पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२३५

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२२६ मान प्रधान साधन है। अणु और परमाणुमें प्रभेद इतना जनका आधा और हाइड्रोजनका एक अणु रहता है। ही है, कि अणुका सूक्ष्म-सूक्ष्म अंशों में विभाग किया कि दो पात्र ऐसे हैं, जिनमें एक दूसरसे जाता, परमाणुका विभाग नहीं होता। किसी दूना, और बड़ा हाइड्रोजन और छोटा अक्षिजनके वस्तुको अतिशय क्षुद्र-क्षुद्र अंशोंमें विभाग करनेसे अणु अणुओंसे भर दिया गया है, और बड़े में हाइड्रोजनके निकलता, किन्तु परमाणु नहीं बनता। वायुका सौ और छोटेमें अक्षिजनके पचास अणु हैं। ऐसी प्रत्येक कण अणु है, परमाणु नहीं। जब दो वस्तुओं अवस्थामें हाइड्रोजन और अक्षिजनको एकत्र मिला के संयोगसे एक यौगिक वस्तु उत्पन्न होती, तब ताड़ितवेग पहुंचानेसे बन्दूक कीसौ आवाज निकल एक वस्तुका अणु दूसरी वस्तु के अणुसे मिलता; किन्तु | पड़ती है। यदि पात्र सुदृढ़ हुआ, तब तो न एक परमाणुसे दूसरे परमाणुका संयोग नहीं गंठता। टूटेगा ; ऐसा न होनेसे चूरचूर हो जायेगा। इस किसी-किसी वस्तुका अणु ही परमाणु तरहको आवाज. होने और दो प्रकारके अणु मिलनेसे फिर किसी-किसी वस्तुका अणु दो अथवा अधिक सौ जलकणाको उत्पत्ति होती है। परमाणुका संख्यक परमाणुओंको समष्टि है। पारा, जस्ता भाग किया जा नहीं सकता। अतएव अणुके परमाणु प्रभृति कई पदार्थों को विभाग करनेसे उनका सूक्ष्मतम होनेपर पचास अक्षिजन और सौ हाइड्रोजनके अणु अणु एक-एक परमाणु होता है। हाइड्रोजन, अक्षि मिलनेसे सौ जलकणाको उत्पत्ति किसौतरह सम्भव जन, गन्धक प्रभृतिका अणु दो परमाणुओंको समष्टि न थी। इसीसे यह सप्रमाण है, कि अक्षिजनके एक है। सजिया विषके एक-एक अणुमें चार परमाणु अणु में दो परमाणु रहते हैं, जिसका एक-एक परमाणु होते हैं। जैसे गुलदस्ता कितने ही फूलोंको समष्टि एक-एक हाइड्रोजनके अणुसे मिल जाता है। इस है, वैसे ही जगत्के समुदय पदार्थ कितने ही अणु जगह उदाहरण-स्वरूप केवल डेढ़ सौ अणुओंको ओंको समष्टि हैं। जैसे एक-एक फूलमें एक किंवा बात लिखी गई है। वास्तवमें अणु इतने सूक्ष्म होते अधिक पखुरी रह सकती हैं, वैसे ही प्रत्येक अणुमें हैं, कि कोटि-कोटि एकत्र मिलने पर भी खाली एक या अधिक परमाणु होते हैं। कितने ही फूल आंखोंसे देख नहीं पड़ते। पण्डितोंने अनुमान किया एकमें मिलानेसे गुलदस्ता बनता है। फिर गुल है, कि ६००,०००,०००,०००,०००,०००,०००,००० दस्तेके फूल निकाल डालनेसे प्रत्येक फूल अलग हो हाइड्रोजनके अणु वजनमें सिर्फ एक रत्ती रहते हैं। जाता है; किन्तु पखुरियां अलग नहीं होती। आजकलके अति उत्कृष्ट अणुवीक्षण (खु.र्दबीन) से इसीतरह रूढ़ किंवा यौगिक पदार्थका वियोग करनेसे देखनेपर कोई वस्तु अपने सहज आकारसे आठ उसके सूक्ष्मतर अंश एक-एक अणुमें विभक्त हो जायेंगे, हज़ार गुण बड़ी मालूम पड़ती है। यदि कोई ऐसे किन्तु परमाणु बन न सकेंगे। अण और परमाणु में यन्त्रको आविष्कार कर सके, जिसे आंखमें लगानेसे यही भेद है। कोई वस्तु अपने सहज आकारसे वैज्ञानिक पण्डितोंने रासायनिक योगायोगसे यह चौंसठ हजार गुण बड़ी दिखाई दे, तो जलका स्थिर किया है, कि अनेक स्थलोंमें अणु, दो-तीन एक-एक अणु देखे जानेको सम्भावना की जा ओंको समष्टि होता है। अक्षिजनके प्रत्येक सकती है। अणु में दो परमाणु रहते हैं। अणु देख नहीं पड़ता ; अणु इतना सूक्ष्म है सही, किन्तु ठीक लोहे-जैसा किन्तु रासायनिकोंने ताड़ितयन्त्र द्वारा जलको वियोग कड़ा होता है। एक शोशौ आधी जलसे भर करके देखा है, कि जल रूढ़ पदार्थ नहीं। अक्षि और खाली आधौसे वायुको चुम्बन कर काग लगा जनका एक अणु हाइड्रोजनके दो अणुओंसे मिलनेपर देनेसे शोशीके भीतर जलको छोड़ दूसरी कोई चीज, जल बन जाता है। जलके एक-एक अणुमें अक्षि रहने नहीं पाती। इसके बाद बलपूर्वक शीशी 1 परमाणु ५८