पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२४०

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२३४ अणुवीक्षण सामान्य अणुवीक्षणसे देखनेपर कोई वस्तु जितनी दिये जाते हैं। नौचेका नल इसके पश्चाद्भागमें एक बड़ो और जैसी स्पष्ट देख पड़ती, उसको अपेक्षा लौहदण्डसे सटा है। इस लौहदण्डके भौतर एक उसे और भी स्पष्ट और बड़ी दिखाने के लिये बृहदणु दूसरा लौहदण्ड है, जो एक पेंचसे इच्छानुसार चढ़ाया वीक्षणको ( compound microscope ) सृष्टि की और उतारा जा सकता है। इस लौहदण्डको चढ़ाने गई है। यह समझ लेनेपर, कि सामान्य अणु - और उतारनेसे समस्त यन्त्र चढ़ा और उतरा करता वीक्षणसे क्यों वस्तु बड़ी दिखाती है, वृहदणुवीक्षणका है। लौहदण्ड जिस स्थानमें लगा है, ठीक उसी कौशल अनायास समझमें आ सकेगा। सामान्य अणुवीक्षणमें केवल एक, किन्तु बृहदणुवीक्षण में दो शौशे लगते हैं। जो शीशा चक्षुके निकट रहता, और जिसके ऊपर चक्षु जमाकर देखना पड़ता, वह अक्षिदर्पण (eye-piece) कहलाता है। अक्षिदर्पण एवं जो वस्तु देखी जाती-इन दोनोके बीच एक दूसरा शीशा भी रहता है। इसका नाम “आधार-मुकुर" (object-glass ) है। आधार-मुकुर और प्रधान अक्षप्रदेशके (principal focus) मध्यमें देखनेको वस्तु रखी जाती है। इसतरह रखनेसे वस्तुको एक बड़ी और उलटी छाया शीशेकी दूसरी ओर जा पड़ती है। पीछे दूसरे शीशेसे देखनेपर प्रतिकृति बड़ी और चक्षुके निकट दिखाई देती है। शेषोक्त प्रक्रिया ठीक ब्रहृदणुवीक्षण। सामान्य अणुवीक्षण-जैसी है। प्रभेद इतना ही है, स्थानसे एक प्रशस्त बाहु -के नीचे होकर श-की ओर कि सामान्य अणुवीक्षण हारा एकबारगी ही परीक्षा चली गई है। जो वस्तु देखी जाती, वह इस बाहु- करनेको वस्तु देखी जाती ; किन्तु ब्रहदणुवीक्षणसे पर दोनो शीशों के बीच रखना पड़ती है, अर्थात् वस्तको वर्द्धित आकृति दृष्ट होती है। इसलिये पौतलवाले नलके -चिह्नित मुखसे नीचे और सामान्य अणुवीक्षणको अपेक्षा बृहदणुवीक्षणसे सकल बाहुके घ-चिह्नित प्रान्तमें। इस बाहुके श-चिह्नित वस्तु बहुत बड़ी और चक्षुके निकट देख पड़ती है। प्रान्तमें एक शीशा जड़ा, जो आधार-मुकुर किन्तु अन्य व्यवस्था न रखनेसे आकृति उलटी देखी (object-glass) कहलाता है। पीतलवाले नलके जाती है, इसीसे अणुवीक्षणवाले नलके भीतर कितने उपरिभागमें जो शीशा होता, उसका नाम अक्षिदर्पण ही छोटे-छोटे शीशे लगे रहते हैं। उलटा प्रतिविम्ब (eye-glass ) है। -चिह्नित स्थानमें दोनो शोशों- इन सब शीशोंके भीतरसे आनेपर फिर उलट जाता, के बीच परीक्षाको वस्तु रखकर आधार-मुकुरके इसीसे अवशेषमें सौधा दिखाई देता है। ( object-glass) ठीक नीचे लाना पड़ती है। सामान्य अणुवीक्षणको बनावट बहुत सीधी ऐसा करनेसे वस्तुको बड़ी प्रतिकृति नलके भीतर जा होती है। किन्तु बृहदणुवीक्षणके भीतर कितनी पड़ती है। इसके बाद नलके ऊपरसे देखनेपर यह ही कारीगरी और कितना ही काम रहता है। प्रतिकृति बहुत ही बड़ी मालूम होती है। द्रव्य- बृहदणुवीक्षणका चित्र हमारी इस बातका प्रमाण पर आवश्यकतानुसार आलोक पहुंचाने के लिये उपयुक्त है। नल पौतलके तीन नलोंसे बनाया गया है। इसके व्यवस्था की गई है। बाहुके जिस स्थानमें परीक्षाको ऊपरी दो नल इच्छानुसार सरकाकर नौचे प्रवेश करा वस्तु रखी जाती, उसके नीचे एक छिद्र रहता है। 1