (हिं० वि०) अड़सठ संख्या जिद। ३ आवश्यक समय, जरूरी वक्त । ४ अवसर, मौका। ५ (वि०) रुकी हुई, ठहरी। वाला, अरसठका। अड़हु (सं० पु०) वकुलवृक्ष, मौलसिरी। अडौखम्भ (हि० वि०) बलवान्, जोरावर। अड़हुल (हि पु०) जपा या जवापुष्प, देवी- अडीठ (हि. वि.) १ अदृष्ट, नजरसे बाहर। फूल। यह दो-सवा दो गज ऊंचा उगता और २ गुप्त, पोशीदा। ३ पृष्ठभागमें उत्पन्न फोड़ा। इसकी पत्ती हारसिंगारको पत्ती जैसी होती है। अडूलना (हिं. क्रि०) डालना, उड़ेलना, नाना। अटरूष, यद्यपि इसका पुष्प बड़ा और गहरे लाल रङ्गका अडूसा (हिं० पु०) ओषधि-विशेष। रहता, परन्तु इसमें सौरभका कहीं नाम नहीं। इसका पौधा गज-सवा गजका और पत्ता हरा और राग।