पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२४

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२२ अक-अकड़ इसके उपरान्त एक-एक खानेको फिर चार-चार भागोंमें को १५वीं अक्टूबर (मुसलमानी रजब महीना ८४० विभक्त किया जाता है। इससे १६ खानोंका यह चक्र फसली) रविवारको अकबरका जन्म हुआ था। १५५६ बन जाता है। इससे विचार करने की प्रणाली यह ईस्वीमें अकबरने १३ वर्ष ८ महीनको अवस्थामें है-मान लीजिये, शिष्यका नाम आनन्दचन्द्र और दिल्लीके राज्यशासनको बाग डोर अपने हाथमें ली वीजमन्त्र ह्रीं है। अब आनन्दचन्द्रके आदि अक्षर आ और ५१ वर्ष राज्य करके १६०८ ईस्वी में कमसे कम से दाहिनी ओर ह्रीं मन्त्रक आदि अक्षर ह तक गिनना ६५ वर्षको अवस्थामै इस लोकको त्याग दिया। होगा। पहिले आकारवाले खानेमें सिद्ध । दूसरे में अकबरका नाम हिन्दू-मुसलमान किमीसे छिपा साध्य। तीसरे में-सुसिद्ध और चौथैमें अरि। यही नहीं है। इस समय कितनही गृहस्थोंके घरों में हकारके खाने में अरि पड़ा, इससे मन्त्रोद्धार न हुआ। अकबरौ मोहरें निकलेंगीं। हिन्दू भी उस मोहरको यदि मन्तके खानेमें अरि न पड़े,तो फिर छोटे-छोटे भक्ति करते हैं। आज चार युगांस.यह बात देखी जाती खानोंको गिनना पड़ेगा ; जैसे-अकारका छोटा है कि जब किसी महान् पुरुषका जन्म होनेवाला खाना पहिला सिद्ध सिद्ध, दूसरा सिद्ध साध्य, तीसरा होता है, तो माता-पिताको कष्ट झेलना पड़ता है। सिद्ध सुसिद्ध, चौथा सिद्ध अरि। इसके नम्बर नीचे बड़े इधर हमीदा गर्भमें जिस समय अकबर आये, कोठेके चारखाने में भी इसी तरह गिनने होंगे। फिर उसके कुछही दिन उपरान्त शेरखान दिल्लीक सिंहासन- और एक बड़े कोठेके खानोंको गिनकर क्रमसे हकार पर अधिकार कर लिया। जब बुर दिन आते हैं, उस वाले खानेतक गिनना पड़ेगा। इस चक्रका नियम समय मनुष्यका कोई सहायक नहीं रहता। दरिद्रों- तन्त्रराजमें लिखा है। का तो कहनाही क्या है ; जो राजाधिराज सम्राट् हैं, अकड़मचक्र और मन्त्र शब्द देखो। उनको भी सहायकका घाटा हो जाता है। हुमायं अकथ्य (सं० त्रि०) न कहने योग्य । दुर्वाक्य । निष्फल । जब राज्यभ्रष्ट हो गया, तो उसके बन्धु-बान्धवान अक़द (फा० पु०) इकरार। प्रतिज्ञा। वायदा । उसका साथ छोड़ दिया और प्रधान प्रधान सर्दार अक़दन (क्रि० वि०) कदन देखो। विरोधी हो उठे। परन्तु सामान्य और अनधिकारी अक़दबन्दी (फा० स्त्रो०) इक़रारनामा। प्रतिज्ञापत्र । मनुष्योंने उनको न छोड़ा। हुमायं अपने उन्हीं अकधक (पु.) आशङ्का । आगा-पोछा । सोच-विचार। विश्वासी अनुचरोंको साथ ने मिन्धु नदी पारकर भय। डर। अमरकोटको भाग गया। राहमें हुमायूको बड़ा कष्ट अकनना (हि. क्रि०) कान लगाकर सुनना। चुपचाप उठाना पड़ा, चारो ओर मरुभूमि, कहीं जलका सुनना । आहट लेना। सुनना । कर्णगोचर करना। ठिकाना नहीं, किसी वृक्षका पता नहीं, पीछे शत्रुको अकबक (हि० पु०) निरर्थक वाक्य । अण्डबण्ड । अनाप सेना, जल-आश्वयसे हीन होने के कारण हुमायूं के शनाप । असंबद्ध प्रलाप । घबड़ाहट । धड़क । चिन्ता। साथियोंमेंसे कितनीहीने उमी मरुभूमिमं अपने प्राण खटका । अक्की-बक्को, छक्का-पंजा। होश-हवास । चतु गँवाये और जो बचे, वह भी अमरकोट पहुँचते २ राई। सुध। (वि०) भौचक्का। निस्तब्ध। अवाक्। चकित्। मृतवत् हो गये। हमाचं देखी। अकबकाना (हि. क्रि०) चकित होना । भौचक्का होना। सुल्ताना हमीदाका गर्भ बड़ाही कठोर था। कितने- घबड़ाना। ही सिद्ध पुरुषोंने कहा था, कि इम गर्भम एक अवतार अकबर। (अबुल फतह जलालउद्दीन मुहम्मद पादशा उत्पन्न होगा। खाजा मसूदने भी एक बार अबुन- य-गाजी।) हम-लोग इन्हें सदासे अकबर बादशाहही फजलसे कहा था कि, अकबर ईश्वरकै अवतार हैं, कहते हैं। ये हुमायूँ के लड़के थे। इनको माताका नाम योगियोंने उनके पितासे यह बात कही है। सुल्ताना हमीदा बानो बेगम था । सन् १५४२ ईस्वी १५४२ ईस्त्रीको, १५वीं अक्टबर रविवारको अक-